Women Power Triumphs in Patna: नीतीश के 5 तीरों ने चकनाचूर किए विपक्ष के सपने, एनडीए को मिली ऐतिहासिक जीत!
पटना (Patna) में बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के नतीजों ने राजनीतिक इतिहास रच दिया है। एनडीए (NDA) ने 200 से अधिक सीटों पर कब्जा जमाकर ऐतिहासिक जीत हासिल की, जबकि महागठबंधन (Mahagathbandhan) 37 सीटों पर सिमट गया। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) के ‘तरकश’ से निकले पांच ‘तीर’ – महिला-केंद्रित योजनाएं – ने इस जीत का आधार तैयार किया। रिकॉर्ड 71.78 प्रतिशत महिला मतदान ने एनडीए को मजबूत समर्थन दिया, जो पुरुषों के 62.98 प्रतिशत से कहीं आगे रहा। 10,000 रुपये की सीधी सहायता से लेकर ‘लखपति दीदी’ तक, इन योजनाओं ने महिलाओं का दिल जीत लिया। तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) के वादे फीके पड़ गए। क्या ये ‘तीर’ बिहार की राजनीति को हमेशा बदल देंगे? तो चलिए जानते हैं पूरा मामला क्या है, विस्तार से…
चुनावी पृष्ठभूमि: महिला वोट का उभार और एनडीए की रणनीति
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 को नीतीश कुमार (Nitish Kumar) के दो दशकों के शासन की परीक्षा माना जा रहा था। 6 और 11 नवंबर को दो चरणों में 243 सीटों पर हुए मतदान में कुल 66.91 प्रतिशत वोट पड़े, जो 2020 से 9.62 प्रतिशत अधिक था। चुनाव आयोग (Election Commission) के आंकड़ों के अनुसार, महिलाओं ने 71.78 प्रतिशत मतदान कर रिकॉर्ड बनाया, जो पुरुषों के 62.98 प्रतिशत से 8.8 प्रतिशत आगे था। यह ट्रेंड 2005 से चला आ रहा है, जब नीतीश ने महिला सशक्तिकरण पर जोर दिया। एनडीए ने विकास, सुशासन और महिला योजनाओं पर दांव लगाया, जबकि महागठबंधन ने जातिगत समीकरण और रोजगार वादों पर भरोसा किया। एग्जिट पोल्स ने एनडीए को 121-141 सीटें दीं, लेकिन रुझान 200 पार पहुंचे। सुपौल (Supaul), किशनगंज (Kishanganj) और मधुबनी (Madhubani) जैसे जिलों में महिलाओं की लंबी कतारें दिखीं, जो नीतीश सरकार के प्रति विश्वास का प्रतीक बनीं। यह चुनाव न केवल स्थानीय मुद्दों पर लड़ा गया, बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर ‘डबल इंजन’ सरकार की ताकत भी साबित हुई।
मुख्य घटनाक्रम: पांच ‘तीरों’ ने पलट दिया चुनावी समीकरण
वोट गिनती शुरू होते ही एनडीए ने धमाकेदार बढ़त बना ली। भाजपा (BJP) 88-95 सीटों पर, जनता दल यूनाइटेड (JDU) 77-84 पर, लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) 20-21 पर और अन्य सहयोगी 4-5 पर आगे। कुल 200 सीटों पर लीड ने 2010 की 206 सीटों वाली जीत को पीछे छोड़ दिया। नीतीश कुमार (Nitish Kumar) के पांच ‘तीर’ निर्णायक साबित हुए: पहला, 10,000 रुपये की सीधी सहायता (मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना) जो 1.41 करोड़ महिलाओं तक पहुंची; दूसरा, ‘लखपति दीदी’ कार्यक्रम जो स्वरोजगार और लोन से 25 लाख महिलाओं को सशक्त बनाया; तीसरा, जीविका समूह मॉडल जो ग्रामीण महिलाओं को आर्थिक रूप से जोड़ा; चौथा, बालिका साइकिल योजना और 50 प्रतिशत पंचायत आरक्षण; पांचवां, पुलिस भर्ती में 35 प्रतिशत कोटा। इनसे महिला वोट 45 प्रतिशत एनडीए के पक्ष में गया। तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) का रघोपुर (Raghopur) में संघर्ष जारी रहा, लेकिन ‘माई बहिन मान’ वादा फेल। यह ‘T-M = N+M’ फॉर्मूला विपक्ष को नेस्तनाबूद कर गया।
प्रतिक्रियाएं और बयान: मोदी का उत्साह, विपक्ष का सदमा
नतीजों पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने कहा, “बिहार की जनता ने सुशासन को चुना, नीतीश कुमार (Nitish Kumar) को बधाई।” अमित शाह (Amit Shah) ने ‘प्रचंड जीत’ बताते हुए राहुल गांधी (Rahul Gandhi) पर प्रहार किया, “विपक्ष के झूठ बेनकाब हो गए।” चिराग पासवान (Chirag Paswan) ने नीतीश को सीएम बनाने का ऐलान किया। जेडीयू (JDU) के नीरज कुमार (Neeraj Kumar) ने कहा, “नीतीश सामाजिक सुधारक हैं, एनडीए मजबूत बनेगा।” विपक्ष में तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) ने हार स्वीकारी, “महिलाओं ने नीतीश पर भरोसा जताया, हम विश्लेषण करेंगे।” अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने चुनाव आयोग (Election Commission) पर सवाल उठाए। डाउंटूअर्थ (Down to Earth) की रिपोर्ट में विशेषज्ञों ने महिला योजनाओं को ‘गेम चेंजर’ बताया। एनडीए कार्यालयों में जश्न, जबकि आरजेडी (RJD) मुख्यालय में सन्नाटा। लाइवमिंट (LiveMint) ने पांच कारणों में नीतीश-मोदी जोड़ी को ‘घातक’ कहा। यह जीत महिला सशक्तिकरण की मिसाल बनी।
वर्तमान स्थिति: नीतीश का रिकॉर्ड कार्यकाल, आगे की राह
गिनती पूरी होने के साथ एनडीए बहुमत के साथ सरकार गठन की तैयारी में है। नीतीश कुमार (Nitish Kumar) का पांचवां मुख्यमंत्री कार्यकाल तय, जो बिहार का रिकॉर्ड होगा। भाजपा (BJP) सबसे बड़ी पार्टी बनेगी, लेकिन जेडीयू (JDU) की भूमिका केंद्रीय रहेगी। महागठबंधन (Mahagathbandhan) की हार से कांग्रेस (Congress) और आरजेडी (RJD) कमजोर हुए। शपथ ग्रहण में पीएम मोदी (PM Narendra Modi) के शामिल होने की उम्मीद। आगे, महिला योजनाओं का विस्तार होगा – जैसे 1.90 लाख अतिरिक्त सहायता का वादा। प्राशांत किशोर (Prashant Kishor) की जन सुराज पार्टी (Jan Suraaj Party) शून्य पर सिमटी। द हिंदू (The Hindu) के अनुसार, गठबंधन एकजुटता ने वोट फ्रैगमेंटेशन को रोका। यह जीत बिहार को विकास की नई दिशा देगी, जहां सशक्त महिलाएं नेतृत्व चुनेंगी।