Valentine Day Special : प्रेम की अद्भुत कहानी सुनकर दंग रह गए लोग, पत्नी की मौत के बाद भी 35 साल तक पति ने ऐसे रखा ज़िंदा…
Valentine’s Day : वैलेंटाइन डे के मौके पर यूँ तो आपको सैकड़ो प्रेमी जोड़े देखने को मिलेंगे। इसके साथ ही मिलेंगी प्यार की हजारों कहानियां , लेकिन आज जिस प्रेम की कहानी हम बताने जा रहे है वो आपको हैरान कर देंगी। यह कहानी 95 साल के भोलानाथ आलोक और उनकी दिवंगत पत्नी की है। भोलानाथ ने प्रेम का जो उदाहरण पेश किया वो कोई सच्चा प्यार करने वाला ही कर सकता है. भोलानाथ अपनी पत्नी को बहुत प्यार करते थे. लेकिन अफ़सोस उनकी पत्नी बहुत जल्द ही उन्हें छोड़कर चली गयी. लेकिन इसके बाद भी भोला ने हार नहीं मानी और अपनी पत्नी को 35 सालों तक ज़िंदा रखा. अब मन में उठने वाला सवाल यह है कि मरने के बाद भी कोई किसी को ज़िंदा कैसे रह सकता है? तो आइए जानते है क्या है यह कहानी ……
यह कहानी बिहार के पूर्णिया के रहने वाले स्व. साहित्यकार भोलानाथ आलोक की है. उनके एक प्रेम ने उनके प्रेम को अजर अमर कर दिया. भोलानाथ ने अपनी पत्नी के निधन पर प्रण लिया कि जिस दिन उनका निधन होगा. उसी दिन उनकी पत्नी के अस्थि कलश का उनके शव के ऊपर रखकर दाह संस्कार किया जाएगा. इसके लिए साहित्कार ने अपनी पत्नी की अस्थियों के तौर पर 35 सालों तक अपने साथ ज़िंदा रखा.
बताते है एक रात को उनकी पत्नी ने उनसे आकर कहा कि, आप मेरे बगल में सोइए, मैं सुहागन मरूंगी. वे पत्नी की इस बात को समझ नहीं सके कि आखिर इस तरह की बातें पद्मा क्यों कर रही है. उन्होंने जवाब दिया कि ऐसा कभी नहीं होगा, दोनों साथ जिएंगे और साथ मरेंगे. सुबह जब आंखें खुली तो पत्नी दुनिया को अलविदा कह चुकी थी. पत्नी की आकस्मिक मौत के बाद जैसे उनकी दुनिया ही उजड़ चुकी थी. लेकिन बच्चों के लिए उन्हें जीना था. भले ही वे एक साथ जी न सके. एक साथ मरे इसलिए पत्नी की अस्थियों को विसर्जित करने के बजाए पिछले 35 साल तक पत्नी की अस्थियों को उन्होंने संभालकर रखा, ताकि मौत के बाद दोनों एक साथ दुनिया से विदा हों जाए.
मरने के बाद भी रहना चाहते थे साथ तो किया कुछ ऐसा
भोलानाथ आलोक के दामाद अशोक सिंह बताते हैं कि , ”भोलानाथ आलोक का पत्नी के प्रति प्रेम ऐसा था कि वे जब तक जीवित रहे पत्नी की अस्थियां संभाल कर अपने मकान के बाउंड्री के अंदर आम के पेड़ पर बांधकर रखे हुए थे और सिर्फ अपने मृत्यु का इंतजार कर रहे थे. पिछले साल जून में साहित्यकार भोलानाथ आलोक की तबियत बिगड़ी और फिर 95 वर्ष की उम्र में वे दुनिया छोड़कर चले गए. उनकी इच्छा के मुताबिक, मौत के बाद उनकी छाती पर पत्नी की अस्थि कलश रखकर उनकी अंतिम यात्रा निकाली गई. वे कहते हैं बाबू जी हमेशा यह कहते थे कि अभी न सही लेकिन ऊपर जब ‘पद्मा’ से मिलूंगा तब यह तो बता सकूंगा कि मैंने अपना वादा निभाया.”
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”बाबू जी के प्रेम का नया अध्याय हुआ शुरू” : दामाद अशोक
इसके आगे बोलते हुए अशोक ने कहा कि, ”जमाने के नजर में भले ही बाबू जी की मौत के साथ दोनों की प्रेम कहानी का अंत हो गया हो. मगर सच कहे तो इस प्रेम कहानी का नया अध्याय शुरू हो गया. बाबू जी की मौत के बाद उनकी व मां की अस्थियों को सम्मिश्रित कर हमने उसी आम के पेड़ पर बांधकर रख दिया, जहां बाबू ने मां की अस्थियों को रखा था. बाबू जी अब इस दुनिया में नहीं, मगर बाबू जी के उस परंपरा को अब हमने कायम रखा है. घर के सभी सदस्य इस स्थान पर मत्था टेक कर ही घर में आते हैं या फिर बाहर जाते हैं. अस्थियों की पोटली देखकर हमें महसूस होता है वे हमारे पास ही हैं और ये पवित्र प्रेम कहानी जैसे फिर से लिखी जा रही है.”