परमार्थ गुरुकुल के ऋषिकुमारों ने कला प्रतियोगिता से दिया गंगा संरक्षण का संदेश
परमार्थ निकेतन में गंगा पखवाड़ा के प्रथम दिन जनसमुदाय को गंगा के प्रति जागरूक करने के लिये चित्रकला प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। शनिवार को परमार्थ गुरुकुल के ऋषिकुमारों ने ड्राइंग के माध्यम से गंगा संरक्षण और गंगा को प्रदूषण मुक्त करने का संदेश दिया।
परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा कि सनातन संस्कृति से ही नदियां मां की तरह हमारा पालन-पोषण करती आ रही हैं। नदियों के कारण ही सभ्यताएं विकसित होती हैं और अनेक सभ्यताओं का विकास भी नदियों के तटों पर ही हुआ है। नदियों का कल-कल निनाद करता हुआ जल न केवल मनुष्य और धरती की प्यास बुझाता है बल्कि शान्ति व आनन्द की अनुभूति भी कराता है। नदियों के तटों पर ही हम सुकून और शांति की तलाश करते हैं।
स्वामी ने कहा कि नदियों का सांस्कृतिक, धार्मिक और आर्थिक महत्त्व है। नदियां जीवन और जीविका दोनों प्रदान करने वाली है। मनुष्य के जीवन के अनेक संस्कार नदियों के तटों पर ही सम्पन्न होते है और जीवन की अंतिम यात्रा भी नदियों की गोद में ही होती है। इसके बाद भी हम अपनी नदियों के प्रति जागरूक नहीं है, जिसके कारण वे प्रदूषित हो रही है। कई अविरल व सदानीरा नदियां भी विलुप्त होने की कगार पर है इसलिये नदी रूपी अनमोल खजाने को सहेजने के लिये हम सभी को गंभीर होना होगा।
स्वामी ने कहा कि नदियों का जल महत्वपूर्ण प्राकृतिक संसाधनों में से एक है और यह हमारे लिये अत्यंत आवश्यक भी है ,इसलिये नदियों को संरक्षित रखना हम सबका कर्तव्य है। नदियों को स्वच्छ बनाने के लिये सरकार महत्वपूर्ण कदम उठा रही हैं, लेकिन जब तक हम जागरूक नहीं होंगे और अपने स्तर पर उन्हें स्वच्छ रखने में पहल नहीं करेंगे, तब तक नदियां कभी भी पूरी तरह से स्वच्छ नहीं हो पाएंगी, इसलिये अपने-अपने स्तर पर अपने आस-पास की नदियों को स्वच्छ, प्रदूषण मुक्त व प्लास्टिक फ्री रखना आवश्यक है।
परमार्थ निकेतन में गंगा पखवाड़ा के अवसर पर विभिन्न विद्यालयों में अनेक जागरूकता कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है, ताकि युवा वर्ग अपने पर्यावरण व नदियों के प्रति जागरूक हो सके। आज परमार्थ गुरुकुल के ऋषिकुमारों ने ड्रांइग व स्लोगन के माध्यम से गंगा जी को प्रदूषण मुक्त रखने का संदेश दिया।




