• November 14, 2025

कठुआ के धरलान से 8 जुलाई को रवाना होगी श्री हुड माता की यात्रा

 कठुआ के धरलान से 8 जुलाई को रवाना होगी श्री हुड माता की यात्रा

श्री हुडमाता त्रिसंध्या की वार्शिक यात्रा इस बार 8 जुलाई से 16 जुलाई के बीच होगी। मां की त्रिशूल यात्रा कठुआ के धरलान विलेज से प्रारंभ होती है यात्रा आठ जुलाई की शाम को बेली चराना मंदिर में पहुंचेगी फिर वहां से 9 जुलाई को आगे किश्तवाड के सरकूट मंदिर तक जाएगी फिर आगे 10 जुलाई को सरकूट मंदिर से सौंदर दच्छन में राधा कृश्ण मंदिर तक जाएगी फिर उसके बाद 11 जुलाई को राधा कृश्ण मंदिर से दिलगूट उसके बाद 12 जुलाई को दिलगूट से गुगट और फिर गुगट से 13 जुलाई को राम मंदिर कईकूट तक जाएगी जबकि उसके बाद यात्रा 14 जुलाई को कुईकूट से हुड माता मंदिर, माता त्रिसंध्या मंदिर, मां दूध गंगा मंदिर व अंत में ब्रह्मसर में जाकर समाप्त होगी। यह मनोहरम तीर्थयात्रा एक दिव्य यात्रा है और माँ के प्रति तीर्थयात्रियों की श्रद्धा और आस्था का प्रतीक है। यात्रा किष्तवाड़ के सबसे खूबसूरत और मनोरम पर्वत श्रृंखलाओं से होकर गुजरती है। जिले में दच्छन तहसील मनमोहक व देखने लायक प्राकृतिक सुंदरता प्रदान करती है। भगवान ने घाटी को हरे-भरे जंगल, औषधीय जड़ी-बूटियाँ, झरने, नदियाँ और बर्फ से ढके पहाड़ उपहार में दिए हैं। श्री हुडमाता और त्रिसंध्या माता मंदिर विश्व प्रसिद्ध ब्रह्मा शिखर के आसपास लगभग 2900 मीटर यानि लगभग 9600 फीट की ऊंचाई पर स्थित हैं। ये धार्मिक स्थल जम्मू से लगभग 310 किलोमीटर दूर हैं। डांगधूरू से ब्रह्मसर तक पैदल यात्रा लगभग 42.5 किमी है। यह प्रकृति की झलकियों, आकर्षणों, पुराने मंदिरों, गुफाओं, मीठे पानी की धाराओं, झरनों और तीखी पर्वत चोटियों से भरा हुआ एक खजाना है। यात्रा का सबसे महत्वपूर्ण और प्रभावशाली पहलू देवी की अनूठी पवित्र गदा है जो रास्ते में तीर्थयात्रियों को शक्ति और प्रेरणा प्रदान करने के लिए आगे रहती है।

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Rama Niwash Pandey

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