गाजा को दो हिस्सों में बांटेगा अमेरिका:ग्रीन जोन पर इजराइल का कंट्रोल, इसे दोबारा बसाया जाएगा, फिलिस्तीन को खंडहर रेड जोन मिलेगा
वाशिंगटन, 16 नवंबर 2025: अमेरिका ने गाजा पट्टी को दो हिस्सों में बांटने की विवादास्पद योजना तैयार की है, जो मध्य पूर्व की राजनीति को नया मोड़ दे सकती है। द गार्डियन की रिपोर्ट के मुताबिक, पूर्वी हिस्से को ‘ग्रीन जोन’ बनाकर इजरायली और अंतरराष्ट्रीय सेनाओं के नियंत्रण में पुनर्निर्माण का केंद्र तैयार किया जाएगा, जबकि पश्चिमी ‘रेड जोन’ को खंडहर ही रहने दिया जाएगा। दो साल के संघर्ष के बाद 20 लाख फिलिस्तीनियों के विस्थापन के बीच यह प्लान स्थिरता का दावा करता है, लेकिन मानवीय संकट और क्षेत्रीय तनाव बढ़ाने का खतरा मंडरा रहा है। ट्रंप के पुराने शांति समझौते पर क्या असर पड़ेगा? आइए, इस योजना की परतें खोलें और समझें कि गाजा का भविष्य कैसे बदल सकता है।
अमेरिकी प्लान का खुलासा: स्थिरता या विभाजन?
अमेरिकी सैन्य दस्तावेजों के आधार पर तैयार यह योजना गाजा को ‘येलो लाइन’ के साथ दो जोनों में बांटती है। पूर्वी ग्रीन जोन में इजरायली सेना के साथ अंतरराष्ट्रीय सिक्योरिटी फोर्स (ISF) तैनात होगी, जहां पुनर्निर्माण शुरू होगा। द गार्डियन की 14 नवंबर 2025 की रिपोर्ट बताती है कि शुरुआत में सैकड़ों विदेशी सैनिक तैनात किए जाएंगे, जो संख्या 20,000 तक पहुंच सकती है। यूएनएससी से मंजूरी की कोशिश चल रही है, लेकिन रूस, चीन और अरब देश विरोध कर रहे हैं। पश्चिमी रेड जोन, जहां 80% से ज्यादा इमारतें तबाह हैं, को बिना पुनर्विकास के छोड़ दिया जाएगा। अमेरिकी अधिकारी इसे ‘एकजुट गाजा’ का पहला कदम बताते हैं, जहां विकास से फिलिस्तीनियों को आकर्षित किया जाएगा। लेकिन विशेषज्ञ इसे इराक-अफगानिस्तान की ‘ग्रीन जोन’ जैसी विफलता की याद दिलाता है, जहां स्थानीय आबादी अलग-थलग रह गई। यह प्लान ट्रंप के अक्टूबर 2025 शर्म अल-शेख समझौते को चुनौती देता है, जो एकीकृत गाजा की बात करता था।
ग्रीन जोन: सुरक्षा का किला, विकास का सपना
गाजा का पूर्वी हिस्सा ग्रीन जोन के रूप में इजरायल-समर्थित सुरक्षा का केंद्र बनेगा। यहां ISF के सैनिक केवल इस जोन तक सीमित रहेंगे, ताकि टकराव न हो। अमेरिकी प्लानर्स का मानना है कि पुनर्निर्माण से फिलिस्तीनियों को स्वेच्छा से यहां लाया जा सकेगा, जो हमास के प्रभाव को कम करेगा। रिपोर्ट्स के अनुसार, ग्रीन जोन में अस्पताल, स्कूल और आश्रयों का निर्माण होगा, लेकिन यह इजरायली नियंत्रण के अधीन रहेगा। यूरोपीय देशों से सैनिक मांगे जा रहे हैं, लेकिन इराक-अफगानिस्तान के अनुभव से हिचकिचाहट है। जॉर्डन जैसे देश, जहां आधी आबादी फिलिस्तीनी मूल की है, सहयोग से बच रहे हैं। यह जोन गाजा की आधी से ज्यादा जमीन कवर करेगा, लेकिन फिलिस्तीनियों के लिए यह ‘फोर्टिफाइड बुलबुला’ जैसा लगेगा—सुरक्षित मगर अलगावपूर्ण। विशेषज्ञ चेताते हैं कि बिना फिलिस्तीनी अथॉरिटी की भूमिका के यह स्थायी शांति नहीं लाएगा, बल्कि कब्जे को वैधता देगा।
रेड जोन का संकट: खंडहरों में फंसी आबादी
गाजा का पश्चिमी तटीय रेड जोन, येलो लाइन के पश्चिम में, दो साल की जंग का सबसे बुरा शिकार है। यहां 20 लाख फिलिस्तीनियों की भीड़ में बुनियादी सुविधाएं—पानी, बिजली, चिकित्सा—का अभाव है। अमेरिकी योजना के तहत यहां पुनर्विकास रुकेगा, ताकि सुरक्षा बनी रहे। द गार्डियन रिपोर्ट में कहा गया कि 1.5 मिलियन लोग इमरजेंसी शेल्टर का इंतजार कर रहे हैं, और इजरायल ‘ड्यूल-यूज’ सामान जैसे टेंट पोल्स पर रोक लगा रहा है। यह जोन गाजा की आधी से कम जमीन पर फैला है, जहां हमास का प्रभाव बरकरार है। मानवीय संगठन इसे ‘नॉट वॉर नॉट पीस’ की स्थिति बताते हैं—न जंग, न शांति। विस्थापित परिवार टेंटों में जी रहे हैं, और सहायता सीमित पहुंच रही है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह विभाजन जनसंख्या को दो वर्गों में बांट देगा: एक तरफ विकास, दूसरी तरफ विनाश। ट्रंप के 20-पॉइंट प्लान में ‘पीस बोर्ड’ का विचार था, लेकिन बिना इजरायल-हमास के हस्ताक्षर के यह योजना फिलिस्तीनियों के लिए नया संकट पैदा कर सकती है।