राम मंदिर आन्दोलन के समय बोलना कठिन था, मंदिर कब बनेगा : राजेन्द्र सिंह ‘पंकज’
श्रीराम मंदिर आन्दोलन जैसे-जैसे बढ़ता गया, सम्पूर्ण हिन्दू समाज एकजुट हो गया, लेकिन इस आन्दोलन के समय इतना विश्वास था कि मंदिर जरूर बनेगा, लेकिन कब बनेगा, इसे बताना बहुत कठिन था। इस आन्दोलन का पहला उद्धेश्य था हिन्दू संगठनों एवं आन्दोलनकारियों के प्रति हिन्दू समाज में विश्वास पैदा करना। यह बातें विश्व हिन्दू परिषद के केन्द्रीय मंत्री राजेन्द्र सिंह ‘पंकज’ ने हिन्दुस्थान समाचार से साक्षात्कार के दौरान कही।
उन्होंने कहा कि राम मंदिर आन्दोलन के प्रारम्भिक दिनों में उस समय चुनौती थी कि पूरे समाज में रामजी के प्रति भाव को कैसे जगाया जाय। इसे लेकर 07 अक्टूबर, 1984 को सरयू के तट पर संकल्प सभा हुई। प्रभु श्रीराम के प्रति जन-जन का भाव जगाने के लिए देश में 250 स्थानों से इस देश में राम जानकी रथ यात्राएं निकलीं। इन यात्राओं ने देश को माथा और समाज में वातावरण बनाने का काम किया। उन यात्राओं ने राम के भाव को जगाया और उसे राम मंदिर के साथ जोड़ा। लखनऊ के बेगम हजरत महल पार्क हुई विशाल सभा को पहला चरण कह सकते हैं। राम जानकी रथ यात्रा लखनऊ से दिल्ली पहुंचनी थी। 31 अक्टूबर 1984 को इंदिरा जी की हत्या हो गयी। यात्रा को बीच में रोकना पड़ा।
राम मंदिर आन्दोलन का उद्देश्य केवल जन्मभूमि पर मंदिर बनाने तक सीमित था?
सामाजिक कुरीतियों को दूर करने में राम मंदिर आन्दोलन का बहुत बड़ा योगदान रहा है। यह आन्दोलन राम जन्मभूमि मंदिर निर्माण के लिए तो जरूर था, लेकिन निमित्त वही था। हिन्दू समाज जो विभिन्न जातियों में विभिन्न सम्प्रदायों तथा विभिन्न पूजा पद्धतियों में यह जो अनेकता में एकता का भाव था। यह सिद्धान्त से तो ठीक था लेकिन समाज में दिखाई नहीं देता था। लेकिन राम मंदिर आन्दोलन ने हिन्दू समाज को एकसूत्र में बांधने का काम किया। अनेक होगा लेकिन एक भी है। हिन्दू हम सब एक है, इस भाव को प्रत्यक्ष स्थापित करके और प्रत्यक्ष दिखाकर अन्य लोगों को चेताया गया। पहली बार यह दिखाई पड़ रहा है कि सारा देश एकजुट होकर राम के साथ खड़ा हो गया है।
राम मंदिर को लेकर क्या मुस्लिमों की भावनाएं बदली हैं?
राम इस देश के महापुरूष हैं। हमारे ऐतिहासिक पुरूष हैं। हमारे आराध्य हैं। भगवान श्रीराम मर्यादा के महानायक भी हैं। श्रीराम धर्म के प्रतीक भी हैं। इस सत्य को उन्हें स्वीकार करना चाहिए और पड़ोसी की भावनाएं क्या हैं, उनका आदर करना चाहिए। बाबर एक विदेशी आक्रमणकारी था। वह भारत को बर्बाद करने आया था। उसने जन्मभूमि पर खड़े मंदिर को ध्वस्त किया था।
रामलला के लिए उपहार कहां-कहां से आये हैं?
सारा विश्व यह देख रहा है कि पूरा भारत कैसे राम के लिए मचल रहा है। नेपाल,मारीशस और थाईलैण्ड समेत विश्व में जहां-जहां हिन्दू हैं या राम को अपना मानने वाले हैं, वह सब कुछ न कुछ भेज रहे हैं। नेपाल के जनकपुर से तो सोने,चांदी के जेवरात समेत विभिन्न प्रकार के पोशाक,घर में उपयोग में आने वाली समस्त चीजें व अनेकों प्रकार के फल व मिठाइयां आयी हैं।
देश के समक्ष इस समय चुनौतियां क्या हैं?
अब देश के सामने एक चुनौती है। राम का मंदिर बन रहा है, लेकिन आन्दोलन की परिणति तब होगी जब राम मंदिर से राष्ट्र मंदिर का निर्माण होगा। राष्ट्र खड़ा होगा और सब प्रकार से समृद्धशाली होगा। इसके अलावा हिन्दू समाज की जो कुरीतियां हैं, ऊंच-नीच,छुआ-छूत इन सबसे पार पाना होगा। राम मंदिर आन्दोलन के दौरान हिन्दू समाज की कमियों के प्रति संतों ने इंगित किया। इंगित कर उस दृष्टि से सुधार लाने का कार्य किया गया, लेकिन अभी भी इस क्षेत्र में बहुत कुछ करना बाकी है।



