• December 23, 2024

उत्तराखंड में मुसीबत बढ़ाएगी बारिश, सरकार से लेकर एनडीआरएफ तक अलर्ट

 उत्तराखंड में मुसीबत बढ़ाएगी बारिश, सरकार से लेकर एनडीआरएफ तक अलर्ट

देहरादून, 3 जुलाई । उत्तराखंड में मौसम विभाग ने अलग-अलग क्षेत्रों में 7 जुलाई तक भारी से बहुत भारी बारिश का रेड अलर्ट जारी किया है। मानसून की तैयारियों को लेकर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सभी अधिकारियों को मुस्तैद रहने के निर्देश दिए हैं। खासकर स्वास्थ्य विभाग को हर समय अलर्ट रहने और डॉक्टरों को एम्बुलेंस के साथ तैनात करने को कहा है।

मौसम विज्ञान केंद्र के निदेशक डॉ. बिक्रम सिंह ने 7 जुलाई तक राज्य के अधिकांश स्थानों पर तीव्र से बहुत तीव्र बारिश होने की संभावना जताई है। ऐसे में एसडीआरएफ, एनडीआरएफ की फोर्स अलर्ट मोड पर है। लोक निर्माण विभाग भी अवरुद्ध सड़कों को खोलने के लिए जेसीबी और पोकलैंड मशीनें तैयार रखे है। मौसम विभाग के अनुसार गर्जन के साथ कहीं-कहीं अतिवृष्टि के भी आसार हैं।

इन दिनों खासकर कुमाऊं मंडल में ज्यादातर क्षेत्रों में भारी वर्षा का क्रम बना हुआ है। गढ़वाल में चमोली के कुछ क्षेत्रों और देहरादून में भी झमाझम बारिश हो रही है। पर्वतीय क्षेत्रों में भूस्खलन भी हुआ है, जिससे कई स्थानों पर मार्ग अवरुद्ध हो गए हैं। मोटर मार्गों की स्थिति पर गौर करें तो उत्तराखंड राज्य में कुल 491 मार्ग हैं। बारिश की वजह से वर्तमान में 13 मार्ग अवरूद्ध हैं। इनमें 11 ग्रामीण मार्ग तो दो अन्य जिला मार्ग हैं।

प्रदेश के ज्यादातर नदी-नाले भी उफान पर हैं और आसपास के कस्बों को खतरा पैदा हो गया है। देहरादून की गंगा, यमुना और टोंस नदी की बात करें तो नदी का जलस्तर खतरे के निशान के करीब पहुंच चुका है। शहरों में भी जलभराव से जनजीवन प्रभावित हो गया है। लगातार हो रही बारिश के कारण तापमान भी धड़ाम हो चुका है। ज्यादातर क्षेत्रों में अधिकतम तापमान सामान्य से दो से तीन डिग्री सेल्सियस नीचे पहुंच गया है।

