• October 21, 2025

उत्पादों के मूल्यों में बदलाव के कारण कृषि में विविधीकरण लाना जरुरी- अरुण कुमार

 उत्पादों के मूल्यों में बदलाव के कारण कृषि में विविधीकरण लाना जरुरी- अरुण कुमार

स्वामी केशवानन्द राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय की ओर से “कृषकों की आय वृद्धि के लिए कृषि में विविधीकरण” विषयक दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का शुभारम्भ सोमवार को राज्यपाल कलराज मिश्र करेंगे।

कुलपति डॉ. अरुण कुमार ने रविवार को प्रेस-कांफ्रेंस में बताया कि जलवायु परिर्वतन, प्राकृतिक आपदा, टिड्डी प्रकोप, फसल उत्पादन एवं उपभोक्ताओं की खाद्य पदार्थो की मांग के अनुरूप उत्पादों के मूल्यों में बदलाव के कारण आज कृषि में विविधीकरण लाना आवश्यक हो गया है। किसान अपनी आमदनी बढ़ाने के लिए फसल उत्पादन के साथ बागवानी, वानिकी, पशुपालन, मत्स्य पालन, मधुमक्खी पालन, केंचुआ खाद की इकाई, कृषि उत्पादों के मूल्य संवर्धन की तकनीकों तथा संरक्षित खेती को अपनाए ताकि किन्ही कारणों से यदि पूरी फसल बर्बाद हो भी जाये तब भी आय के इन अतिरिक्त स्त्रोतों से आर्थिक सम्बल मिलता रहे।

संगोष्ठी समन्वय डॉ. आई. पी. सिंह ने कहा कि संगोष्ठी में फसल विविधीकरण से जुडे 9 विषयों पर 5 तकनीकी सत्र आयोजित किये जायेंगे। इन सत्रों में फसल विविधीकरण एवं एकीकृत कीट प्रबन्धन के सन्दर्भ में कृषि में जैव विविधता, घरेलू खाद्यान्नों में पोषण सुरक्षा, फसल विविधीकरण में पर्यावरण सुरक्षा व स्थिरता के मुद्दे, कृषि विविधीकरण में जोखिम कवरेज एवं रोजगार के अवसर, प्राकृतिक संसाधनों का प्रबन्धन, आय वृद्धि हेतु विभिन्न कृषि व्यवसाय, किसानों की आय वृद्धि हेतु नवाचार एवं स्टार्ट अप, फसल विविधीकरण से जुड़ी प्रसार गतिविधियां तथा कृषि विपणन में नवाचारों पर चर्चा होगी। इस अवसर पर कुलपति द्वारा संगोष्ठी की स्मारिका का विमोचन किया गया। आयोजन सचिव डॉ. पी.के. यादव ने बताया कि इस राष्ट्रीय संगोष्ठी में देश के 8 विभिन्न राज्यों से लगभग 200 वैज्ञानिक, शोधार्थी, सरकारी एवं गैरसरकारी संगठनों के नीति निर्धारक प्रतिनिधि, विद्यार्थी एवं प्रगतिशील किसान भाग लेंगे।

प्रेस कॉन्फ्रेंस में अनुसंधान निदेशक डॉ. पी.एस. शेखावत ने विश्वविद्यालय द्वारा किये गये कृषि विविधीकरण एवं कृषि शोध कार्यो की जानकारी देते हुए बताया कि विश्वविद्यालय ने कम अवधि में, कम पानी में पकने वाली बाजरा, चना, मोठ तथा मूंगफली की किस्में विकसित की हैं जो सूखारोधी होने के साथ-साथ स्थानीय जलवायु में अच्छी उपज देती हैं।

प्रसार शिक्षा निदेशक डॉ. सुभाष चन्द्र ने कहा कि संगोष्ठी में कृषि विविधीकरण पर अन्य राज्यों में किये गये प्रयासों के प्रस्तुतिकरण का लाभ हमारे वैज्ञानिकों व किसानों को मिलेगा। उपनिदेशक जन संम्पर्क कार्यालय, बीकानेर, हरि शंकर आचार्य ने कहा कि स्वामी केशवानन्द राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय कृषि में नवाचारों पर लगातार आयोजन कर यंहा के किसानों की जागरूकता एवं आर्थिक स्थिति में सकारात्मक बदलाव लाने की दिशा में सार्थक पहल कर रहा है।

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Rama Niwash Pandey

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