• October 14, 2025

कानपुर: निर्माण कार्यों में 1.50 करोड़ के गबन का आरोप, डीपीआरओ ने तीन सचिवों पर रिपोर्ट कराने का दिया आदेश

कानपुर, 26 फरवरी 2025: उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले में निर्माण कार्यों में 1.50 करोड़ रुपये के गबन का मामला सामने आया है। इस मामले को लेकर जिले के जिला पंचायत राज अधिकारी (डीपीआरओ) ने तीन सचिवों पर रिपोर्ट दर्ज कराने का आदेश दिया है। यह गबन निर्माण कार्यों के दौरान कथित रूप से घटित हुआ है, जिसमें सार्वजनिक धन का दुरुपयोग और गबन का आरोप लगा है।

यह मामला उस समय सामने आया जब जिले के विभिन्न ग्राम पंचायतों में चल रहे निर्माण कार्यों की जांच की गई। इन कार्यों में ग्रामीण विकास के तहत सड़क निर्माण, विद्यालयों के भवनों का निर्माण और जलापूर्ति जैसी योजनाएं शामिल थीं। अधिकारियों के मुताबिक, इन निर्माण कार्यों में निर्धारित मानकों के अनुसार काम नहीं किया गया था, और कार्य की गुणवत्ता पर भी सवाल उठे हैं।

अधिकारियों द्वारा जांच शुरू

जिला पंचायत राज अधिकारी ने बताया कि जब उनके पास कुछ शिकायतें आईं, तो उन्होंने इन निर्माण कार्यों की विस्तृत जांच शुरू की। जांच के दौरान अधिकारियों ने पाया कि निर्माण कार्यों में निर्धारित बजट से अधिक धनराशि खर्च की गई थी और कई मामलों में काम अधूरा पड़ा हुआ था। इसके अलावा, कई भुगतान फर्जी दस्तावेजों पर किए गए थे, जिससे स्पष्ट हो गया कि 1.50 करोड़ रुपये का गबन हुआ है।

डीपीआरओ ने बताया कि मामले की गंभीरता को देखते हुए उन्होंने तीन ग्राम सचिवों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का निर्णय लिया है। सचिवों पर आरोप है कि उन्होंने गबन में मदद की और निर्माण कार्यों की गुणवत्ता पर ध्यान नहीं दिया। इन सचिवों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करने के लिए संबंधित पुलिस थाना और प्रशासनिक अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं।

गबन के पीछे का सच

गबन की जांच के दौरान यह भी सामने आया कि कुछ ग्राम सचिवों ने कागजी कार्यवाही में गड़बड़ी की थी और बिना काम किए ही निर्माण कार्यों के भुगतान पर दस्तखत कर दिए थे। इस गबन को छिपाने के लिए कई गलत दस्तावेज तैयार किए गए थे, जिससे अधिकारियों को गुमराह किया गया। इसके अलावा, कुछ ठेकेदारों द्वारा भी निर्माण कार्यों में अनियमितता बरतने की बात सामने आई है।

ग्राम सचिवों द्वारा इस गबन के मामले में चुप्पी साधने की कोशिश की गई, लेकिन जांच के बाद अब उनकी स्थिति बेहद मुश्किल में आ गई है। अब प्रशासन उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की तैयारी कर रहा है।

सार्वजनिक धन का गबन, गंभीर आरोप

निर्माण कार्यों में गबन का आरोप बेहद गंभीर है, क्योंकि यह सार्वजनिक धन से संबंधित मामला है। इस धन का उपयोग स्थानीय विकास और जनकल्याण के कार्यों के लिए किया जाना चाहिए था। जब ऐसा गबन होता है, तो यह न केवल सरकारी तंत्र की कार्यशैली पर सवाल उठाता है, बल्कि यह नागरिकों के विश्वास को भी कमजोर करता है।

ग्राम पंचायतों के निर्माण कार्यों में हुई अनियमितता ने प्रशासन को हिलाकर रख दिया है। जिला पंचायत राज अधिकारी ने इस मामले को प्राथमिकता के साथ देखा और इस पर तेजी से कार्रवाई की है। डीपीआरओ का कहना है कि इस मामले में कोई भी दोषी बख्शा नहीं जाएगा और पूरी सच्चाई को सामने लाया जाएगा।

प्रशासन की सख्त कार्रवाई की चेतावनी

डीपीआरओ ने कहा कि भ्रष्टाचार और गबन जैसे मामलों में प्रशासन की सख्त नीति है। किसी भी स्तर पर गड़बड़ी को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और दोषियों को सजा दिलवाने के लिए हर संभव कदम उठाए जाएंगे।

उन्होंने यह भी बताया कि इस मामले में जितनी भी जांच की गई है, उसके बाद तीन सचिवों को दोषी पाया गया है। इन सचिवों पर आरोप है कि उन्होंने काम की गुणवत्ता की अनदेखी की, बिना काम किए ही भुगतान कर दिया और सार्वजनिक धन का दुरुपयोग किया।

डीपीआरओ ने पुलिस प्रशासन को आदेश दिया है कि वे इस मामले में एफआईआर दर्ज कर, दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करें। इसके साथ ही जांच के दायरे में कुछ ठेकेदार भी हैं, जिनकी भूमिका को लेकर भी सवाल उठाए जा रहे हैं।

विरोधियों का आरोप

इस मामले में विपक्षी दलों ने भी प्रदेश सरकार पर निशाना साधा है। उनका कहना है कि सरकार की नीतियों और प्रशासन की लापरवाही के कारण इस प्रकार के भ्रष्टाचार के मामले सामने आ रहे हैं। उन्होंने कहा कि यदि सरकार इस मामले में गंभीर होती, तो ऐसे गबन की घटनाएं कभी नहीं होतीं।

विपक्षी दलों ने यह भी आरोप लगाया कि इस गबन के मामले में सरकार के कुछ आला अधिकारी भी शामिल हो सकते हैं, जिन्होंने अपनी जांच रिपोर्ट को दबा लिया था। उन्होंने डीपीआरओ द्वारा दिए गए आदेशों का स्वागत करते हुए कहा कि प्रशासन को हर मामले की जांच निष्पक्ष तरीके से करनी चाहिए, ताकि जिम्मेदार अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई हो सके।

नागरिकों का क्या कहना है?

गबन के इस मामले पर स्थानीय नागरिकों ने भी गहरी नाराजगी व्यक्त की है। उनका कहना है कि इस प्रकार के भ्रष्टाचार के कारण ही विकास कार्यों में देरी होती है और जनता को उनका हक नहीं मिल पाता। एक स्थानीय निवासी ने कहा, “यह गबन केवल सरकारी कर्मचारियों की लापरवाही का परिणाम नहीं है, बल्कि इसने हमारे गांवों में विकास कार्यों को भी प्रभावित किया है। हमें आशा है कि दोषियों को सजा मिलेगी और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए कड़े कदम उठाए जाएंगे।”

कानपुर में हुए 1.50 करोड़ रुपये के गबन के मामले ने न केवल प्रशासनिक व्यवस्था को चुनौती दी है, बल्कि यह सार्वजनिक धन की सुरक्षा और उस पर हो रहे दुरुपयोग को लेकर गंभीर सवाल भी खड़े करता है। डीपीआरओ की कार्रवाई और जांच से उम्मीद है कि इस मामले में कड़ी सजा मिलने से भविष्य में इस प्रकार की अनियमितताओं को रोका जा सकेगा और सार्वजनिक धन का सही इस्तेमाल सुनिश्चित किया जा सकेगा।

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Rama Niwash Pandey

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