असम में सेना कैंप पर ULFA(I) का ग्रेनेड हमला: 3 जवान घायल, 30 मिनट तक चली ताबड़तोड़ गोलीबारी
तिनसुकिया, 17 अक्टूबर 2025: असम के तिनसुकिया जिले के काकोपाथर में गुरुवार देर रात भारतीय सेना के कैंप पर अज्ञात हमलावरों ने ग्रेनेड और ताबड़तोड़ गोलीबारी से हमला कर दिया। इस भयावह घटना में 19 ग्रेनेडियर्स यूनिट के तीन जवान गंभीर रूप से घायल हो गए। हमला करीब 12:30 बजे शुरू हुआ और लगभग 30 मिनट तक चला, जिससे इलाके में दहशत फैल गई। स्थानीय लोग धमाकों की आवाज से जाग उठे। सेना और पुलिस ने तुरंत घेराबंदी कर ली, और हमलावरों की तलाश में व्यापक सर्च ऑपरेशन शुरू किया। संदेह ULFA (इंडिपेंडेंट) पर है, जो हाल के दिनों में सक्रिय हो रहा है। यह हमला पूर्वोत्तर में उग्रवाद की वापसी का संकेत दे रहा है। आइए, इस घटना के विभिन्न पहलुओं को समझते हैं।
कैंप पर ग्रेनेड हमला: 30 मिनट की गोलीबारी ने फैलाई दहशत
गुरुवार रात करीब 12:30 बजे काकोपाथर के सेना कैंप पर हमलावरों ने तीन अंडर बैरल ग्रेनेड लांचर (UBGL) से हमला किया। इसके बाद लगभग 30 मिनट तक ऑटोमैटिक हथियारों से गोलीबारी चली, जिसकी आवाजें दूर-दूर तक गूंजीं। 19 ग्रेनेडियर्स यूनिट के कैंप में कई ग्रेनेड फेंके गए, जिससे इमारतें और वाहन क्षतिग्रस्त हो गए। तीन जवान घायल हो गए, जिन्हें तुरंत अस्पताल पहुंचाया गया। उनकी हालत गंभीर बताई जा रही है। स्थानीय लोग डरे हुए हैं, क्योंकि काकोपाथर कभी उग्रवाद का हॉटस्पॉट था, लेकिन हाल के वर्षों में शांत था। हमलावरों ने एक ट्रक का इस्तेमाल किया, जो बाद में अरुणाचल प्रदेश के तेंगापानी में परित्यक्त मिला। उसमें हथियारों के अवशेष और ग्रेनेड के टुकड़े पाए गए। सेना ने जवाबी कार्रवाई की, लेकिन हमलावर अंधेरे का फायदा उठाकर भाग निकले।
ULFA(I) पर संदेह: पूर्वोत्तर में उग्रवाद की नई लहर?
अभी तक किसी संगठन ने जिम्मेदारी नहीं ली, लेकिन सुरक्षा एजेंसियां ULFA (इंडिपेंडेंट) पर शक कर रही हैं। यह गुट हाल ही में इंडो-म्यांमार बॉर्डर पर अपने सदस्यों की मौत के बाद सक्रिय हो गया है। हमला काकोपाथर सेना कैंप पर बदले की कार्रवाई लगता है। इससे पहले बुधवार को NSCN (K-YA) उग्रवादियों ने अरुणाचल प्रदेश के चांगलांग जिले के हटमां गांव में असम राइफल्स कैंप पर हमला किया था, जिसमें दो जवान घायल हुए। पूर्वोत्तर में उग्रवाद कम हो रहा था, लेकिन ये घटनाएं चिंता बढ़ा रही हैं। असम पुलिस और सेना का मानना है कि हमलावर स्थानीय थे, और बॉर्डर पार से समर्थन मिला। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने अलर्ट जारी किया है, और इंटेलिजेंस एजेंसियां नेटवर्क ट्रैक कर रही हैं। क्या ये हमले शांति प्रक्रिया को पटरी से उतार देंगे?
घेराबंदी और सर्च ऑपरेशन: इलाके में हाई अलर्ट
हमले के तुरंत बाद सेना और पुलिस ने काकोपाथर और आसपास के इलाकों की घेराबंदी कर ली। नागरिकों की आवाजाही रोक दी गई, और चप्पे-चप्पे पर सिक्योरिटी फोर्स तैनात हैं। व्यापक सर्च ऑपरेशन चल रहा है, जिसमें ड्रोन और थर्मल इमेजिंग का इस्तेमाल हो रहा है। स्थानीय लोगों को घरों में रहने की सलाह दी गई है। तिनसुकिया SP ने कहा, “हमलावरों को जल्द पकड़ लिया जाएगा।” सेना ने कैंप की सुरक्षा बढ़ा दी है, और बॉर्डर पर निगरानी तेज कर दी गई है। यह घटना असम में सुरक्षा चुनौतियों को उजागर कर रही है, जहां ULFA जैसे गुट अभी भी सक्रिय हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि सिविलियन सहयोग और इंटेलिजेंस शेयरिंग से ऐसी घटनाओं को रोका जा सकता है। बिहार चुनावों के बीच पूर्वोत्तर की यह घटना राष्ट्रीय सुरक्षा पर सवाल खड़ी कर रही है।
