बसपा प्रमुख मायावती ने भाजपा और विपक्ष के गठबंधनों से अलग रहने की घोषणा की है। उन्होंने कहा है कि दोनों गठबंधनों में सिर्फ सत्ता के लिए आपसी तालमेल हो रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस के काल में सबसे ज्यादा दलितों का शोषण हुआ है।
बसपा प्रमुख मायावती ने बुधवार को कहा कि विपक्षी गठबंधन बीजेपी का विरोध कर रहा है। इनके पास कोई नीति नहीं है। सिर्फ ये सत्ता में आने के लिए लड़ाई लड़ रहे हैं। ये लोग केंद्र में आने के अपने-अपने दावे कर रहे हैं। जमीनी हकीकत है कि ये लोग जमीनी काम नहीं किये हैं।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस जातिवादी पार्टियों के साथ गठबंधन कर रही है, जबकि कांग्रेस के काल में सबसे ज्यादा शोषण हुआ है। वह सिर्फ सत्ता में आने के लिए इंडिया नाम से गठबंधन बनाया है। उन्होंने कहा कि बीजेपी की बातें और दावे खोखले हैं। इन पार्टियों में जन हितार्थ कम और राजनीतिक स्वार्थ ज्यादा दिखता है। दोनों ही गठबंधनों में सिर्फ सत्ता की लड़ाई है। इन्हें बहुजन के हित से कोई लेना-देना नहीं है। वह सिर्फ लोगों के साथ छलावा कर रही है। हम दोनों गठबंधनों से दूर रहेंगे।
मायावती ने आगे कहा कि लोकसभा चुनाव बेहद नजदीक हैं। NDA और विपक्षी पार्टियों के गठबंधन की बैठकों का दौर चल रहा है। एक तरफ NDA अपनी पूर्ण बहुमत की सरकार बनने की दलीलें दे रहा है। दूसरी तरफ, विपक्ष गठबंधन सत्ताधारी को मात देने की प्लानिंग कर रहे हैं। इसमें बसपा भी पीछे नहीं है।
कांग्रेस पार्टी, अपने जैसी जातिवादी और पूंजीवादी सोच रखने वाली पार्टियों के साथ गठबंधन करके फिर से सत्ता में आने की सोच रही है। सभी विपक्षी दलों की सोच एक जैसी है, यही कारण है कि BSP ने इनसे दूरी बनाई है।
मायावती ने कहा कि केंद्र की सरकार में BJP और कांग्रेस रही हैं। दोनों की सोच गरीब और वंचितों के लिए एक जैसी है। जमीनी हकीकत में उन्होंने कभी कोई ठोस काम नहीं किया। जब ऐसे लोग सत्ता से बाहर हो जाते हैं, तो वोट लेने के लिए बड़ी-बड़ी बातें करते हैं। इसलिए बसपा अकेले ही दलित और वंचितों के लिए काम कर रही है। अगर बसपा केंद्र की सत्ता में नहीं आती है तो भी दलित और अल्पसंख्यक समाज के लिए काम करती रहेगी।
मायावती ने कहा कि देश में महंगाई और बेरोजगारी को लेकर संसद सत्र में जवाबदेही का भी इंतजार रहेगा। देश हित से जुड़े इन मामलों का लगातार जटिल बने रहना बहुत ही दुखद है। इसका निदान निकालना बहुत ही जरूरी है। अब लोकसभा चुनाव से पहले संसद में सत्ता पक्ष और विपक्ष का टकराव से बेहतर विकल्प निकालना चाहिए।