संस्कृत भारती ने किया संस्कृत सप्ताह का शुभारम्भ
संस्कृत भारती उत्तरांचल महानगर की ओर से प्रदेश भर में संस्कृत सप्ताह का शुभारंभ किया गया। देहरादून में कार्यकर्ताओं ने यज्ञ और नगर में शोभायात्रा और जनसम्पर्क कर अभियान चलाया।
श्रावण पूर्णिमा रक्षाबंधन से तीन दिन पहले और तीन दिन बाद तक कुल सात दिन संस्कृत सप्ताह का आयोजन किया जाता है, जबकि रक्षाबंधन के दिन श्रावण पूर्णिमा को संस्कृत दिवस मनाया जाता है।
सात दिनों चल चलेंगे कार्यक्रम –
संस्कृत भारती के प्रान्तमन्त्री संजू प्रसाद ध्यानी ने बताया कि संस्कृत भारती इस वर्ष पूरे उत्तराखण्ड में प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में संस्कृत सप्ताह के कार्यक्रमों का आयोजन कर रही है। शोभायात्राएं, जनपद सम्मेलन, विचारगोष्ठी, जनसम्पर्क अभियान, और इसी प्रकार से अलग-अलग स्थानों पर कार्यक्रम निर्धारित किये गये हैं। पिथौरागढ़ में जनपद सम्मेलन, आईआईटी रूड़की में संस्कृत पुस्तक प्रदर्शनी, संस्कृत विज्ञान प्रदर्शिनी, संस्कृत शौभायात्रा राज्य के प्रत्येक जनपद में आयोजित होंगे।
देहरादून में पहले दिन यज्ञ और शोभायात्रा, दूसरे दिन जनसम्पर्क अभियान, तीसरे दिन संभाषण अभियान, चौथे दिन, संस्कृत कथा वाचन, पांचवें दिन संस्कृत संगोष्ठी, छठे दिन संस्कृत जन जागरण संवाद और सातवें दिन समापन समारोह का आयोजन किया जाएगा।
महंत कृष्णा गिरी ने संस्कृत भारती का किया सम्मान-
श्री टपकेश्वर मन्दिर और जंगम शिव मन्दिर के महंत कृष्णा गिरि महाराज ने संस्कृत भारती के कार्यकर्ताओं को संस्कृत भाषा के प्रचार प्रसार के लिए निरंतर प्रयास करने के लिए सम्मानित किया। इस दौरान महंत कृष्णा गिरी ने कहा कि संस्कृत भाषा भारतीय संस्कृति की वाणी है, संस्कृत भाषा में ही भारतीय संस्कृति समाहित है, इसकी रक्षा के लिए सभी को योगदान देना होगा। इस मौके पर संस्कृत भारती के प्रान्त मन्त्री संजू प्रसाद ध्यानी, न्यासी राकेश कुमार शर्मा, विभाग संयोजक नागेन्द्र व्यास, जिलामन्त्री डॉ. प्रदीप सेमवाल, महानगरमन्त्री माधव पौडेल सहित अनेक कार्यकर्ता शामिल हुए।
पहले दिन निकाली शोभायात्रा-
संस्कृत भारती की ओर से देहरादून महानगर के कार्यकर्ताओं ने नगर में संस्कृत भाषा के जनजागरण के लिए शोभायात्रा निकाली। पल्टन बाजार और अन्य विभिन्न स्थानों से होते हुए शोभा यात्रा घंटाघर पर समाप्त हुई।
पल्टन बाजार में जब शोभायात्रा गुजरी तो कार्यकर्ताओं ने उत्साह में अनेक जयघोष किये। वदतु – वदतु संस्कृतभाषा! जयतु जयतु संस्कृतभाषा! के जयघोष से पूरा पल्टन बाजार गूंज उठा।