असफल छात्र न हों निराश, डांटने-फटकारने से बचें अभिभावक: महावीर सिंह बिष्ट
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उत्तराखंड विद्यालयी शिक्षा परिषद की 10वीं व12वीं बोर्ड परीक्षा के परिणाम में असफल छात्रों को निराश नहीं होना चाहिए। असफल छात्रों के अभिभावकों से उत्तराखंड विद्यालयी शिक्षा परिषद रामनगर बोर्ड के सभापति महावीर सिंह बिष्ट ने आग्रह किया है कि कम नंबर से पास होने या फिर फेल होने वाले छात्रों को शर्मिंदा करने या उन्हें डांटने-फटकारने से बचे। अभिभावकाें को ऐसे छात्रों का हौसला बढ़ाने की जरूरत है।
उत्तराखंड विद्यालयी शिक्षा परिषद रामनगर बोर्ड के सभापति महावीर सिंह बिष्ट ने असफल होने वाले या कम अंक हासिल करने वाले छात्र-छात्राओं से कहा कि बेशक असफलता निराश और दुखी करती है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि आप आगे कुछ और नहीं कर सकते या फिर आपके भीतर कोई प्रतिभा है ही नहीं। आपके भीतर भी प्रतिभा है। जरूर है। बस आपको उसे पहचानने की जरूरत है। उन्होंने छात्रों से कहा कि अपने माता-पिता से झूठ बोलने, परीक्षा में नकल करके पास होने या अध्यापकों से बहाने बनाने की बजाय आप जैसे हैं, वैसे ही रहने की कोशिश करें। हां, बस आप अपने भीतर छिपे टैलेंट को पहचानने का पूरा प्रयास करें।
बिष्ट ने अभिभावकों और शिक्षकों से आग्रह किया कि असफल छात्र-छात्राओं को डांटने-फटकारने या उन्हें शर्मिंदा करने की बजाय यह समय उनके साथ खड़े होने का है। माता-पिता और अध्यापकों का यह फर्ज बनता है कि वे अपने बच्चों और विद्यार्थियों का एक समान ध्यान रखें। सभी बच्चे एक जैसी प्रतिभा के नहीं होते और सभी से एक ही तरह के परिणाम की भी उम्मीद नहीं की जा सकती।
इस संबंध में उत्तराखंड में हाईस्कूल में टॉप करने वाली प्रियांशी रावत का कहना है कि लड़कियां किसी भी तरह लड़कों से कम नहीं हैं। बस जरूरत कड़ी मेहनत करने की और उनका आत्मविश्वास बढ़ाने की है। सकारात्मक सोच और मेहनत के दम पर लड़कियां आसमान छू सकती हैं।
इन बातों का रखें ध्यान
– फेल होने पर बच्चे को डांटे-फटकारें नहीं, बल्कि उसे सांत्वना दें और उनका मनोबल बढ़ाने का प्रयास करें।
– हर तरह की रुचि से संबंधित विषयों की पढ़ाई और करियर विकल्प हैं उपलब्ध हैं, दबाव बनाना उचित नहीं है।
– बच्चाें के भीतर छिपी प्रतिभा को जानें और उसे उसी दिशा में आगे बढ़ने का मौका उपलब्ध कराएं।
– अगर आपके भीतर अपनी पहचान बनाने की जिद है तो कामयाबी जरूर मिलेगी।






