बिहार चुनाव: नीतीश को झटका, पूर्व JDU सांसद RJD का दामन थामने को तैयार
पटना, 10 अक्टूबर 2025: बिहार विधानसभा चुनाव से ठीक पहले नीतीश कुमार की जनता दल यूनाइटेड (JDU) को बड़ा झटका लगने वाला है। पूर्णिया के पूर्व सांसद संतोष कुशवाहा आज राष्ट्रीय जनता दल (RJD) में शामिल हो सकते हैं, जो कुर्मी समुदाय के कद्दावर नेता हैं। यह कदम NDA गठबंधन के लिए नुकसानदेह साबित हो सकता है, खासकर जब संतोष धमदाहा सीट से JDU मंत्री लेसी सिंह के खिलाफ चुनाव लड़ने की तैयारी में हैं। RJD के साथ उनका जुड़ाव विपक्षी महागठबंधन को मजबूत कर सकता है। लेकिन क्या यह पार्टी-बदलाव बिहार की सियासत को नया मोड़ देगा? आइए, इस सियासी ड्रामे की पूरी कहानी जानते हैं।
पूर्व सांसद का बड़ा कदम: JDU से RJD की ओर रुख
बिहार विधानसभा चुनाव की सरगर्मियों के बीच पूर्णिया के पूर्व JDU सांसद संतोष कुशवाहा ने पार्टी छोड़ने का फैसला कर लिया है। वे आज दोपहर तीन बजे पटना में RJD का दामन थामने वाले हैं, जो महागठबंधन के लिए महत्वपूर्ण साबित हो सकता है। संतोष, जो 2014 और 2019 में पूर्णिया लोकसभा सीट से JDU के टिकट पर जीते थे, कुशवाहा-कुर्मी बिरादरी के प्रमुख चेहरे हैं। उनकी नाराजगी JDU में टिकट न मिलने और आंतरिक कलह से उपजी है। RJD ने उनका स्वागत करने की तैयारी कर ली है, और सीट बंटवारे की चर्चाओं में उनका नाम धमदाहा विधानसभा क्षेत्र से जोड़ा जा रहा है। यह स्थान पूर्वी चंपारण में आता है, जहां कुर्मी वोटरों का अच्छा खासा प्रभाव है। संतोष का RJD में शामिल होना न केवल JDU को कमजोर करेगा, बल्कि विपक्ष को सीमांचल क्षेत्र में मजबूत आधार देगा।
मंत्री लेसी सिंह पर निशाना: धमदाहा सीट पर सियासी जंग
संतोष कुशवाहा की RJD जॉइनिंग का सबसे बड़ा असर धमदाहा विधानसभा सीट पर दिखेगा, जहां वे बिहार सरकार के मंत्री और JDU के कद्दावर नेता लेसी सिंह के खिलाफ चुनाव लड़ने को तैयार हैं। लेसी सिंह, जो वर्तमान विधायक हैं, नीतीश कुमार की करीबी मानी जाती हैं और कुर्मी समुदाय से ही आती हैं। संतोष का यह कदम JDU के लिए व्यक्तिगत और राजनीतिक दोनों स्तर पर चुनौती है, क्योंकि दोनों नेताओं का प्रभाव एक ही बिरादरी में है। RJD ने संतोष को टिकट देने का संकेत दिया है, जो महागठबंधन की रणनीति का हिस्सा लगता है। इससे NDA गठबंधन में दरार की आशंका बढ़ गई है, खासकर जब JDU-BJP सीट बंटवारे पर चर्चा कर रहे हैं। संतोष ने कहा है कि वे जनता की आवाज बनकर लड़ेंगे, जो JDU की नीतियों के खिलाफ असंतोष को दर्शाता है। यह जंग कुर्मी वोटों को बांट सकती है और पूरे चुनाव पर असर डाल सकती है।
चुनावी रणनीति में बदलाव: NDA को नुकसान, विपक्ष को फायदा
बिहार में दो चरणों में होने वाले विधानसभा चुनाव—पहला चरण 6 नवंबर और दूसरा 11 नवंबर को—243 सीटों पर 14 नवंबर को नतीजे आएंगे। वर्तमान विधानसभा का कार्यकाल 22 नवंबर को समाप्त हो रहा है। संतोष कुशवाहा का RJD में जाना JDU को कुर्मी बिरादरी में कमजोर कर सकता है, जो नीतीश कुमार का पारंपरिक वोट बैंक है। RJD प्रमुख लालू प्रसाद यादव ने इसे विपक्षी एकता का प्रतीक बताया, जबकि JDU ने अभी कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी। महागठबंधन में सीट बंटवारे पर चर्चा तेज हो गई है, जहां RJD 144 सीटों पर दावा कर रही है। NDA में JDU-BJP-LJP के बीच तालमेल बनाना मुश्किल हो रहा है। संतोष का कदम अन्य असंतुष्ट नेताओं को प्रेरित कर सकता है, जो चुनावी समीकरण को उलट-पुलट सकता है। कुल मिलाकर, यह घटना बिहार की सियासत में नया अध्याय लिख रही है।
