• October 16, 2025

‘न्याय चला निर्धन के द्वार’ को साकार करेगी राष्ट्रीय लोक अदालत

 ‘न्याय चला निर्धन के द्वार’ को साकार करेगी राष्ट्रीय लोक अदालत

गांधीवाद के सिद्धांत पर आधारित लोक अदालत गरीबों के लिए सस्ता व सुलभ न्याय का माध्यम है। वर्ष 2023 की अंतिम राष्ट्रीय लोक अदालत आगामी नौ दिसम्बर को लगेगी, जो न्याय चला निर्धन के द्वार को साकार करेगी। इससे वादकारियों को तारीख पर तारीख से मुक्ति मिलेगी ही, समय और पैसे की बचत होने के साथ त्वरित न्याय भी सुलभ होगा। लोक अदालत का सबसे बड़ा गुण निःशुल्क व त्वरित न्याय है। ये विवादों के निपटारे का वैकल्पिक माध्यम है।

‘लोक अदालत’ जैसा कि नाम से स्पष्ट है, आपसी सुलह या बातचीत की एक प्रणाली है। यह एक ऐसा मंच है, जहां सौहार्दपूर्ण तरीके से मामला निपटाया जाता है। लोक अदालत वैकल्पिक विवाद समाधान के सबसे प्रभावशाली उपकरण के रूप में सामने आया है। लोक अदालत का मकसद नागरिक के सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय को सुरक्षित करना है। साथ ही लोक अदालत वंचित और कमजोर वर्गों को निःशुल्क कानूनी सहायता प्रदान करने की वकालत करता है और समान अवसर के आधार पर न्याय को बढ़ावा देता है। लोक अदालत भारतीय न्याय प्रणाली की उस पुरानी व्यवस्था को स्थापित करता है, जो प्राचीन भारत में प्रचलित थी। इसकी वैधता आधुनिक दिनों में भी प्रासंगिक है।

यहां लगेगी अदालत

जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की ओर से दीवानी न्यायालय, परिवार न्यायालय, मोटर वाहन दुर्घटना अधिकरण न्यायालय, बाह्य न्यायालय चुनार, मड़िहान एवं चारों तहसील प्रागंण में आगामी नौ दिसम्बर को पूर्वाह्न 10 बजे राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन किया जाएगा।

अधिक से अधिक मुकदमों का होगा निस्तारण

जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के अध्यक्ष जनपद न्यायाधीश अनमोल पाल ने आगामी नौ दिसम्बर को प्रस्तावित राष्ट्रीय लोक अदालत को सफल बनाने के लिए समस्त न्यायिक, राजस्व व प्रशासनिक अधिकारियों को निर्देशित किया है कि विशेष तौर पर न्यायालय में लंबित आर्बीट्रेशन मामले, पारिवारिक-वैवाहिक, सिविल-बंटवारा, चेक बाउंस, लघु आपराधिक व ई-चालानी मुकदमों को सुलह-समझौते के आधार निस्तारण करा वादकारियों को लाभ पहुंचाएं। साथ ही लंबित प्री-लिटिगेशन व बैंक ऋण प्री-लिटिगेशन मामलों को अधिक से अधिक निस्तारित कराएं। राष्ट्रीय लोक अदालत के नोडल अधिकारी व अपर जनपद न्यायाधीश वायु नंदन मिश्र ने बताया कि पक्षकार अपने मुकदमों के निस्तारण के लिए संबंधित न्यायालय एवं विभागीय अधिकारी से संपर्क कर मामलों का निस्तारण करा राष्ट्रीय लोक अदालत का लाभ उठाएं।

डोर-टू-डोर बताएंगे लोक अदालत के लाभ

औपचारिक व्यवस्था से हटकर अपने मामलों को निपटाने के लिए जनता को प्रोत्साहित करने व न्याय वितरण प्रणाली में भाग लेने के लिए सशक्त बनाने के साथ सुनहरे अवसर का लाभ उठाने के लिए राष्ट्रीय लोक अदालत का व्यापक प्रचार-प्रसार किया जाएगा।

जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव व अपर जनपद न्यायाधीश लालबाबू यादव ने बताया कि राष्ट्रीय लोक अदालत के व्यापक प्रसार के लिए लखनऊ से आए प्रचार वाहन ग्राम व तहसील स्तर पर भ्रमण कर लोगों को जागरूक करेंगे। साथ ही पैरालीगल वॉलेंटियर बाजार, रेलवे स्टेशन, रोडवेज, मंडलीय चिकित्सालय, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों व डोर-टू-डोर लोक अदालत के लाभ बताएंगे।

लोक अदालत के लाभ

– लोक अदालत में नागरिक प्रक्रिया संहिता, 1908, और भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 1872 जैसे प्रक्रियात्मक कानूनों का कोई सख्त अनुप्रयोग नहीं है, इसलिए लचीलेपन के कारण लोक अदालतें तीव्र हैं।

– लोक अदालत द्वारा पारित एवार्ड को सिविल कोर्ट की डिग्री की तरह कानूनी मान्यता है। यह फैसले बाध्यकारी होते हैं और इनके खिलाफ अपील नहीं की जा सकती।

– लोक अदालत में कोई न्यायालय शुल्क नहीं है। यदि न्यायालय शुल्क का भुगतान पहले ही कर दिया गया है तो लोक अदालत में विवाद का निपटारा होने पर राशि वापस कर दी जाती है। यह गांधीवाद के सिद्धांत पर आधारित है।

– जो विवाद न्यायालय के समक्ष नहीं आए हैं, उन्हें भी प्री-लिटीगेशन स्तर पर बिना मुकदमा दायर किए ही पक्षकरों की सहमति से प्रार्थना पत्र देकर लोक अदालत में फैसला कराया जा सकता है।

Digiqole Ad

Rama Niwash Pandey

https://ataltv.com/

Related Post

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *