नीट मुद्दे पर विधानसभा में निंदा प्रस्ताव पारित, राज्य में मेडिकल प्रवेश परीक्षा का अधिकार लौटाने की मांग

कोलकाता, 24 जुलाई । पश्चिम बंगाल विधानसभा में नीट के मुद्दे पर निंदा प्रस्ताव ध्वनि मत से पारित किया गया है। राज्य के शिक्षा मंत्री ब्रात्य बसु ने राज्य के संयुक्त प्रवेश बोर्ड को मेडिकल प्रवेश परीक्षा का अधिकार लौटाने की मांग उठाई। नीट प्रश्नपत्र लीक के विवाद ने केंद्र सरकार को असहज कर दिया है। इसी पृष्ठभूमि में बुधवार को पश्चिम बंगाल विधानसभा में नीट मुद्दे पर निंदा प्रस्ताव पारित हुआ। हाल के विवादों के चलते कई गैर-भाजपा शासित राज्यों ने नीट की आलोचना की है। कर्नाटक की कैबिनेट ने भी इस मुद्दे पर निंदा प्रस्ताव को हरी झंडी दी है।
तृणमूल कांग्रेस की ओर से ब्रात्य बसु, रफीकुर रहमान, मोहम्मद अली और शोभनदेव चटर्जी ने विधानसभा में पक्ष रखा। वहीं, भाजपा की ओर से शंकर घोष, अशोक लाहिड़ी, नीलाद्रिशेखर दाना, अरूप दास, विश्वनाथ कारक और दीपक वर्मन ने अपनी बात रखी। आईएसएफ के नौसाद सिद्दीकी भी वक्ताओं की सूची में शामिल थे।
विधानसभा में अपने भाषण के दौरान, शिक्षा मंत्री ब्रात्य बसु ने नेशनल टेस्टिंग एजेंसी के बदले राज्य को मेडिकल प्रवेश परीक्षा का अधिकार लौटाने की मांग की। उन्होंने याद दिलाया कि 2013 में जब पहली बार नीट परीक्षा आयोजित की गई थी, तब पश्चिम बंगाल के साथ गुजरात ने भी इसका विरोध किया था। उस समय नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे।
भाजपा के विधायक शंकर घोष ने इसके जवाब में बंगाल में शिक्षा क्षेत्र में हो रहे भ्रष्टाचार और अनियमितताओं के मुद्दे को उठाया।
बाद में ब्रात्य बसु ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि नीट परीक्षा को लेकर कई शिकायतें और भ्रष्टाचार के आरोप सामने आए हैं, जिससे पूरे देश में हड़कंप मच गया है। यह एक गंभीर घटना है और यही विधानसभा में चर्चा का मुख्य विषय था।
उल्लेखनीय है कि नीट प्रश्नपत्र लीक मामले की जांच सीबीआई को सौंपी गई है। केंद्रीय जांच एजेंसी ने इस मामले में 21 लोगों को गिरफ्तार किया है। इसके अलावा, बिहार और राजस्थान समेत कई राज्यों की स्थानीय पुलिस ने भी इस मामले में कई गिरफ्तारियां की हैं। केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने भी मेडिकल प्रवेश परीक्षा में खामियों की नैतिक जिम्मेदारी स्वीकार की है।
