• February 7, 2025

गुरुग्राम: …तुम मेरी धमनियों में रक्त बन बह रहे हो

 गुरुग्राम: …तुम मेरी धमनियों में रक्त बन बह रहे हो

यहां सेक्टर-82 स्थित साहित्यकार डॉ. नलिनी भार्गव के घर एक काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया। उनके शिक्षाविद् पिताजी रामेश्वर प्रसाद भार्गव के जन्मदिवस के अवसर पर यह गोष्ठी की गई। डॉ. नलिनी ने कहा कि पिताजी को जन्मदिवस पर शिक्षा से संबंधित कार्य द्वारा ही श्रद्धांजलि देना सच्ची श्रद्धांजलि हो सकती है। यहां पहुंचे कवियों ने काव्यपाठ किए।

सर्वप्रथम मांसरस्वती के सम्मुख दीप प्रज्वलित किया गया व कार्यक्रम आरंभ हुआ। बेहतरीन व सशक्त मंच संचालन, वरिष्ठ लेखक, संस्थापक महासचिव सुरूचि साहित्य कला परिवार के मदन साहनी द्वारा किया गया। वरिष्ठ कवि, लेखक व साहित्यकार त्रिलोक कौशिक ने सरस्वती वंदना से कार्यक्रम का आगाज किया। दूरदर्शन के पूर्व निर्माता, निर्देशक, मीडियाकर्मी, आलोचक और पूर्व उद्घोषक, कवि व साहित्यकार डॉ. अमरनाथ अमर का अमर काव्य पाठ हुआ। उन्होंने सुनाया-जब सूरज आग बरसाने लगे, कंठ प्यास से सूखने लगे, मन प्राण झुलसने लगे, जीवन की सारी ख़ुशियां, उमंगें मुरझाने लगें, तब तुम मुझे अपने आंचल की नम ठंडी छांव देना। लक्ष्मीशंकर बाजपेयी ने सुनाया-थक गया हूं उसको बुलाकर, जा बसा है जो दूर जा कर। रौनकें शहरी भुला कर, बस गया है गांव जा कर।

रामेश्वर प्रसाद भार्गव की नातिन शिवानी भार्गव ने सेक्यूलरिजम व तुष्टिकरण की राजनीति पर व पुत्री डॉ. नलिनी भार्गव ने पिता पर कविता पढ़ी। उन्होंने सुनाया-मां धरती तो तुम थे मेरा आसमान, मेरा अभिमान और स्वाभिमान। प्रसिद्ध कवयित्री ममता किरण ने सुनाया-कि वोह एक झूठ की दहलीज से लिखा कागज, हुआ जो पेश तो शर्मिंदा ही हुआ कागज। हिमांगी त्रैमासिक पत्रिका की संस्थापक व संपादक डॉ. सुनीति रावत ने कविता पढ़ी। कवयित्री व वनकाम हरियाणा की महासचिव शकुंतला मित्तल ने कविता पढ़ी। उन्होंने सुनाया-पिता ने सिखाया नदी की तरह बहो, लक्ष्य जब तक न मिले, शांत न रहो। वरिष्ठ कवि राजेश्वर वशिष्ठ, सुजीत, कवि हिरेन्द्र, कवयित्री रानी श्रीवास्तव, अनिल श्रीवास्तव, अनंत सप्रे ने कविता पाठ किया।

Digiqole Ad

Related Post

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *