कांशीराम की पुण्यतिथि पर मायावती ने की योगी सरकार की तारीफ, अखिलेश यादव से पूछे तीखे सवाल; भाषण की 10 बड़ी बातें
लखनऊ, 9 अक्टूबर 2025: बसपा संस्थापक कांशीराम की पुण्यतिथि पर लखनऊ के कांशीराम स्मारक स्थल पर मायावती ने तीन घंटे की ऐतिहासिक रैली को संबोधित किया। 2 लाख से ज्यादा समर्थकों की मौजूदगी में मायावती ने 2021 के बाद पहली बार ऐसा बड़ा आयोजन किया, जो 2027 यूपी चुनावों की तैयारी का संकेत दे रहा। सपा-कांग्रेस पर जातिवादी होने का आरोप लगाते हुए उन्होंने गठबंधन से तौबा की, लेकिन योगी सरकार की तारीफ की। आकाश आनंद को पार्टी में वापसी का संदेश दिया। क्या यह बसपा का पुनरुद्धार है? रैली की 10 बड़ी बातें आगे।
1. गठबंधन से तौबा: 2027 चुनाव अकेले लड़ेंगी बसपामायावती ने साफ कहा कि 2027 यूपी विधानसभा चुनाव में बसपा किसी से गठबंधन नहीं करेगी। ‘पिछले गठबंधनों से वोट ट्रांसफर होता था, लेकिन फायदा नहीं। 2007 में अकेले बहुमत लाए, 67 सीटें ही मिलीं गठबंधन में। गठबंधन सरकारें लंबी नहीं चलतीं।’ यह ऐलान बसपा की स्वतंत्र रणनीति का संकेत, जो सपा-कांग्रेस गठबंधन को चुनौती देगा।
2. योगी सरकार की तारीफ: स्मारक रखरखाव पर वादा निभायामायावती ने योगी सरकार को धन्यवाद दिया कि कांशीराम स्मारक की मरम्मत कराई। ‘बसपा सरकार ने टिकट पैसे रखरखाव के लिए रखे, लेकिन सपा ने दबा लिए। मैंने योगी को चिट्ठी लिखी, उन्होंने वादा निभाया। अब भीड़ पहले से ज्यादा है, पुष्प अर्पित कर पाए।’ यह दुर्लभ तारीफ बीजेपी को नरमी का संकेत।
3. अखिलेश पर तीखा प्रहार: सत्ता में कांशीराम को भूले, अब गोष्ठी?अखिलेश यादव से सवाल: ‘सपा सरकार में कांशीराम नगर का नाम बदल दिया, यूनिवर्सिटी-हॉस्पिटल के नाम हटाए। चिट्ठी लिखी, लेकिन रखरखाव न किया। सत्ता से बाहर होकर PDA याद आता है।’ मायावती ने कहा, ‘पीड़ितों को याद करो, जब सरकार में थे तो क्यों भूले?’ यह सपा की ‘दलित विरोधी’ छवि पर हमला।
4. सपा पर गुमराह करने का आरोप: आरक्षण में पक्षपात, माफिया को बढ़ावा‘सपा अपनी स्वार्थी राजनीति में PDA से लोगों को गुमराह करती। सत्ता में आरक्षण में भेदभाव किया, माफिया-गुंडों को संरक्षण दिया, कानून व्यवस्था बिगाड़ी।’ मायावती ने सपा को ‘जातिवादी’ करार दिया, जो बहुजन वोट बांटने का हथकंडा।
5. आजम खान खबरों का खंडन: ‘मैं छुपकर नहीं मिलती’ आजम खान का नाम लिए बिना मायावती ने अफवाहें खारिज कीं: ‘पिछले महीने से खबरें फैलाईं कि दूसरे दलों से लोग बसपा में आ रहे, दिल्ली-लखनऊ में मुझसे मिले। मैं किसी से नहीं मिली, छुपकर तो बिल्कुल नहीं।’ यह सपा के साथ संभावित गठबंधन की अफवाहों पर कटाक्ष।
6. कांग्रेस पर निशाना: दलितों के लिए कुछ नहीं किया‘कांग्रेस ने कभी बाबासाहेब अंबेडकर और कांशीराम को सम्मान न दिया। यूपी सरकारों में दलितों की अनदेखी की। अब संविधान पर नाटक करते हैं।’ मायावती ने कांग्रेस को ‘दलित विरोधी’ बताया, जो वोट के लिए दिखावा करती।
7. बीजेपी पर झूठे वादे: दलितों को सशक्त बनाएं‘बीजेपी भी दलितों से झूठे वादे करती। बसपा को मजबूत कर केंद्र-प्रदेश में सत्ता लाएं। यूपी में बहुमत जरूरी, दूसरे राज्यों में भी बसपा को ताकत दें।’ यह बीजेपी की ‘दलित कल्याण’ नीतियों पर सवाल।
8. बसपा कमजोर करने की साजिश: बिकाऊ लोगों से सावधान‘देश में बसपा को कमजोर करने की साजिश—दलित समाज में स्वार्थी-बिकाऊ लोगों से नकली संगठन बनवाए। वोट बर्बाद न करें, बसपा को वोट दें ताकि यूपी में सरकार बने।’ मायावती ने चंद्रशेखर आजाद जैसे नेताओं पर अप्रत्यक्ष इशारा।
9. लव जिहाद पर नसीहत: सभी धर्मों का सम्मान, लेकिन परंपराएं बचाएं‘ सभी धर्मों का सम्मान करें, सदियों की परंपराओं का ध्यान रखें। लेकिन लव जिहाद जैसे कैंपेन न चलाएं।’ मायावती ने सामाजिक सद्भाव पर जोर दिया, जो बहुजन एकता का संदेश।
10. आकाश आनंद की तारीफ: पार्टी से जुड़े, सब खड़े रहें‘आकाश आनंद पार्टी से जुड़ गए, अच्छी बात। जैसे आप मेरे साथ खड़े रहे, वैसे आकाश के साथ रहें। आनंद कुमार ने भी बहुत काम किया।’ यह आकाश की 2024 में निष्कासन के बाद वापसी का संकेत, जो नेतृत्व परिवर्तन की आहट।
