बुलियन मार्केट में कोहराम: रिकॉर्ड शिखर छूने के बाद लुढ़की चांदी, सोने की चार दिनों की तेजी पर भी लगा ब्रेक
भारतीय और वैश्विक कमोडिटी बाजारों के लिए सोमवार का दिन ऐतिहासिक उतार-चढ़ाव का गवाह बना। पिछले कई सत्रों से बेलगाम भाग रही सोने और चांदी की कीमतों पर आखिरकार मुनाफावसूली का ब्रेक लग गया। रिकॉर्ड ऊंचाई को छूने के तुरंत बाद निवेशकों ने ऊंचे स्तरों पर अपनी पोजीशन काटना शुरू किया, जिसके चलते चांदी की कीमतों में करीब 3 प्रतिशत की भारी गिरावट दर्ज की गई। वहीं, चार दिनों से लगातार नया शिखर बना रहे सोने की चमक भी सोमवार को फीकी पड़ गई। बाजार विश्लेषकों का मानना है कि यह गिरावट किसी नकारात्मक खबर के कारण नहीं, बल्कि बाजार की ‘ओवरबॉट’ स्थिति और साल के अंत में पोर्टफोलियो को संतुलित करने के उद्देश्य से की गई बिकवाली का परिणाम है। इस भारी उथल-पुथल ने उन छोटे निवेशकों को चौंका दिया है जो लगातार तेजी की उम्मीद में बाजार में प्रवेश कर रहे थे।
चांदी में ऐतिहासिक अस्थिरता: 2.54 लाख का स्तर छूकर धड़ाम हुई कीमतें
सप्ताह के पहले कारोबारी दिन चांदी के बाजार में जो मंजर देखा गया, वह कमोडिटी ट्रेडिंग के इतिहास में विरल है। मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (MCX) पर कारोबार की शुरुआत बेहद आक्रामक रही। चांदी ने देखते ही देखते 2,54,174 रुपये प्रति किलोग्राम का नया लाइफटाइम हाई छू लिया। जैसे ही यह स्तर स्क्रीन पर फ्लैश हुआ, बाजार में भारी बिकवाली का दबाव (Profit Booking) शुरू हो गया। ऊंचे भाव पर टिकने में नाकाम रहने के बाद चांदी की कीमतों में तेज गोता देखने को मिला।
कारोबार के अंत तक चांदी का वायदा भाव अपने रिकॉर्ड हाई से 7,124 रुपये यानी करीब 2.97 प्रतिशत गिरकर 2,32,663 रुपये प्रति किलोग्राम के स्तर पर आ गया। बाजार की इस चाल को समझने के लिए पिछले एक हफ्ते के रुझान को देखना जरूरी है। पिछले केवल सात दिनों में चांदी ने करीब 15.04 प्रतिशत यानी 31,348 रुपये की अभूतपूर्व तेजी दिखाई थी। जानकारों का कहना है कि जब कोई धातु इतनी कम अवधि में इतनी बड़ी छलांग लगाती है, तो तकनीकी रूप से एक ‘करेक्शन’ या सुधार की गुंजाइश हमेशा बनी रहती है। सोमवार को हुई गिरावट उसी तकनीकी सुधार का हिस्सा मानी जा रही है।
सोने की चमक पड़ी फीकी: रिकॉर्ड शिखर से नीचे आया पीली धातु का भाव
चांदी की राह पर चलते हुए सोने में भी सोमवार को सुस्ती और गिरावट का रुख देखा गया। पिछले चार सत्रों से लगातार तेजी का नया कीर्तिमान स्थापित कर रहा सोना सोमवार को मजबूती के साथ खुला था, लेकिन बाजार के ऊपरी स्तरों पर टिकने की हिम्मत नहीं जुटा पाया। मुनाफे के लालच में निवेशकों ने सोने की होल्डिंग्स को बेचना शुरू किया, जिससे कीमतों में गिरावट आई।
एमसीएक्स पर सोने का वायदा भाव 1,497 रुपये यानी 1.07 प्रतिशत की कमजोरी के साथ 1,38,376 रुपये प्रति 10 ग्राम पर बंद हुआ। याद रहे कि बीते शुक्रवार को ही सोने ने 1,40,465 रुपये प्रति 10 ग्राम का अब तक का सबसे ऊंचा स्तर छुआ था। सोने की कीमतों में आई यह गिरावट वैश्विक कारकों और डॉलर की मजबूती से भी प्रेरित रही, हालांकि भारतीय बाजार में मुनाफावसूली मुख्य कारक बनकर उभरी।
क्यों आई यह भारी गिरावट: विशेषज्ञों का ‘ओवरबॉट’ विश्लेषण
