बरेली में जुमा का सन्नाटा: नमाज से पहले सख्ती का पहरा
3 अक्टूबर 2025, बरेली: उत्तर प्रदेश के बरेली शहर में शुक्रवार की जुमा नमाज को लेकर हवा में तनाव का अहसास है। एक सप्ताह पहले हुए उपद्रव की कड़वाहट अभी ताजा है, और अब दशहरा उत्सव की तैयारी के बीच प्रशासन ने सुरक्षा का किला कड़ा कर लिया है। आठ हजार पुलिसकर्मी सड़कों पर तैनात हैं, ड्रोन आकाश में गश्त कर रहे हैं, और इंटरनेट पर 48 घंटे का पर्दा डाल दिया गया है। क्या यह सतर्कता शांति लाएगी, या सिर्फ डर का साया फैलाएगी? आइए, इस तनावपूर्ण माहौल की परतें खोलें।
ऊंची सतर्कता: 8000 पुलिसकर्मी, शहर को पांच सेक्टर में बांटा
बरेली को पांच सेक्टरों में विभाजित कर प्रत्येक के लिए एक एएसपी को जिम्मेदारी सौंपी गई है। 13 सीओ, 700 दारोगा, 2500 सिपाही समेत अन्य जिलों से बुलाई गई फोर्स चौराहों, मस्जिदों और संवेदनशील इलाकों में तैनात है। गुरुवार शाम से ही ये टीमें सक्रिय हो गईं। आठ ड्रोन टीमें आकाश से नजर रख रही हैं, जबकि 15 क्विक रिस्पॉन्स टीम (क्यूआरटी) और दंगा नियंत्रण उपकरणों से लैस यूनिटें तैयार हैं। स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत लगे 5000 से अधिक सीसीटीवी कैमरों से हर कोने पर पैनी नजर है। निषेधाज्ञा लागू होने से भीड़ जुटाने पर सख्ती की चेतावनी दी गई है—किसी भी उल्लंघन पर तत्काल कार्रवाई का ऐलान है।
इंटरनेट पर ब्रेक: अफवाहों को रोकने की कोशिश
गुरुवार दोपहर तीन बजे से शनिवार दोपहर तीन बजे तक—कुल 48 घंटे—बरेली में मोबाइल इंटरनेट, ब्रॉडबैंड और एसएमएस सेवाएं निलंबित कर दी गई हैं। प्रशासन का तर्क है कि सोशल मीडिया, व्हाट्सएप ग्रुप्स और अन्य प्लेटफॉर्म्स के जरिए अराजक तत्व माहौल खराब करने वाले संदेश फैला सकते हैं। यह कदम 26 सितंबर के उपद्रव के बाद लिया गया, जब अफवाहों ने आग में घी का काम किया था। शुक्रवार सुबह नौ बजे से संवेदनशील क्षेत्रों में ड्रोन निगरानी शुरू हो गई, जो किसी भी संभावित हलचल को तुरंत पकड़ लेगी।
उपद्रव की जड़ें: ‘आई लव मोहम्मद’ पोस्टर से भड़का विवाद
सब कुछ शुरू हुआ कानपुर के ‘आई लव मोहम्मद’ पोस्टर विवाद से। 26 सितंबर को इत्तेहाद-ए-मिल्लत काउंसिल के अध्यक्ष तौकीर के आह्वान पर जुमा नमाज के बाद भीड़ सड़कों पर उतर आई। हत्या के इरादे से पुलिस पर फायरिंग, पेट्रोल बम फेंके गए, जिसमें 22 पुलिसकर्मी घायल हुए। लाठीचार्ज से स्थिति काबू में आई, लेकिन उसके बाद तौकीर, नफीस, नदीम समेत 86 उपद्रवियों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया। इन पर पुलिस पर जानलेवा हमला, बलवा, सांप्रदायिक माहौल बिगाड़ने और लूट जैसे आरोप लगे हैं। उपद्रवियों के अवैध भवनों की सीलिंग और ध्वस्तीकरण की कार्रवाई भी तेज हो गई।
धार्मिक नेताओं की अपील: शांति बनाए रखें, राजनीति से दूर रहें
मंगलवार को दरगाह आला हजरत ने बयान जारी कर एकपक्षीय कार्रवाई न करने और निर्दोषों पर हाथ न डालने की चेतावनी दी। गुरुवार को आल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना शहाबुद्दीन रजवी ने मुसलमानों से अपील की कि जुमा नमाज के बाद घर लौट जाएं, किसी धरना-प्रदर्शन में हिस्सा न लें। उन्होंने कहा कि कुछ इमाम राजनीति में कूद पड़ते हैं, मस्जिदों से शांति का संदेश दें। पैगंबर ने कभी टकराव नहीं अपनाया, बल्कि समझौते का रास्ता चुना। जमात रजा-ए-मुस्तफा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सलमान हसन खान ने भी सहयोग की अपील की—शांति-सद्भाव बनाए रखें, भीड़ का हिस्सा न बनें।
शांति का संदेश: दशहरा और जुमा के बीच संतुलन
यह हाई अलर्ट न केवल उपद्रव की याद दिलाता है, बल्कि दशहरा जैसे त्योहार और धार्मिक आयोजनों के बीच शांति की जरूरत पर जोर देता है। प्रशासन की सख्ती और धार्मिक नेताओं की अपील से उम्मीद है कि बरेली में तनाव न फैले। लेकिन सवाल वही है—क्या यह सतर्कता लंबे समय तक शांति सुनिश्चित कर पाएगी, या सिर्फ अस्थायी राहत है? शहरवासी अब जुमा की नमाज का इंतजार कर रहे हैं, उम्मीद के साथ कि यह शांतिपूर्ण रहे।