नदी : जलस्तर (मीटर में) : खतरे का स्तर

गंगा नदी (त्रिवेणी घाट) : 337.56 : 340.50

यमुना नदी (डाकपत्थर) : 454.88 : 455.37

टोंस नदी (इच्छाडी) : 642.10 : 644.75

मोटर मार्ग के प्रकार : कुल मार्गों की संख्या : अवरुद्ध मार्गों की संख्या

राष्ट्रीय राजमार्ग : 12 : 00

राज्यमार्ग : 19 : 00

मुख्य जिला मार्ग : 09 : 00

अन्य जिला मार्ग : 105 : 02

ग्रामीण मार्ग : 346 : 11

मौसम विभाग का सुझाव

भूस्खलन की आशंका वाले संवेदनशील क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को सतर्क रहने की आवश्यकता है। राज्य में चारधाम या अन्य स्थानों की यात्रा करने वाले तीर्थयात्री-पर्यटक सतर्क रहें। यात्रा करते समय खड़ी ढलानों पर नजर रखें। नदी-नालों, निचले इलाकों के समीप रहने वाले लोगों तथा बस्तियों को सावधान रहने की जरुरत है। राज्य सरकार के अधिकारियों को भी लोगों की सुरक्षा की दृष्टि से आवश्यक कार्रवाही करने की सलाह दी। पर्वतारोहण अभियान, सर्द व गीली स्थितियों के लिए एहतियात की जरुरत है। वाहन से यात्रा करने वाले लोगों को सतर्क रहने की जरूरत है। अपडेट के लिए मीडिया रिपोर्टों की निगरानी करें। स्थानीय मीडिया, सोशल मीडिया पर मौसम का पूर्वानुमान जानें। गर्जन-आकाशीय बिजली के समय सुरक्षित स्थानों पर शरण लें। पेड़ों के नीचे शरण ना लें तथा अपने वाहन को सुरक्षित स्थान पर रखें। संवेदनशील पहाड़ी इलाके और खड़ी ढलानों पर जाने से बचें। बाढ़ वाले क्षेत्र से गुजरने की कोशिश न करें। भारी बारिश के दौरान उफनती नदियों, धाराओं, नदियों और उनकी सहायक नदियों में तैरने या नौका विहार करने न जाएं। दूर-दराज के क्षेत्रों में भूस्खलन, फ्लैश फ्लड की चपेट में आने वाले सैन्य और अर्ध-सैन्य प्रतिष्ठानों, चौकियों को सतर्क रहना होगा। भारी वर्षा की अवधि के दौरान घरों, भवनों, पुलों, बांधों, सुरंगों आदि की निर्माण गतिविधियों को रोक कर रखें। किसानों को खेतों से पानी निकालने के लिए आवश्यक व्यवस्था करने की सलाह दी। कटी हुई उपज को सुरक्षित और सूखी जगह पर रखें।

भारी बारिश से इन प्रभावों की आशंका

संवेदनशील इलाकों में कहीं-कहीं चट्टान गिरने, भूस्खलन और बाढ़ के कारण सड़कों, राजमार्गों व पुलों पर आवागमन अवरुद्ध होंगे। सामुदायिक सेवाएं जैसे बिजली, पानी आदि कहीं-कहीं पर प्रभावित रहेंगे। कुछ दिनों के लिए कहीं-कहीं पर आपूर्ति और परिवहन प्रभावित रहेगा। कहीं-कहीं बिजली गिरने से जान-माल की हानि हो सकती है। लगातार भारी वर्षा के कारण बांधों, बैराजों से निस्सरण बढ़ सकता है जिससे नदियों के जलस्तर में वृद्धि हो सकती है। पिघलने वाली बर्फ पर गिरने वाली भारी बारिश से नालों और वर्षा जलधाराओं में जल प्रवाह में अचानक वृद्धि हो सकती है। तेज बारिाश से अचानक निचले इलाकों, पहाड़ों और सेंट में बाढ़ आ सकती है। कच्चे मकानों, सड़कों, दीवारों, झोपड़ियों और निर्माणाधीन भवनों, पुलों, सुरंगों आदि जैसे संवेदनशील ढांचों को क्षति पहुंचने की घटनाएं हो सकती हैं। निचले इलाकों में जलभराव की स्थिति, फिसलन भरी सड़कों और कोहरे, कम बादलों के चलते कम दृश्यता के कारण ड्राइविंग की कठिन स्थिति में यात्रा समय में थोड़ी वृद्धि होने की संभावना है। बागवानी, कृषि फसल जैसे चावल, मक्का, बाजरा, सेम, चना आदि और पौधरोपण व अनाज की गुणवत्ता को मामूली नुकसान हो सकता है। हवाई अड्डों से उड़ान संचालन प्रभावित हो सकती है। कहीं-कहीं बिजली गिरने से जान-माल की हानि, रेलवे परिचालन प्रभावित हो सकता है। जिला मुख्यालय, निजी और सरकारी संस्थान, स्कूल, अस्पताल, तीर्थ स्थल, पर्यटन स्थल भारी बारिश से प्रभावित हो सकते हैं।

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