30/10 के सीरियल बम धमाके के 15 वर्ष पूरे
असम के इतिहास में 30 अक्टूबर का दिन काला अध्याय के रूप में दर्ज है। इसी दिन को पूरे राज्य में काला दिवस के रूप में मनाया जाता है।
ज्ञात हो कि आज से 15 वर्ष पूर्व 30 अक्टूबर, 2008 को असम के विभिन्न स्थानों में प्रतिबंधित संगठन एनडीएफबी द्वारा सिलसिलेवार नौ स्थानों पर बम विस्फोट किये गये थे। विस्फोट में 81 लोगों की जान गयी थी, जबकि 540 से अधिक लोग घायल हुए थे। सबसे अधिक गुवाहाटी के तीन स्थानों फैंसी बाजार, पान बाजार और गणेशगुड़ी में हुए विस्फोट में 41 लोगों की मौत हुई थी। जबकि, अन्य लोगों की मौत कोकराझार, बरपेटारोड और बाक्सा जिले में हुई थी।
आज के दिन को असम के इतिहास में काला दिवस के रुप में मनाया जाता है। असम के इस सीरियल धमाके ने न केवल असम बल्कि, पूरे देश को दहला दिया था। देश में दर्ज दुखद घटनओं में असम की यह घटना सबसे दुखद घटना है। जिसमें काफी लोगों की मौत हुई थी और काफी लोग घायल हुआ थे।
इस मामले की जांच 2012 में सीबीआई को सौंपा गया। लेकिन, जांच की गति धीमी देखते हुए राज्य में पहली बार गठित भाजपा गठबंधन सरकार ने जांच को तेज करने के लिए 2017 में फास्ट ट्रैक कोर्ट का गठन किया। अंतः इस नरसंहार के लिए मुख्य आरोपित एनडीएफबी (रंजन) गुट के मुखिया रंजन दैमारी समेत 14 लोगों को दोषी करार दिया। फिलहाल अभी भी रंजन दैमारी जेल में बंद है।
आज भी इस घटना को याद कर लोग दहल उठते हैं। अनेकों लोग ऐसे हैं, जो आज जिंदा तो हैं, लेकिन उनका जीवन दूसरों के सहारे कट रहा है। जहां बड़ी संख्या में युवाओं के सिर से पिता का साया उठ गया, वहीं काफी संख्या में महिलाएं विधवा हो गयी। राज्य सरकार की ओर से आज के दिन को काला दिवस के रूप में याद करते हुए मृतकों को याद करने के लिए कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। इस वर्ष भी असम के विभिन्न स्थानों पर कार्यक्रमों का आयोजन किया गया है।
