• December 30, 2025

एक किलो गोबर से बन रही पांच हजार रुपये तक की एंटीरेडिएशन चिप

 एक किलो गोबर से बन रही पांच हजार रुपये तक की एंटीरेडिएशन चिप

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के गौ सेवा के अवध प्रांत प्रमुख सर्वजीत ने कहा कि गांव से शहर में गौ सेवा का कार्य तेजी से बढ़ा है। हमारे गौ सेवा के कार्यकर्ता दिनरात मेहनत कर गोबर से गौ उत्पाद बना रहे हैं। एक किलो गोबर से पांच हजार रुपये तक का एंटीरेडिएशन चिप बनाया जा रहा है। एक किलो गोबर का उपयोग कर धूपबत्ती बनायी जाये तो उसकी कीमत ढाई हजार से कम नहीं होगी।

लखनऊ पश्चिम के बुद्धेश्वर नगर में सीएम पैराडाइज के सभागार में आयोजित पंचगव्य से प्रशिक्षण कार्यक्रम में सर्वजीत ने कहा कि उत्तर प्रदेश देशी गाय की 16 प्रजाति है। जय ललिता देवी, राधा और लक्ष्मी स्वरूपा गाय है। गाय में आठ लक्ष्मी स्वरूप का वास है। गोबर से लिपा हुआ घर पाॅजिटिव एनर्जी देता है। पहले के वक्त में घर गोबर से लिपा होता था।

पंचगव्य से मानव चिकित्सा संयोजक वेद गुप्ता ने कहा कि पोषक किरणें शरीर को चाहिए। जब विटामिन डी की कमी होती है तो उस व्यक्ति को धूप में बैठने के लिए कहा जाता है। गाय के गोबर के कंडे का उपयोग शुगर को कम करने के लिए किया जाता रहा है। वात, पित्त, कफ को गोमूत्र से ठीक किया जा सकता है।

उन्होंने कहा कि संकल्प लेकर गौमूत्र का सेवन करें। गौमूत्र का सेवन करने से उदर से जुड़ी तमाम बीमारी नहीं होती है। शुद्ध देशी घी से दस लाभ है। नाक में डालने से माइग्रेन नहीं होता है। बच्चों की हथेली पर गाय का घी लगाने से उन्हें सर्दी से बचाया जा सकता है। दही से मट्ठा बनाकर सुबह के वक्त पीने से ब्लड प्रेशर सामान्य हो जाता है। शुगर भी मट्ठा से नियंत्रित होता है। पहले के वक्त में पंचामृत में पंचगव्य हुआ करता था, जिसमें से दो चीजें निकल गयी। पहली गोमय और दूसरी गोमूत्र। इसके बदले में शहद और गंगाजल डाला जाने लगा।

कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे कृष्णावतार ने कहा कि गाय, गायत्री और यज्ञ का विशेष महत्व रहा है। आज भी पेय पदार्थ में दूध का सर्वाधिक उपयोग है। गाय से दूध मिलता है। ऋषि मुनि भी गाय के घी को जलाने के लिए कहते रहे। गोबर का विशेष महत्व है और इसका उपयोग शुद्धता लाने के लिए होता रहा है। जो पहले से होता आया है, उसे बदलने के कारण समस्याएं आयी हैं। पहले जैसे ही गोबर, गाय के दूध, घी का उपयोग होने लगे तो बहुत सारी समस्याएं अपने आप ही समाप्त हो जायेंगी।

कार्यक्रम में मुख्य रूप से विभाग संयोजक शरद, विभाग प्रशिक्षण संयोजक पवन, विभाग प्रशिक्षण संयोजिका आरती, प्रशिक्षक दिनेश, प्रशिक्षक नीलम, डाॅ.राकेश मिश्रा, डाॅ.अनुभव अग्रवाल, डाॅ.साधना वाल्मीकि, डाॅ.जाह्नवी पाण्डेय, नगर संघ चालक संजय जिंदल, प्रेमचंद्र दीक्षित मौजूद रहे। कार्यक्रम के आयोजक नगर संयोजक राम सिंह ने सभी जन का धन्यवाद किया। कार्यक्रम का संचालन सुबोध और समापन दुर्गेश ने किया।

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