पश्चिम बंगाल चुनाव 2026: हुमायूं कबीर ने फूंका चुनावी बिगुल, टीएमसी से अलग होकर बनाई नई पार्टी; बालीगंज से पूर्व पुलिस अफसर मैदान में
कोलकाता: पश्चिम बंगाल में 2026 के विधानसभा चुनावों की आहट अभी से सुनाई देने लगी है। तृणमूल कांग्रेस (TMC) से निष्कासित होने के बाद कद्दावर नेता हुमायूं कबीर ने अपनी नई राजनीतिक पारी का आगाज कर दिया है। सोमवार को उन्होंने आधिकारिक तौर पर अपनी नई पार्टी ‘जनता उन्नयन पार्टी’ के गठन की घोषणा की। पार्टी के गठन के साथ ही कबीर ने अपनी आक्रामक रणनीति साफ कर दी है। उन्होंने विधानसभा चुनावों के लिए उम्मीदवारों की पहली सूची जारी कर दी है, जिसमें सबसे चर्चित नाम बालीगंज सीट से रिटायर्ड पुलिस अधिकारी अबू हसन का है।
बालीगंज से अबू हसन को टिकट: 24 घंटे में बदला उम्मीदवार
हुमायूं कबीर की पार्टी ने बालीगंज विधानसभा क्षेत्र के लिए अपनी रणनीति में अचानक बड़ा बदलाव किया है। पहले इस सीट से निशा चटर्जी को उम्मीदवार घोषित किया गया था, लेकिन नाम के एलान के महज 24 घंटे के भीतर ही उनका टिकट काट दिया गया। उनकी जगह अब सेवानिवृत्त पुलिस अधिकारी अबू हसन को चुनाव मैदान में उतारा गया है।
निशा चटर्जी को हटाए जाने के पीछे हुमायूं कबीर ने सोशल मीडिया इमेज का हवाला दिया। कबीर के अनुसार, निशा चटर्जी की सोशल मीडिया पर मौजूदगी और उनकी गतिविधियां पार्टी की विचारधारा और छवि के अनुरूप नहीं थीं। इसी कारण नेतृत्व ने तुरंत फैसला लेते हुए एक अनुभवी और प्रशासनिक पृष्ठभूमि वाले व्यक्ति पर भरोसा जताया।
पारिवारिक रिश्ते और राजनीतिक जिम्मेदारी
बालीगंज से नए उम्मीदवार अबू हसन और हुमायूं कबीर के बीच पारिवारिक संबंध भी हैं। कबीर ने स्पष्ट किया कि हसन उनके मामा नहीं, बल्कि उनकी मां के पहले चचेरे भाई (चचेरे मामा) हैं। उन्होंने कहा कि शुरू में हसन के बच्चों को उनके सक्रिय राजनीति में आने को लेकर कुछ चिंताएं थीं, जिन्हें कबीर ने बातचीत के जरिए दूर कर लिया है। कबीर ने आत्मविश्वास के साथ कहा कि अबू हसन की जीत सुनिश्चित करना अब उनकी व्यक्तिगत जिम्मेदारी है।
दूसरी ओर, अबू हसन ने राजनीति में अपने प्रवेश को लेकर बेहद सादगी भरा बयान दिया। उन्होंने कहा, “मैं मूल रूप से राजनीति का व्यक्ति नहीं हूं। मैंने अपना पूरा जीवन पुलिस विभाग को समर्पित किया है। लेकिन हुमायूं कबीर ने काफी जोर दिया कि मुझे समाज सेवा के इस नए मंच के जरिए चुनाव लड़ना चाहिए, इसलिए मैं तैयार हुआ हूं।” मूल रूप से राजनगर के रहने वाले हसन पिछले कई वर्षों से कोलकाता के बेकबागन इलाके में रह रहे हैं, जिससे उनकी स्थानीय पकड़ मजबूत मानी जा रही है।
100 से अधिक सीटों पर चुनाव लड़ने का एलान
हुमायूं कबीर को 4 दिसंबर को अनुशासनहीनता के आरोप में तृणमूल कांग्रेस से निलंबित किया गया था। सस्पेंशन के तुरंत बाद उन्होंने स्पष्ट कर दिया था कि वे टीएमसी की ‘गुलामी’ नहीं करेंगे और अपनी अलग राह चुनेंगे। कबीर ने घोषणा की है कि उनकी ‘जनता उन्नयन पार्टी’ आगामी विधानसभा चुनाव में राज्य की 100 से अधिक सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारेगी।
सोमवार को उम्मीदवारों के पहले जत्थे में 10 नामों की घोषणा की गई। दिलचस्प बात यह है कि हुमायूं कबीर ने खुद दो अलग-अलग सीटों से चुनाव लड़ने का फैसला किया है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि कबीर की यह नई पार्टी विशेष रूप से उन इलाकों में टीएमसी के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकती है, जहां अल्पसंख्यक मतदाता और कबीर का व्यक्तिगत प्रभाव अधिक है।
बंगाल की सियासत में नया समीकरण
2026 के चुनावों से पहले हुमायूं कबीर का यह कदम ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली टीएमसी के लिए एक बड़ी चुनौती बन सकता है। कबीर ने जिस तरह से पूर्व प्रशासनिक अधिकारियों और अनुभवी चेहरों को अपनी पार्टी से जोड़ा है, उससे साफ है कि वे एक गंभीर विकल्प के रूप में उभरना चाहते हैं। अब देखना यह होगा कि ‘जनता उन्नयन पार्टी’ बंगाल की द्विपक्षीय लड़ाई (TMC बनाम BJP) के बीच अपनी कितनी जगह बना पाती है। फिलहाल, बालीगंज जैसी हाई-प्रोफाइल सीट पर एक पूर्व पुलिस अधिकारी को उतारकर कबीर ने सत्ताधारी दल को कड़ा संदेश भेज दिया है।