बांग्लादेश में हिंदू सुरक्षाकर्मी की गोली लगने से मौत: मयमनसिंह की कपड़ा फैक्टरी में अंसार सदस्य की गई जान, अल्पसंख्यकों में दहशत का माहौल
ढाका/मयमनसिंह: बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों, विशेषकर हिंदू समुदाय के खिलाफ हिंसा और संदिग्ध मौतों का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। मयमनसिंह जिले में सोमवार शाम एक बेहद दर्दनाक और चौंकाने वाली घटना सामने आई, जहां एक कपड़ा फैक्टरी की सुरक्षा में तैनात 40 वर्षीय हिंदू अंसार सदस्य, बजेंद्र बिस्वास की गोली लगने से मौत हो गई। हालांकि पुलिस इसे एक दुर्घटना बता रही है, लेकिन देश में अल्पसंख्यकों के खिलाफ मौजूदा माहौल को देखते हुए इस घटना ने सुरक्षा व्यवस्था और अल्पसंख्यकों की जान-माल की हिफाजत पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
फैक्टरी परिसर में ‘गलती’ से चली गोली ने ली जान
यह दुखद घटना मयमनसिंह जिले के भालुका उपजिला अंतर्गत मेहराबाड़ी इलाके में स्थित ‘सुल्ताना स्वेटर्स लिमिटेड’ नामक कपड़ा फैक्टरी में हुई। सोमवार, 29 दिसंबर की शाम करीब 6:45 बजे, जब फैक्टरी में काम सामान्य रूप से चल रहा था, तभी वहां तैनात सुरक्षाकर्मियों के बैरक से गोली चलने की आवाज आई।
पुलिस की प्रारंभिक जांच के अनुसार, पीड़ित बजेंद्र बिस्वास फैक्टरी की सुरक्षा के लिए तैनात ‘अंसार’ (एक अर्धसैनिक बल जो सार्वजनिक सुरक्षा में मदद करता है) के सदस्य थे। वे मूल रूप से सिलहट सदर के कादिरपुर गांव के निवासी थे। बताया जा रहा है कि काम के दौरान ही उनके एक सहकर्मी से अचानक हथियार से फायर हो गया। गोली बजेंद्र की बाईं जांघ में लगी, जिससे उनका अत्यधिक रक्तस्राव होने लगा। उन्हें तुरंत नजदीकी अस्पताल ले जाया गया, लेकिन घाव गहरा होने के कारण डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।
मजाक-मजाक में चली सरकारी शॉटगन
घटना के समय बैरक में मौजूद अन्य सुरक्षाकर्मियों और चश्मदीदों ने जो जानकारी दी है, वह काफी चौंकाने वाली है। पुलिस के मुताबिक, उस समय बैरक में करीब 20 अंसार कर्मी मौजूद थे। बजेंद्र बिस्वास और उनका 22 वर्षीय सहकर्मी नोमान मियां एक साथ बैठे बातचीत कर रहे थे।
प्रत्यक्षदर्शियों का दावा है कि बातचीत के दौरान नोमान मियां ने कथित तौर पर ‘मजाक’ में अपनी सरकारी शॉटगन बजेंद्र बिस्वास की ओर तान दी। नोमान को अंदाजा नहीं था कि बंदूक लोडेड है और उसका ट्रिगर दब गया। अचानक हुई इस फायरिंग से वहां भगदड़ मच गई। पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए आरोपी नोमान मियां को गिरफ्तार कर लिया है और उससे पूछताछ की जा रही है कि क्या यह वाकई एक हादसा था या इसके पीछे कोई सोची-समझी साजिश थी।
अल्पसंख्यकों पर हमलों की बढ़ती श्रृंखला
बजेंद्र बिस्वास की मौत कोई इकलौती घटना नहीं है। पिछले कुछ हफ्तों में बांग्लादेश के विभिन्न हिस्सों में हिंदू समुदाय के लोगों को निशाना बनाने की कई जघन्य घटनाएं सामने आई हैं। महज कुछ दिन पहले ही इसी भालुका इलाके में एक और हिंदू युवक, दीपू चंद्र दास की बेरहमी से हत्या कर दी गई थी। आरोप है कि उसे पहले बुरी तरह पीटा गया, फिर निर्वस्त्र कर जिंदा जला दिया गया।
इसी तरह शनिवार को राजबारी जिले में अमृत मंडल नाम के एक हिंदू व्यक्ति को भीड़ द्वारा पीट-पीटकर मार डालने (लिंचिंग) की खबर आई थी। मयमनसिंह और आसपास के जिलों में अल्पसंख्यकों के खिलाफ बढ़ती इस हिंसा ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी चिंता पैदा कर दी है। मानवाधिकार संगठनों का कहना है कि बांग्लादेश में राजनीतिक अस्थिरता के बाद से हिंदू समुदाय के लोग लगातार डर के साये में जी रहे हैं।
सुरक्षा व्यवस्था पर उठते सवाल और दहशत का माहौल
बजेंद्र बिस्वास खुद एक सुरक्षाकर्मी थे, जिनकी जिम्मेदारी दूसरों की रक्षा करना था। उनकी इस तरह से हुई मौत ने अंसार बल और अन्य सुरक्षा एजेंसियों के भीतर अनुशासन और अल्पसंख्यकों की सुरक्षा को लेकर चिंताएं बढ़ा दी हैं। यदि एक हिंदू सुरक्षाकर्मी ही अपने कार्यस्थल पर सुरक्षित नहीं है, तो सामान्य नागरिकों की स्थिति का अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है।
स्थानीय हिंदू समुदाय के नेताओं ने इस घटना की निष्पक्ष जांच की मांग की है। उनका कहना है कि ‘मजाक में गोली चलना’ जैसे तर्क अक्सर गंभीर अपराधों को ढंकने के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं। इस घटना के बाद मेहराबाड़ी इलाके में तनाव व्याप्त है और लोग प्रशासन से दोषियों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई और हिंदू परिवारों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की गुहार लगा रहे हैं। बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के लिए यह घटना कानून-व्यवस्था बनाए रखने की एक और बड़ी चुनौती बनकर उभरी है।