अमेरिका की लंका लगा रहे ट्रंप, रोज करा रहे ₹8800 करोड़ का नुकसान; भुगत रही अमेरिकी जनता
3 अक्टूबर 2025, लखनऊ: वाशिंगटन की राजनीतिक जंग ने अमेरिका को फिर से शटडाउन की गिरफ्त में जकड़ लिया है। 1 अक्टूबर से शुरू हुआ यह संकट, जहां कांग्रेस बजट पर सहमति न बना पाई, ट्रंप प्रशासन के लिए चुनौती बन गया है। क्या यह महज फंडिंग विवाद है, या ट्रंप का नया हथियार—स्थायी छंटनी और डेमोक्रेटिक प्राथमिकताओं पर हमला? द गार्डियन की रिपोर्ट्स और आर्थिक विशेषज्ञों के अनुमान बता रहे हैं कि हर हफ्ता अरबों डॉलर का नुकसान हो सकता है, जो जीडीपी को चोट पहुंचाएगा। लेकिन क्या ट्रंप टैरिफ इसकी भरपाई कर पाएंगे? आइए, इस संकट की गहराई में उतरें और देखें कि अमेरिकी सपनों पर क्या असर पड़ रहा है।
शटडाउन की शुरुआत: बजट विवाद से फूटा संकट
1 अक्टूबर को आधी रात के ठीक बाद, अमेरिकी संघीय सरकार आधिकारिक तौर पर बंद हो गई। रिपब्लिकन और डेमोक्रेट्स के बीच फंडिंग बिल पर गतिरोध के कारण यह 2018-19 के बाद का पहला शटडाउन है। ट्रंप प्रशासन ने इसे मौका बनाते हुए डेमोक्रेटिक राज्यों के लिए 26 बिलियन डॉलर फ्रीज कर दिए, जो स्वास्थ्य बीमा सब्सिडी और मेडिकेड कटौतियों पर केंद्रित हैं। व्हाइट हाउस ने एजेंसियों को निर्देश दिया कि फेडरल वर्कर्स की छंटनी की योजना बनाएं—यह पारंपरिक फर्लो से अलग, स्थायी नौकरी कटौती हो सकती है। राष्ट्रपति ट्रंप ने ट्रुथ सोशल पर कहा, “हम बहुत सारी चीजें बंद कर देंगे जो हम नहीं चाहते, और ये डेमोक्रेटिक चीजें होंगी।” सीनेट में डेमोक्रेटिक लीडर चक शूमर ने इसे “धमकी” करार दिया, जबकि हाउस स्पीकर माइक जॉनसन ने डेमोक्रेट्स पर दोष मढ़ा।
आर्थिक झटका: हर हफ्ते अरबों का नुकसान
कंसल्टिंग फर्म EY-Parthenon की रिपोर्ट के मुताबिक, शटडाउन का प्रत्येक सप्ताह चौथी तिमाही में जीडीपी वृद्धि को 0.1 प्रतिशत घटा सकता है, जिससे अमेरिकी अर्थव्यवस्था को 7 बिलियन डॉलर का साप्ताहिक नुकसान होगा। यह हर दिन करीब 1 बिलियन डॉलर (लगभग 8,800 करोड़ रुपये) और हर घंटे 41.7 मिलियन डॉलर (3,698 करोड़ रुपये) के बराबर है। कारण? संघीय कर्मचारियों के वेतन में देरी, सरकारी खरीदारी ठप और मांग में गिरावट। हालांकि, शटडाउन खत्म होने पर बैक पे से कुछ रिकवरी हो सकती है, लेकिन दीर्घकालिक प्रभाव—like निवेशकों का भरोसा कम होना—चिंताजनक हैं। वित्त मंत्री स्कॉट बेसेंट ने एक इंटरव्यू में चेतावनी दी, “सरकार बंद करके जीडीपी कम करना सही नहीं; इससे विकास और कामकाजी अमेरिकियों को चोट पहुंचेगी।” विश्लेषकों का अनुमान है कि अगर यह लंबा चला, तो 2025 की 1.8 प्रतिशत औसत वृद्धि पर असर पड़ेगा।
बेरोजगारी का खतरा: 43,000 नौकरियां दांव पर
जर्मन मीडिया पॉलिटिको को मिले व्हाइट हाउस के आर्थिक सलाहकार परिषद (CEA) के मेमो में और गंभीर चेतावनी है। हर हफ्ते जीडीपी को 15 बिलियन डॉलर का झटका लग सकता है, और एक महीने के शटडाउन से 43,000 अतिरिक्त कर्मचारी बेरोजगार हो सकते हैं। उपभोक्ता खर्च में 30 बिलियन डॉलर की कमी का अनुमान है, जो कम विकास दर, बढ़ती बेरोजगारी और सामाजिक सुरक्षा, हवाई यात्रा तथा नवजात पोषण सहायता में व्यवधान लाएगा। मेमो कहता है, “जितना लंबा शटडाउन, उतने खतरनाक प्रभाव।” ट्रंप की स्थायी छंटनी की धमकी से यह आंकड़ा और बढ़ सकता है—पिछले शटडाउन में फर्लो अस्थायी थे, लेकिन अब DOGE (Department of Government Efficiency) कटौतियां स्थायी हो सकती हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि वाशिंगटन डीसी जैसे इलाकों में, जहां फेडरल जॉब्स अर्थव्यवस्था का आधार हैं, रिसेशन का जोखिम बढ़ गया है।
पुराने घाव: 2018-19 शटडाउन का सबक
पिछला लंबा शटडाउन—दिसंबर 2018 से जनवरी 2019 तक 35 दिनों का—अमेरिकी अर्थव्यवस्था को कम से कम 11 बिलियन डॉलर का नुकसान पहुंचा चुका था, जिसमें 3 बिलियन डॉलर स्थायी था। नेशनल पार्क्स बंद, एयरपोर्ट डिले, फूड इंस्पेक्शन ठप—और कुल मिलाकर जीडीपी में 0.4 प्रतिशत की कमी। लेकिन इस बार का संकट अलग है: ट्रंप की रणनीति फेडरल वर्कफोर्स को स्थायी रूप से घटाने की है, जो बाजारों में अनिश्चितता बढ़ा रही है। CNBC के अनुसार, वैश्विक निवेशक फेड के रेट डिसीजन और डॉलर पर दबाव देख रहे हैं। हालांकि, इतिहास बताता है कि छोटे शटडाउन (औसत 8 दिन) का असर सीमित होता है, लेकिन लंबे समय में यह ट्रस्ट और ग्रोथ को चोट पहुंचाता है।
आगे की राह: अनिश्चितता का बादल
यह शटडाउन न सिर्फ अर्थव्यवस्था, बल्कि लाखों अमेरिकियों की जिंदगी को प्रभावित कर रहा है—नेशनल पार्क्स से लेकर सोशल सिक्योरिटी तक। ट्रंप टैरिफ से नुकसान की भरपाई मुश्किल लग रही है, क्योंकि CEA के अनुसार व्यापक प्रभाव अपरिहार्य हैं। सीनेट में बातचीत जारी है, लेकिन अगर जल्द समाधान न हुआ, तो बाजारों में अस्थिरता और रिसेशन का डर साकार हो सकता है। यह संकट अमेरिकी लोकतंत्र का आईना है—जहां सियासत अर्थव्यवस्था पर भारी पड़ रही है। क्या कांग्रेस समय रहते समझौता करेगी, या ट्रंप की ‘बिग कट्स’ रणनीति जीतेगी? समय ही बताएगा, लेकिन नुकसान का बोझ आम अमेरिकी ही उठाएगा।