ट्रंप का चेहरा डॉलर सिक्के पर? रोमन इतिहास की तरह गणतंत्र का खतरा?
वाशिंगटन, 11 अक्टूबर 2025: अमेरिका की आजादी की 250वीं वर्षगांठ पर एक डॉलर के सिक्के पर राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का चेहरा छापने का प्रस्ताव बहस का केंद्र बन गया है। एक तरफ ट्रंप समर्थक इसे ‘अमेरिकी आत्मा का प्रतीक’ बता रहे हैं, वहीं आलोचक इसे रोमन गणतंत्र के पतन की याद दिलाते हैं। 2000 साल पहले सुल्ला और जूलियस सीजर ने जीवित रहते सिक्कों पर अपना चेहरा छापा था, जिसके बाद रोम की लोकतांत्रिक व्यवस्था चरमरा गई। क्या ट्रंप का सिक्का भी अमेरिकी लोकतंत्र को चुनौती देगा? आइए, इस विवादास्पद प्रस्ताव और रोमन इतिहास की पूरी कहानी जानते हैं।
ट्रंप सिक्के का डिजाइन: चेहरा एक तरफ, मुट्ठी दूसरी तरफ
ट्रेजरी विभाग ने 3 अक्टूबर 2025 को सिक्के का ड्राफ्ट डिजाइन जारी किया, जिसमें एक तरफ (ओबवर्स) ट्रंप का प्रोफाइल चेहरा होगा, ‘IN GOD WE TRUST’ के साथ 1776-2026 की तारीखें। दूसरी तरफ (रिवर्स) उनकी मुट्ठी उठाए तस्वीर होगी, ‘फाइट, फाइट, फाइट’ के नारे के साथ। यह सिक्का 2026 में अमेरिका की स्वतंत्रता संग्राम की 250वीं वर्षगांठ (सेमीक्विसेंटीएनियल) का प्रतीक बनेगा। यूएस ट्रेजरर ब्रैंडन बीच ने एक्स पर ड्राफ्ट शेयर कर कहा, “ये ड्राफ्ट रियल हैं, अमेरिकी लोकतंत्र की आत्मा को दर्शाते हैं।” हालांकि, ट्रेजरी स्पोक्सपर्सन ने स्पष्ट किया कि फाइनल डिजाइन चुनना बाकी है। 2020 का सर्कुलेटिंग कलेक्टिबल कॉइन रीडिजाइन एक्ट (ट्रंप द्वारा साइन) इसकी अनुमति देता है, लेकिन कानून में जीवित व्यक्ति की तस्वीर पर पाबंदी है—सिर्फ मृतकों की अनुमति। डेमोक्रेट्स ने इसे ‘राजशाही की ओर कदम’ बताया, जबकि ट्रंप समर्थक ‘ट्रंप की विरासत’ का प्रतीक मानते हैं।
रोमन गणतंत्र का सबक: सुल्ला का पहला कदम
प्राचीन रोम में सिक्कों पर जीवित लोगों की तस्वीरें छापना गणतंत्र (509 ईसा पूर्व से) की पवित्र परंपराओं के खिलाफ था। सिक्कों पर देवी-देवता या पौराणिक चित्र होते थे। लेकिन 82 ईसा पूर्व में जनरल लूसियस कॉर्नेलियस सुल्ला ने इसे तोड़ा। सुल्ला ने 88 ईसा पूर्व में अपनी सेना से रोम पर कब्जा किया, गृहयुद्ध जीता और 82-79 ईसा पूर्व तक तानाशाह बने—सामान्य 6 महीने की बजाय। उन्होंने दुश्मनों की ‘प्रॉस्क्रिप्शन लिस्ट’ बनाई, जिसमें हजारों की हत्या और संपत्ति जब्ती हुई। उसी साल एक चांदी का डेनैरियस सिक्का जारी हुआ, जिसमें सुल्ला चार घोड़ों वाले रथ में दिखे—पहली बार जीवित रोमन का चित्र। यह सिक्का सुल्ला के प्रॉपेगैंडा का हथियार था, जो उनकी ताकत दिखाता था। इतिहासकारों का मानना है कि इससे गणतंत्र की समानता की भावना कमजोर हुई, और तानाशाही की नींव पड़ी।
सीजर का बड़ा धमाका: आजीवन तानाशाह का प्रतीक
सुल्ला के 40 साल बाद, 44 ईसा पूर्व में जूलियस सीजर ने और कदम बढ़ाया। उनकी हत्या से महीनों पहले, सिक्कों पर उनका बस्ट छापा गया, जिसमें ‘डिक्टेटर परपेचुओ’ (आजीवन तानाशाह) लिखा था। सीजर ने 46-44 ईसा पूर्व तक लगातार कांसुल बने, जो एक साल का पद था। जनता ने उन्हें ‘रेक्स’ (राजा) कहना शुरू किया, तो उन्होंने कहा, “मैं सीजर हूं, राजा नहीं।” लेकिन सिक्के उनकी महत्वाकांक्षा के प्रतीक बने। ये सिक्के गणतंत्र को राजशाही की ओर ले जाने का संकेत थे। सीजर की हत्या के बाद ऑगस्टस ने इसे परंपरा बनाया, लेकिन गणतंत्र का अंत हो गया। इतिहासकार क्लेयर रोवान कहती हैं, “सीजर का चित्रण रोमन इतिहास का क्रांतिकारी मोमेंट था।” ट्रंप के सिक्के की तुलना इसी से हो रही है, जहां समर्थक इसे ‘ट्रंप की जीत’ बताते हैं।
ट्रंप Vs रोमन तानाशाह: समानताएं जो चिंता बढ़ा रही हैं
ट्रंप और सुल्ला-सीजर में कई पैरलल्स हैं। ट्रंप ने 9 महीनों में 200+ एक्जीक्यूटिव ऑर्डर जारी किए (बाइडेन के पूरे कार्यकाल के 162 से ज्यादा), जो सुल्ला की तानाशाही जैसा लगता है। ट्रंप के इमरजेंसी डिक्री से शहरों में फेडरल ट्रूप्स भेजना भी सीजर के कांसुल विस्तार की याद दिलाता है। इतिहासकारों का कहना है कि सिक्कों पर चेहरा प्रॉपेगैंडा का हथियार था, जो गणतंत्र को कमजोर करता था। अमेरिका में ‘नो किंग्स!’ प्रदर्शन हो रहे हैं, जो 1776 की राजशाही-विरोधी क्रांति को याद दिलाते हैं। ट्रंप का सिक्का कानूनी रूप से संभव है, लेकिन यह अमेरिकी लोकतंत्र के पतन का प्रतीक बन सकता है। द कन्वरसेशन के अनुसार, “ट्रंप का सिक्का रोम की तरह गणतंत्र को खतरे में डाल सकता है।” अभी प्रस्ताव है, लेकिन बहस तेज हो रही है।
