भारत और फ्रांस के बीच 63,000 करोड़ रुपये की राफेल मरीन विमान डील पर मुहर
28 अप्रैल 2025 नई दिल्ली भारत ने अपनी नौसेना की ताकत को और बढ़ाने के लिए फ्रांस से 26 राफेल मरीन लड़ाकू विमानों की खरीद के लिए 63,000 करोड़ रुपये (लगभग 7.4 बिलियन डॉलर) की डील को अंतिम रूप दे दिया है। यह सौदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति (CCS) द्वारा हाल ही में मंजूर किया गया है। इससे भारतीय नौसेना की समुद्री युद्ध क्षमता में महत्वपूर्ण वृद्धि होगी।
सौदे की प्रमुख विशेषताएँ
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विमानों की संख्या और प्रकार: इस डील के तहत भारतीय नौसेना को 22 सिंगल-सीटर और 4 ट्विन-सीटर राफेल मरीन विमान प्राप्त होंगे।
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विमान वाहक पोतों पर तैनाती: ये विमान INS विक्रांत और INS विक्रमादित्य जैसे विमान वाहक युद्धपोतों पर तैनात किए जाएंगे।
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निर्माण और आपूर्ति समय: विमानों की डिलीवरी 2029 के अंत से शुरू होकर 2031 तक पूरी होने की उम्मीद है।
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निर्माता कंपनी: विमानों का निर्माण फ्रांस की डसॉल्ट एविएशन कंपनी द्वारा किया जाएगा।
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ऑफसेट दायित्व: इस सौदे में भारतीय कंपनियों के लिए कलपुर्जों और उपकरणों का निर्माण करने का अवसर भी शामिल है, जिससे स्वदेशी रक्षा उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा।
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प्रशिक्षण और समर्थन: फ्रांस भारतीय नौसेना के कर्मियों को विमान संचालन और मेंटेनेंस के लिए प्रशिक्षण प्रदान करेगा।
रणनीतिक महत्व
यह सौदा भारतीय नौसेना की समुद्री युद्ध क्षमता को मजबूत करेगा, विशेषकर पाकिस्तान और चीन के साथ बढ़ते सुरक्षा तनाव के बीच। राफेल मरीन विमानों की उन्नत तकनीक और हथियार प्रणालियाँ भारतीय नौसेना को समुद्र में बेहतर प्रदर्शन करने में सक्षम बनाएंगी। इसके अतिरिक्त, चीन की हिंद महासागर में बढ़ती सैन्य उपस्थिति के मद्देनजर यह सौदा रणनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है।
भारत-फ्रांस रक्षा संबंधों में मजबूती
यह सौदा भारत और फ्रांस के बीच रक्षा संबंधों को और मजबूत करेगा। इससे पहले भी दोनों देशों के बीच मिराज-2000 और स्कॉर्पीन श्रेणी की पनडुब्बियों जैसे महत्वपूर्ण रक्षा सौदे हो चुके हैं। राफेल मरीन सौदा इस साझेदारी की निरंतरता और मजबूती का प्रतीक है।
