मोहनपुर के शहीद थानाध्यक्ष नंदकिशोर यादव का पार्थिव शरीर पहुंचा गांव
मवेशी तस्करों के साथ मुठभेड़ के दौरान गोली लगने से शहादत को प्राप्त समस्तीपुर के मोहनपुर ओपी के थानाध्यक्ष नंदकिशोर यादव का पार्थिव शरीर रात के एक बजे अररिया के ओमनगर स्थित आवास पर लेकर समस्तीपुर पुलिस पहुंची।जिसके बाद रात के अंधेरे में सन्नाटों के बीच अचानक रूदन और क्रंदन की तेज आवाज से पूरा इलाका सिहर उठा।
अगल बगल के लोग रातए ही शहीद नंदकिशोर यादव के अररिया ओमनगर स्थित आवास की ओर दौड़े चले आए।रात में ही शहीद नंदकिशोर यादव के पार्थिव शरीर को अंतिम बार देखने के लिए भारी भीड़ उमड़ पड़ी।रोते बिलखते परिवार के सदस्यों को ढांढस बंधवाने के लिए अगल बगल के लोग जमा हो गए।वही आज सुबह शाहिद दरोगा का पार्थिव शरीर उनके गांव पलासी के दिघली पहुंची और वहां भी ग्रामीणों की भारी भीड़ उमड़ पड़ी। शहीद दरोगा नंदकिशोर यादव का आज अंतिम संस्कार उसके गांव दिघली में ही राजकीय सम्मान के साथ किया जायेगा।
तिरंगा में लिपटा जब मोहनपुर थानाध्यक्ष का शव उनके घर पर पहुंचा तो उसकी पत्नी अमृता देवी बदहवास हो उठी और चीत्कार फाड़ फाड़ कर रोने लगी।रोने के क्रम में सुध बुध खो बैठती और बेहोश होकर जमीन पर पद जाती।जिसके बाद ग्रामीण किसी तरह उसे ढांढस बांधते रहे। मां के साथ परिवार के अन्य सदस्यों को रोते देख शहीद के दोनों पुत्र हर्ष और यश भी रोते रहे।पार्थिव शरीर के अररिया पहुंचने पर सभी की आंखों नम है और ओमनगर सहित दिघली गांव के लोग अपने सपूत के शहादत से हतप्रभ हैं।गांव में मातमी सन्नाटा पसरा है।गांव के लोग हत्यारे मवेशी तस्कर पर कड़ी से कड़ी कार्रवाई करने की मांग कर रहे हैं।
शहीद मोहनपुर थानाध्यक्ष नंदकिशोर यादव दिघली गांव के स्व.सरजी लाल यादव के सबसे छोटे पुत्र थे। चार भाइयों में सबसे छोटा नंदकिशोर यादव पूरे परिवार को साथ लेकर चल रहे थे।फलस्वरूप उनकी शहादत से परिवार वालों पर दुख का पहाड़ आ गया है।2009 बैच में अवर निरीक्षक के पद पर इनकी नियुक्ति हुई थी।पूर्णिया के कई थाना में रहने के बाद उनका स्थानांतरण समस्तीपुर जिला पुलिस में हुआ था।इनकी शादी अररिया के जोकीहाट के बहारबाड़ी में 2010 में अमृता कुमारी से हुई थी और इनको दो पुत्र 9 वर्षीय हर्ष और 6 वर्षीय यश है।
उल्लेखनीय है की समस्तीपुर के मोहनपुर ओपी थानाध्यक्ष नंदकिशोर यादव की 14 अगस्त की रात पहले से घात लगाए मवेशी तस्करों से मुठभेड़ के क्रम में गोली लगने से हो गई थी।गोली लगने के बाद घायल अवस्था में पहले उन्हें बेगूसराय ले जाया गया था,जहां से फिर उन्हें पटना आईजीआईएमएस में भर्ती कराया गया,लेकिन उन्हें बचाया नहीं जा सका।गांव के वीर सपूत के खोने का गांव के लोगों को काफी मलाल है।क्योंकि जब भी गांव आते तो सबों के घर पर जाकर उसका कुशलक्षेम पूछने के साथ हरसंभव मदद किया करते।