(आपातकाल) यातना सही, जेल काटा, किन्तु हिन्दुत्व एवं राष्ट्रवाद से कटे नहीं : अजय जायसवाल
आपातकाल की त्रासदी सही, ज़ुल्म सहा, व्यापार टूटा, घर टूटा, परिवार टूटा, हड्डियां टूटीं पर हौसला नहीं टूटा। आपातकाल की यातना सही,जेल काटा किन्तु हिन्दुत्व एवं राष्ट्रवाद से कटे नहीं, डटे रहे। इतना ही नहीं आपातकाल के जुल्मों सितम, कांग्रेस, गांधी परिवार के आगे सर भी नहीं झुकाया।
सुलतानपुर के आपातकाल के असली नायक जो गुमनाम कर दिए गए। उन्हें याद करते हुए पूर्व जिला पंचायत सदस्य एवं अजय जायसवाल ने हिन्दुस्थान समाचार से बात की। श्री जायसवाल कहते हैं कि आयरन लेडी(तत्कालीन प्रधानमंत्री इन्दिरा गांधी) कही जाने वाली महिला द्वारा लगाए गए आपातकाल का दंश को करीब से देखा है। पिता जी, परिवार, समाज पर होते दंश को अपने आँखों के समाने देखा है।
उन्होंने बताया कि स्व. डा. जितेन्द्र कुमार अग्रवाल पूर्वांचल के पहले गोल्ड मेडलिस्ट रहे। तत्कालीन जनसंघ के विधायक स्व. महावीर प्रसाद खेतान, तत्कालीन जनसंघ के सभासद नगर पालिका मात्र ये दो योद्धा, जिन्होंने पार्टी के निर्देश पर कलेक्ट्री में आपातकाल, कांग्रेस, इंदिरा गांधी, संजय गांधी के विरुद्ध प्रदर्शन किया। नारे लगाए और पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। इक्कीस महीने तक जेल में रहे। उन्हें घर से ही गिरफ्तार कर लिए गए।
उन्होंने बताया कि स्व. बाबू उदय प्रताप सिंह तत्कालीन जनसंघ के विधायक चांदा, धम्मौर के निवासी रहे स्व. बाबू शिवनायक सिंह, जिनके दोनों हाथ संजय गांधी ने तोड़वा दिए थे। मेरे पिता स्वर्गीय हृदय नारायण जायसवाल जो हृदयाघात के शिकार हुए थे। इन सभी ने आपातकाल की यातना सही,जेल काटा किन्तु हिन्दुत्व एवं राष्ट्रवाद से कटे नहीं और आपातकाल के विरोध में डटे रहे।
उन्होंने बताया कि इन लोगों ने गांधी परिवार की चरण वंदना नहीं की, मिट गए किन्तु सिद्धांतों को मिटने नहीं दिया। ये अपने पर ध्येय पर अडिग रहे। ‘तेरा वैभव अमर रहे मां हम दिन चार रहें न रहें’, इस भाव को जीवनभर उन लोगों ने निभाया।



