अमेरिका में ‘नो किंग्स’ प्रोटेस्ट: ट्रंप की ‘राजशाही’ को चुनौती, क्यों है ये आंदोलन अनोखा?
वाशिंगटन, 16 अक्टूबर 2025: अमेरिका में सियासी तूफान उठने वाला है। 18 अक्टूबर को ‘नो किंग्स’ (कोई राजा नहीं) नामक राष्ट्रीय प्रदर्शन लाखों लोगों को सड़कों पर उतार देगा। यह सिर्फ एक विरोध नहीं, बल्कि लोकतंत्र की रक्षा का प्रतीक है, जो राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नीतियों को ‘तानाशाही’ करार देता है। 2,500 से ज्यादा जगहों पर होने वाले ये आयोजन 50 राज्यों, कनाडा, यूरोप और मैक्सिको तक फैलेंगे। शांतिपूर्ण और गैर-हिंसक होने के कारण ये अन्य आंदोलनों से अलग है। क्या ये प्रदर्शन ट्रंप सरकार को झकझोर देगा? या सिर्फ मीडिया हेडलाइंस बनकर रह जाएगा? आइए, इस आंदोलन की खासियतों को समझते हैं।
ट्रंप नीतियों के खिलाफ ‘नो किंग्स’: जून की सफलता से अक्टूबर का धमाका
नो किंग्स’ आंदोलन ट्रंप प्रशासन की ‘सत्तावादी’ नीतियों – जैसे सरकारी शटडाउन, स्वास्थ्य सुधारों में कटौती, आप्रवासन पर सख्ती और संघीय सेना का इस्तेमाल – के खिलाफ है। जून 14, 2025 को शुरू हुआ यह आंदोलन यूएस आर्मी की 250वीं वर्षगांठ और ट्रंप के 79वें जन्मदिन पर 2,100 शहरों में हुआ था, जहां 5 लाख से ज्यादा लोग उतरे। आयोजक 50501 (’50 स्टेट्स, 50 प्रोटेस्ट, 1 मूवमेंट’) ने ‘नो थ्रोन्स, नो क्राउन्स, नो किंग्स’ का नारा दिया। अब 18 अक्टूबर को दूसरा चरण है, जो सरकारी शटडाउन के बीच हो रहा है। वाशिंगटन डीसी, न्यूयॉर्क, बोस्टन, शिकागो, सैन फ्रांसिस्को और अटलांटा जैसे शहरों में लाखों जुटेंगे। आयोजक इंदिरिजिबल, ACLU, MoveOn और यूनियनों का गठबंधन है, जो ट्रंप को ‘राजा’ बनाने से रोकना चाहते हैं।
तिपूर्ण विरोध की ताकत: हथियार-मुक्त, डी-एस्केलेशन पर फोकस
‘नो किंग्स’ की सबसे बड़ी खासियत इसका गैर-हिंसक स्वरूप है। आयोजक हथियार लाने पर सख्ती से पाबंदी लगाएंगे, और तनाव की स्थिति में ‘डी-एस्केलेशन’ (तनाव कम करने) की ट्रेनिंग दी जा रही है। यह आंदोलन मार्च, अप्रैल, मई डे, इंडिपेंडेंस डे और लेबर डे जैसे पिछले प्रोटेस्ट्स का विस्तार है, लेकिन संगठित और प्रशिक्षित है। सुरक्षा, मीडिया स्ट्रैटेजी, नागरिक अधिकारों की जानकारी और कला-संगीत (जैसे चॉक आर्ट) का इस्तेमाल होगा। आयोजक कहते हैं, “यह अमेरिका को राजाओं से मुक्त रखने का संदेश है।” रिपब्लिकन स्पीकर माइक जॉनसन ने इसे ‘हेट अमेरिका रैली’ कहा, लेकिन आयोजक जवाब देते हैं, “सरकार जनता की है, न कि राजाओं की।” यह प्रोटेस्ट ट्रंप के जन्मदिन परेड को डुबोने जैसी रणनीति से अलग, व्यापक और जन-केंद्रित है।
लोकतंत्र की जंग: चुनौतियां, विवाद और भविष्य की योजनाएं
यह आंदोलन सिर्फ एक दिन का नहीं, बल्कि निरंतर प्रक्रिया है। नवंबर 2025 के ‘फॉल ऑफ फ्रीडम’ प्रोटेस्ट की योजना है, जो लोकतंत्र की रक्षा पर फोकस करेगा। चुनौतियां बड़ी हैं – भीड़ प्रबंधन, सुरक्षा, और आलोचनाओं का सामना, जहां इसे ‘एक्सट्रीमिस्ट’ या ‘विपक्षी साजिश’ कहा जा रहा है। लेकिन आयोजक ट्रेनिंग से लाखों को तैयार कर रहे हैं। मीडिया कवरेज से ट्रंप की नीतियां – जैसे स्वास्थ्य कटौती, प्रोटेस्ट पर सेंसरशिप – उजागर होंगी। यह आंदोलन अमेरिकी मूल्यों को याद दिलाता है: जनता सर्वोच्च है। क्या ये प्रदर्शन ट्रंप सरकार को झुकाएगा? या शटडाउन के बीच नया मोड़ लाएगा? 18 अक्टूबर का इंतजार ही राज खोलेगा।
