• October 23, 2025

सकल प्रजनन दर में कमी आम आदमी की जागरुकता से ही संभव: भवतोष शंखधर

 सकल प्रजनन दर में कमी आम आदमी की जागरुकता से ही संभव: भवतोष शंखधर

गाजियाबाद, 07 जुलाई । देश को स्वस्थ व समृद्ध बनाने में परिवार नियोजन की अहम भूमिका है। सीमित संसाधनों के समुचित उपयोग की दृष्टि से भी सीमित परिवार के बड़े फायदे हैं। यह बातें मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. भवतोष शंखधर ने कही। उन्होंने कहा कि इन्हीं बातों को ध्यान में रखते हुए सकल प्रजनन दर कम करने के प्रयास किए जा रहे हैं। प्रदेश में जनसंख्या स्थिरीकरण के तहत इसे 2.1 पर लाने की दिशा में लगातार प्रयास किए जा रऐ हैं और यह आम आदमी की जागरुकता से ही सम्भव है।

केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने सकल प्रजनन दर में कमी लाने के उद्देश्य से ही इस साल के विश्व जनसंख्या दिवस (11 जुलाई) का नारा दिया है- “विकसित भारत की नई पहचान, परिवार नियोजन हर दम्पति की शान।” इसके साथ ही इस विशेष दिवस की थीम- माँ और बच्चे की सेहत के लिए गर्भधारण का सही समय और अंतर” तय की गई है। इसके तहत परिवार कल्याण कार्यक्रमों को जन-जन तक पहुँचाने और सेवाओं का लाभ उठाने के लिए एक महीने का विशेष अभियान प्रदेश भर में चलाया जा रहा है। इसके तहत 10 जुलाई तक कम्युनिटी मोबिलाइजेशन पखवारा मनाया जा रहा है। इसके तहत सारथी वाहन के जरिए जिले से लेकर ब्लाक स्तर तक परिवार कल्याण कार्यक्रमों और परिवार नियोजन साधनों के प्रति जागरुकता लाई जा रही है। सास बेटा बहू सम्मेलन के माध्यम से परिवार नियोजन की उपयोगिता के बारे में समझाया जा रहा है और बच्चों के जन्म के बीच पर्याप्त अंतर रखने के फायदे समझाए जा रहे हैं। इसके अलावा सोशल मीडिया कैम्पेन के जरिये भी जागरुकता की अलख जगाई जा रही है। आशा कार्यकर्ताओं के माध्यम से भी लक्ष्य दम्पति की बास्केट ऑफ़ च्वाइस के बारे में काउंसिलिंग की जा रही है। इसके बाद 11 से 24 जुलाई तक सेवा प्रदायगी पखवारा चलाया जाएगा, जिसके जरिए लोगों को परिवार नियोजन के स्थायी व अस्थायी साधनों की सेवाएं प्रदान की जाएंगी। पखवारे के दौरान सेवा प्रदाताओं के कठिन परिश्रम, नवाचारों आदि के लिए पुरस्कृत और सम्मानित भी किया जाएगा।

पापुलेशन सर्विसेज इंटरनेशनल -इंडिया (पीएसआई-इंडिया) के एक्जेक्युटिव डायरेक्टर मुकेश कुमार शर्मा ने कहा कि सरकार के “बास्केट ऑफ़ च्वाइस” में तमाम अस्थायी व स्थायी गर्भनिरोधक साधनों की मौजूदगी के बाद भी अनचाहे गर्भधारण की स्थिति किसी भी दृष्टिकोण से उचित नहीं प्रतीत होती, क्योंकि इसके चलते असुरक्षित गर्भपात जोखिम भरा होता है। जल्दी-जल्दी गर्भधारण करना मातृ एवं शिशु के स्वास्थ्य के लिए भी सही नहीं होता। इस तरह गर्भ निरोधक साधनों को अपनाकर जहाँ महिलाओं के स्वास्थ्य को बेहतर बनाया जा सकता है वहीं मातृ एवं शिशु मृत्यु दर को भी कम किया जा सकता है।

छोटे परिवार के बड़े फायदे को लेकर समुदाय में अनवरत जागरुकता अभियान चलाने का असर राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण में भी स्पष्ट देखा जा सकता है। 2015-16 में हुए सर्वेक्षण-4 में प्रदेश की सकल प्रजनन दर जहां 2.7 थी वहीं 2019-21 में हुए सर्वेक्षण-5 में यह घटकर 2.4 पर पहुँच गई। अब सरकार से लेकर स्वास्थ्य विभाग व सहयोगी संस्थाओं की हरसंभव कोशिश है कि अन्य राज्यों की भांति उत्तर प्रदेश की सकल प्रजनन दर को 2.1 या उससे कम किया जाए।

परिवार नियोजन के स्थायी साधन के रूप में जहां पुरुष व महिला नसबंदी की सेवा उपलब्ध है वहीं अस्थायी साधन के रूप में त्रैमासिक गर्भनिरोधक इंजेक्शन अंतरा, साप्ताहिक गर्भनिरोधक गोली छाया, प्रसव बाद इंट्रायूट्राइन कॉन्ट्रासेप्टिव डिवाइस, गर्भपात पश्चात इंट्रायूट्राइन कॉन्ट्रासेप्टिव डिवाइस, कॉपर टी, माला-एन, आकस्मिक गर्भनिरोधक गोली और कंडोम की सुविधा उपलब्ध है।

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Rama Niwash Pandey

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