संसद में आज ‘विकसित भारत जी राम जी’ विधेयक पेश करेगी सरकार, मनरेगा का नाम बदलने पर सियासी घमासान
नई दिल्ली: संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान आज केंद्र सरकार एक अहम विधेयक लोकसभा में पेश करने जा रही है। सरकार महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी अधिनियम (MGNREGA) का नाम बदलने के उद्देश्य से नया विधेयक सदन के पटल पर रखेगी। इस प्रस्तावित विधेयक को संक्षेप में ‘विकसित भारत जी राम जी (Viksit Bharat G Ram G)’ कहा जा रहा है। विधेयक का पूरा नाम है—‘विकसित भारत गारंटी रोजगार और आजीविका मिशन (ग्रामीण)’।
संसदीय कार्यसूची के अनुसार, लोकसभा में सुबह 11 बजे से प्रश्नकाल शुरू हुआ, जिसके बाद दोपहर 12 बजे सरकार यह विधेयक पेश करेगी। वहीं, राज्यसभा में भी आज कई महत्वपूर्ण विधायी कार्यों को निपटाने की योजना है। शीतकालीन सत्र के अब केवल चार कार्यदिवस शेष हैं, ऐसे में सरकार और विपक्ष के बीच तीखी बहस के संकेत पहले से ही दिखाई दे रहे हैं।
क्या है प्रस्तावित विधेयक?
केंद्र सरकार के इस विधेयक का उद्देश्य मनरेगा योजना के नाम में बदलाव करना है। मनरेगा, जिसे ग्रामीण भारत में रोजगार की गारंटी देने वाली सबसे महत्वपूर्ण सामाजिक सुरक्षा योजनाओं में गिना जाता है, वर्षों से महात्मा गांधी के नाम से जुड़ी हुई है। सरकार अब इस कानून को नए नाम और नए ढांचे के तहत प्रस्तुत करना चाहती है।
प्रस्तावित नाम ‘विकसित भारत गारंटी रोजगार और आजीविका मिशन (ग्रामीण)’ के जरिए सरकार का दावा है कि योजना को ‘विकसित भारत’ के लक्ष्य से जोड़ा जाएगा और ग्रामीण आजीविका को व्यापक दृष्टिकोण के साथ आगे बढ़ाया जाएगा।
विपक्ष का कड़ा विरोध, प्रियंका गांधी ने उठाए सवाल
इस विधेयक को लेकर विपक्ष ने पहले ही मोर्चा खोल दिया है। कांग्रेस पार्टी की ओर से लोकसभा में प्रियंका गांधी इस प्रस्ताव का विरोध करेंगी। संसद की कार्यवाही शुरू होने से पहले प्रियंका गांधी ने सरकार पर निशाना साधते हुए सवाल किया कि आखिर सरकार योजनाओं के नाम बदलने पर इतनी आमादा क्यों है।
प्रियंका गांधी ने कहा कि केंद्र सरकार को योजनाओं के नाम बदलने की “सनक” सवार हो चुकी है। उन्होंने यह भी कहा कि नाम बदलने से न तो योजनाओं की जमीनी हकीकत बदलती है और न ही आम जनता को कोई सीधा लाभ मिलता है। कांग्रेस का आरोप है कि सरकार महात्मा गांधी जैसे ऐतिहासिक व्यक्तित्व से जुड़े नामों को हटाकर राजनीतिक एजेंडा साधना चाहती है।
सियासी टकराव के आसार
मनरेगा देश की सबसे चर्चित और प्रभावशाली योजनाओं में से एक रही है। ग्रामीण रोजगार, पलायन रोकने और आर्थिक सुरक्षा प्रदान करने में इस योजना की बड़ी भूमिका रही है। ऐसे में इसके नाम में बदलाव को लेकर राजनीतिक विवाद स्वाभाविक माना जा रहा है।
विपक्षी दलों का कहना है कि सरकार को नाम बदलने के बजाय योजना के बजट, मजदूरी दर और समय पर भुगतान जैसे मुद्दों पर ध्यान देना चाहिए। वहीं, सरकार की ओर से यह तर्क दिया जा सकता है कि नया नाम और संरचना देश के विकास के दीर्घकालिक लक्ष्य को दर्शाते हैं।
शीतकालीन सत्र के आखिरी दिन अहम
संसद के शीतकालीन सत्र में अब केवल चार दिन की कार्यवाही शेष है। ऐसे में सरकार की कोशिश है कि अधिकतम विधायी कार्य पूरे किए जाएं। आज का दिन विशेष रूप से महत्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि लोकसभा और राज्यसभा दोनों में कई अहम मुद्दे सूचीबद्ध हैं।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि मनरेगा का नाम बदलने से जुड़ा यह विधेयक न केवल सामाजिक और आर्थिक बल्कि वैचारिक बहस को भी जन्म देगा। आने वाले दिनों में इस मुद्दे पर सदन के भीतर और बाहर तीखी राजनीतिक बयानबाजी देखने को मिल सकती है।
निष्कर्ष
मनरेगा का नाम बदलकर ‘विकसित भारत गारंटी रोजगार और आजीविका मिशन (ग्रामीण)’ करने का प्रस्ताव संसद में एक बड़े राजनीतिक विवाद की वजह बनता नजर आ रहा है। जहां सरकार इसे विकसित भारत के लक्ष्य से जोड़कर देख रही है, वहीं विपक्ष इसे प्रतीकात्मक राजनीति और नाम बदलने की कवायद बता रहा है। शीतकालीन सत्र के शेष दिनों में यह मुद्दा संसद की कार्यवाही का केंद्र बना रह सकता है।