प्रभात गुप्ता हत्याकांड में अजय मिश्रा टेनी समेत चारों आरोपी बरी
मोदी सरकार में मंत्री अजय मिश्रा टेनी को बड़ी राहत मिल गई है। हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने प्रभात गुप्ता हत्याकांड मामले में केन्द्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी को बरी किए जाने के खिलाफ दाखिल राज्य सरकार की अपील को खारिज कर दिया है। इसी के साथ न्यायालय ने सत्र अदालत द्वारा अजय मिश्रा टेनी को बरी किए जाने के फैसले को भी बरकरार रखा है।
इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने 23 साल पुराने प्रभात गुप्ता हत्याकांड से जुड़ा एक अहम फैसला सुनाया है। मामले में आरोपी केंद्रीय मंत्री अजय मिक्षा उर्फ टेनी को बरी करने के खिलाफ राज्य सरकार ने अपील दायर की थी।
इस पर कोर्ट ने अजय मिश्रा के पक्ष में फैसला सुनाया है। मामला लखीमपुर खीरी के छात्र नेता प्रभात गुप्ता की हत्याकांड से जुड़ा है। बीते 21 फरवरी को न्यायमूर्ति एआर मसूदी और न्यायमूर्ति ओमप्रकाश शुक्ल की खंडपीठ ने अपील पर फैसला सुरक्षित रखा था। 23 साल पहले 8 जुलाई साल 2000 को दिनदहाड़े बीच सड़क पर सपा से जुड़े प्रभात गुप्ता को लखीमपुर के तिकुनिया थाना क्षेत्रांतर्गत स्थित बनवीरपुर गांव में घेरकर उनपर गोलियां चलाई गई थीं। पहली गोली अजय मिश्रा ने उनकी कनपटी पर और दूसरी गोली सुभाष मामा ने सीधे उनके सीने में मारी जिससे मौके पर उन्होंने दम तोड़ दिया।
इस मामले में सुनवाई करते हुए लखीमपुर खीरी की अदालत ने 2004 में तकरीबन सभी आरोपियों को बरी कर दिया था। इन आरोपियों में केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्र टेनी, सुभाष मामा, शशि भूषण, राकेश डालू शामिल थे। लखीमपुर कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ 2004 में ही राज्य सरकार ने हाईकोर्ट में अपील दाखिल की थी। आरोपी अजय मिश्र टेनी सहित अन्य तीन आरोपियों को बरी करने के खिलाफ ये अपील दाखिल की गई थी।
केस में एफआईआर दर्ज होने के बाद केस लखीमपुर पुलिस से लेकर सीबीसीआईडी को ट्रांसफर कर दिया गया था। मृतक के परिवार की तत्कालीन सीएम रामप्रकाश गुप्ता से गुहार के बाद केस फिर सीबीसीआईडी से लेकर जांच के लिए लखीमपुर पुलिस को सौंपा गया था।इससे पहले इस मामले में तीन बार फैसला सुरक्षित रखा जा चुका है। 2018 में मार्च में सबसे पहले फैसला सुरक्षित रखा गया था। इसके बाद दूसरी बार नवंबर 2022 में फैसला सुरक्षित रखा गया। तीसरी बार फरवरी 2023 में फैसला सुरक्षित रखा गया था। आज इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ में जज एआर मसूदी और ओपी शुक्ला की बेंच ने अपना फैसला सुनाया है।