ग्रेटर अफगानिस्तान का विवादित नक्शा: तालिबान का पाकिस्तान को खुला संदेश, लाहौर तक दावा
3 नवंबर 2025, काबुल: अफगानिस्तान-पाकिस्तान सीमा पर तनाव के बीच तालिबान ने एक ऐसा नक्शा जारी किया है, जो पुराने घावों को फिर से कुरेद रहा है। ‘ग्रेटर अफगानिस्तान’ का यह मानचित्र न सिर्फ डूरंड लाइन को नकारता है, बल्कि पाक के पश्तून इलाकों को अफगान धरती बताता है। खोस्त में उप गृह मंत्री को भेंट यह नक्शा सैन्य परेड और चेतावनियों से घिरा। क्या यह महज प्रतीक है या युद्ध की आहट? तालिबान की ‘लाहौर में झंडा फहराने’ वाली धमकी ने इस्लामाबाद को हिलाकर रख दिया। आइए, इस विवाद की परतें खोलें, जहां इतिहास और वर्तमान आपस में उलझ रहे हैं।
खोस्त का समारोह: नक्शे की भेंट और युवाओं का संदेश
पिछले हफ्ते खोस्त प्रांत में एक भव्य समारोह हुआ, जहां अफगान छात्रों ने तालिबान के उप गृह मंत्री मोहम्मद नबी ओमारी को ‘ग्रेटर अफगानिस्तान’ का नक्शा भेंट किया। यह नक्शा डूरंड लाइन को मिटाकर पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा, गिलगित-बाल्टिस्तान और बलूचिस्तान जैसे इलाकों को अफगान हिस्सा दिखाता है। समारोह में 18 साल से कम उम्र के बच्चे सैन्य वर्दी में शामिल हुए, जो तालिबान की युवा पीढ़ी में ‘देशभक्ति’ जगाने की कोशिश का संकेत। ओमारी ने इसे स्वीकार करते हुए कहा, “ये क्षेत्र ऐतिहासिक रूप से हमारे हैं।” वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया, जहां तालिबान समर्थक इसे ‘पश्तुनिस्तान’ की जीत बता रहे। लेकिन पाकिस्तान ने इसे ‘प्रॉक्सी वार’ का हिस्सा ठहराया। यह नक्शा सिर्फ कागज का नहीं, बल्कि क्षेत्रीय महत्वाकांक्षाओं का प्रतीक बन गया।
डूरंड लाइन का पुराना विवाद: ब्रिटिश निशान से तालिबान का इनकार
डूरंड लाइन—1893 में ब्रिटिश भारत और अफगानिस्तान के बीच खींची गई 2,640 किमी लंबी सीमा—हमेशा से विवाद का केंद्र रही। अफगानिस्तान इसे ‘कृत्रिम’ मानता है, जो पश्तूनों को बांटती है। तालिबान ने इसे कभी स्वीकारा नहीं, और 2021 में सत्ता में आने के बाद झड़पें बढ़ीं। अक्टूबर 2025 में पाकिस्तान ने काबुल, खोस्त और पक्तिका में हवाई हमले किए, TTP ठिकानों को निशाना बताते हुए। तालिबान ने जवाब में ‘ग्रेटर अफगानिस्तान’ का नक्शा जारी कर ऐतिहासिक दावे दोहराए। विशेषज्ञों का कहना है, यह ‘पास्टुनिस्तान’ की अवधारणा को जिंदा करता है, जो 1947 से पाकिस्तान को चुनौती देती रही। हाल के संघर्ष में 50 से ज्यादा मौतें, और दोहा में युद्धविराम तो हुआ, लेकिन नक्शा ने तनाव फिर भड़का दिया। क्या यह सीमा पर नई जंग की शुरुआत?
चेतावनी की धमकी: लाहौर तक झंडा, पाकिस्तान पर तालिबान का एलान
समारोह में ओमारी ने पाकिस्तान को कड़ा संदेश दिया: “अगर अफगानिस्तान पर हमला हुआ, तो सोवियत और अमेरिका की तरह जवाब देंगे।” सैन्य परेड में देशभक्ति गीत बजे, जिनमें ‘लाहौर में सफेद झंडा फहराएंगे’ और इस्लामाबाद को निशाना बनाने की बातें। तालिबान का दावा—पाकिस्तान ने अफगान मिट्टी का इस्तेमाल ‘स्ट्रैटेजिक डेप्थ’ के लिए किया। पाकिस्तान ने इसे ‘आतंकी प्रॉपगैंडा’ बताया, लेकिन TTP हमलों के बाद हवाई कार्रवाई जारी। दोहा वार्ता में युद्धविराम तो हुआ, लेकिन नक्शा ने शांति को खतरे में डाल दिया। विशेषज्ञ चेताते हैं, यह कदम क्षेत्रीय अस्थिरता बढ़ाएगा, खासकर CPEC प्रोजेक्ट्स पर। तालिबान की यह महत्वाकांक्षा पाकिस्तान के लिए सिरदर्द, और भारत के लिए अवसर—या खतरा?