बाजार में आई इस अचानक गिरावट की मुख्य वजहों को लेकर विशेषज्ञों की राय स्पष्ट है। एचडीएफसी सिक्योरिटीज में कमोडिटी के वरिष्ठ विश्लेषक सौमिल गांधी का कहना है कि यूरोपीय कारोबारी सत्र के दौरान सोने और चांदी की कीमतों में जो गिरावट देखी गई, वह पूरी तरह से तकनीकी थी। जब बाजार लंबे समय तक बिना किसी गिरावट के भागता है, तो वह ‘ओवरबॉट’ (अत्यधिक खरीद) की श्रेणी में आ जाता है। तकनीकी चार्ट्स पर आरएसआई (RSI) जैसे संकेतक यह बता रहे थे कि कीमतें अपनी वास्तविक वैल्यू से काफी ऊपर निकल चुकी हैं।
गांधी के अनुसार, व्यापारियों ने इस मौके का फायदा उठाकर अपना मुनाफा सुरक्षित किया है। इसके अलावा, चूंकि यह साल का अंतिम सप्ताह है, इसलिए बड़े संस्थागत निवेशक और फंड मैनेजर्स अपने ‘पोर्टफोलियो रि-बैलेंसिंग’ में जुटे हैं। साल के अंत में अपनी बैलेंस शीट को बेहतर दिखाने के लिए अक्सर मुनाफे वाली पोजीशन से बाहर निकलने का चलन रहता है, जिसका दबाव कीमती धातुओं की कीमतों पर साफ दिखाई दे रहा है।
वैश्विक बाजारों में भी मची हलचल: कॉमेक्स पर चांदी 4% से ज्यादा टूटी
भारतीय बाजारों की तरह ही वैश्विक कमोडिटी एक्सचेंज ‘कॉमेक्स’ (COMEX) पर भी कीमती धातुओं में भारी गिरावट दर्ज की गई। मार्च 2026 अनुबंध वाली चांदी अंतरराष्ट्रीय बाजार में 3.49 डॉलर यानी 4.51 प्रतिशत की भारी गिरावट के साथ 73.71 डॉलर प्रति औंस पर आ गई। दिलचस्प बात यह है कि इसी सत्र के दौरान चांदी ने पहली बार 80 डॉलर प्रति औंस के मनोवैज्ञानिक स्तर को पार किया था और 82.67 डॉलर का सर्वकालिक उच्च स्तर बनाया था, लेकिन वहां से हुई गिरावट ने निवेशकों को संभलने का मौका नहीं दिया।
सोने की बात करें तो अंतरराष्ट्रीय बाजार में फरवरी डिलीवरी वाला सोना 72.55 डॉलर यानी 1.59 प्रतिशत की गिरावट के साथ 4,480.15 डॉलर प्रति औंस पर कारोबार कर रहा था। हालांकि इंट्राडे में इसने 4,581.3 डॉलर का स्तर छुआ था, जो शुक्रवार के रिकॉर्ड हाई के बेहद करीब था, लेकिन अंततः यह दबाव झेल नहीं पाया और लाल निशान में आ गया।
निवेशकों के लिए आगे की राह: क्या यह गिरावट खरीदारी का मौका है?
बाजार के जानकारों का मानना है कि वर्तमान में बुलियन मार्केट में अस्थिरता (Volatility) बनी रहेगी। दिसंबर का महीना खत्म होने तक और नए साल की शुरुआत तक कीमतों में उतार-चढ़ाव देखने को मिल सकता है। विश्लेषकों का कहना है कि यह गिरावट बाजार के स्वास्थ्य के लिए अच्छी है क्योंकि इससे ‘बबल’ बनने का खतरा कम होता है।
लंबे समय के निवेशकों के लिए यह गिरावट एक ‘स्वस्थ सुधार’ (Healthy Correction) की तरह है। हालांकि, तकनीकी विश्लेषक अब भी सावधानी बरतने की सलाह दे रहे हैं क्योंकि ‘ओवरबॉट’ जोन से निकलने के बाद बाजार को फिर से स्थिर होने के लिए कुछ समय चाहिए। आने वाले दिनों में बुलियन की चाल वैश्विक आर्थिक आंकड़ों, अमेरिकी फेडरल रिजर्व के रुख और भू-राजनीतिक तनावों पर निर्भर करेगी। फिलहाल निवेशकों को बाजार में एकमुश्त निवेश करने के बजाय छोटे सुधारों का इंतजार करना चाहिए।
निष्कर्ष: बुलियन मार्केट में सर्तकता का समय
सोमवार की मुनाफावसूली ने यह साबित कर दिया है कि बाजार में तेजी कभी भी एक सीधी रेखा में नहीं चलती। रिकॉर्ड ऊंचाई को छूना गौरव की बात है, लेकिन बाजार की अपनी गतिशीलता होती है जो अंततः मांग, आपूर्ति और तकनीकी संकेतकों से तय होती है। सोने और चांदी की कीमतों में आई यह गिरावट व्यापारियों के लिए साल के अंत का एक ‘कूल-ऑफ’ पीरियड हो सकता है। अब सभी की निगाहें जनवरी के पहले सप्ताह पर टिकी हैं, जब नए फंड्स बाजार में आएंगे और कीमती धातुओं की अगली दिशा तय करेंगे।