गुरु नानक जयंती 2025: 5 नवंबर को मनाएं गुरुपर्व, जानें इतिहास और उत्सव की परंपरा
नई दिल्ली, 29 अक्टूबर 2025: सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव जी की जयंती, जिसे गुरुपर्व या गुरु पूरब कहते हैं, हर साल कार्तिक पूर्णिमा को मनाई जाती है। यह दिन समानता, प्रेम और सेवा का संदेश देता है। इस साल गुरु नानक जयंती 5 नवंबर 2025, बुधवार को है, जो उनकी 556वीं जन्म वर्षगांठ होगी। लेकिन यह तिथि 4 या 5 नवंबर क्यों विवादास्पद है? आइए, तीन हिस्सों में गुरुपर्व की सही डेट, इतिहास और उत्सव की परंपरा समझते हैं।
गुरु नानक जयंती 2025 की सही तिथि
गुरु नानक देव जी की जयंती कार्तिक पूर्णिमा को मनाई जाती है। इस साल पूर्णिमा तिथि 4 नवंबर की रात से शुरू होकर 5 नवंबर तक रहेगी। सिख परंपरा और पंचांग के अनुसार, मुख्य उत्सव 5 नवंबर, बुधवार को होगा। कुछ जगहों पर 4 नवंबर को प्रभात फेरी शुरू हो सकती है, लेकिन आधिकारिक गुरुपर्व 5 नवंबर को है। यह उनकी 556वीं जयंती होगी। गुरुद्वारों में अखंड पाठ 3 नवंबर से शुरू होगा, जो 5 नवंबर को समाप्त होगा। SGPC और दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमिटी ने भी 5 नवंबर की पुष्टि की है। यह दिन छुट्टी का है, जहां श्रद्धालु गुरु नानक के उपदेशों—”एक ओंकार सतनाम”—को याद करते हैं।
गुरु नानक देव जी का जन्म और उपदेश
गुरु नानक देव जी का जन्म 1469 में कार्तिक पूर्णिमा को तलवंडी (अब पाकिस्तान में ननकाना साहिब) में हुआ। उनके पिता मेहता कालू चंद और माता तृप्ता थीं। उन्होंने जाति-धर्म के भेदभाव मिटाने, समानता और सच्चाई का संदेश दिया। उनका मूल मंत्र: “ईश्वर एक है, उसका नाम सत्य है, वह निर्भय और निरवैर है।” उन्होंने उदासियां कीं, जहां हिंदू-मुस्लिम एकता पर जोर दिया। गुरु ग्रंथ साहिब में उनके 974 शबद हैं। गुरुपर्व पर उनके उपदेशों का स्मरण किया जाता है, जो प्रेम, सेवा और भक्ति सिखाते हैं। यह दिन सिखों के लिए सबसे बड़ा पर्व है, जो गुरु नानक को प्रथम गुरु मानते हैं।
गुरुपर्व कैसे मनाएं—परंपराएं और उत्सव
गुरुपर्व पर गुरुद्वारे फूलों, लाइटों से सजाए जाते हैं। सुबह प्रभात फेरियां निकलती हैं, जहां भजन-कीर्तन के साथ नगर भ्रमण होता है। अखंड पाठ, कीर्तन दरबार और लंगर का आयोजन होता है। लंगर में सभी बिना भेदभाव भोजन करते हैं, जो समानता का प्रतीक है। शाम को दीपमाला और आतिशबाजी होती है। घरों में कीर्तन और सेवा की जाती है। इस साल 5 नवंबर को गुरुद्वारों में विशेष कार्यक्रम होंगे। गुरु नानक के संदेश—”नानक नाम चढ़दी कला, तेरे भाने सरबत दा भला”—को अपनाएं। यह पर्व न केवल सिखों, बल्कि सभी के लिए प्रेरणा है।