• December 31, 2025

उपन्यास ‘एक छलि मैना, एक छल कुम्हार’ का लोकार्पण

 उपन्यास ‘एक छलि मैना, एक छल कुम्हार’ का लोकार्पण

रांची के हरमू स्थित झारखंड मैथिली मंच के विद्यापति दलान पर हिंदी के वरिष्ठ रचनाकार हरि भटनागर के उपन्यास के मैथिली अनुवाद ‘एक छलि मैना, एक छल कुम्हार’ का लोकार्पण बुधवार को हुआ। इसमें हिंदी और मैथिली के विशिष्ट रचनाकारों की उपस्थिति रही। हरि भटनागर के इस उपन्यास का मैथिली में अनुवाद कथाकार सुस्मिता पाठक ने किया है।

लोकार्पण समारोह की अध्यक्षता करते हुए सुप्रसिद्ध साहित्यकार और रांची दूरदर्शन के पूर्व निदेशक डॉ प्रमोद कुमार झा ने कहा कि इस उपन्यास में कथाकार ने समाज के निचले पायदान पर जीने वाले लोगों के संघर्ष की कथा को बहुत ही मार्मिक एवं कलात्मक रीति से प्रस्तुत किया है। इस शानदार उपन्यास का उत्कृष्ट अनुवाद सुस्मिता पाठक ने किया है। मैं मूल उपन्यासकार हरि भटनागर एवं अनुवादिका सुस्मिता पाठक को बधाई देता हूं। साथ ही आभार प्रकट करता हूं कि उन्होंने इसे मैथिली पाठकों के लिए उपलब्ध कराया।

भारती मंडन पत्रिका के संपादक एवं साहित्यकार केदार कानन ने कहा कि समाज के निम्नवर्गीय लोगों को सभी बहलाते-फुसलाते रहते हैं। वह दमनकारी सत्ता प्रतिष्ठान की क्रूरता के आगे वह बार-बार पराजित होता रहता है। यही नहीं, उसके अपने समाज के लोग भी उसकी खिल्ली उड़ाते हैं लेकिन बहुत थोड़े से लोग जरूर उनके सुख-दुख में सहभागी होते हैं। इस उपन्यास की कथा वस्तु, शिल्प संरचना अनूठी है और मैना एवं गदहे के माध्यम से यह उपन्यास एक बड़े विमर्श को पाठकों के सामने रखने में सफल है।

वरिष्ठ कवि, गीतकार एवं निबंधकार डॉ महेंद्र ने कहा कि हरि भटनागर एक अच्छे कथाकार एवं संपादक हैं और सुस्मिता पाठक भी मैथिली की चर्चित कथाकार हैं। दोनों के रचनात्मक कौशल से मैथिली में जो उपन्यास का पाठ सामने आया है, वह बेहद पठनीय है और पाठकों को रचनात्मक आस्वाद प्रदान करता है। निम्न वर्गीय समाज के व्यक्ति पर केंद्रित यह साहित्यिक कृति विचारोत्तेजक है। कथाकार अमरनाथ झा ने कहा कि इस उपन्यास की भाषा मनोहारी, पठनीय और वैचारिक है।

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