• October 17, 2025

Tags :अनुसूचित जाति

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संवैधानिक भारत के शिल्पकार डा0 आंबेडकर- अरविंद जयतिलक

इंग्लैंड से लौटने के बाद जब डा0 आंबेडकर ने भारत की धरती पर कदम रखा तो समाज में छुआछुत और जातिवाद चरम पर था। उन्हें लगा कि यह सामाजिक कुप्रवृत्ति और खंडित समाज देश को कई हिस्सों में तोड़ देगा। सो उन्होंने हाशिए पर खड़े अनुसूचित जाति-जनजाति एवं दलितों के लिए पृथक निर्वाचिका की मांग कर परोक्ष रुप से समाज को जोड़ने की दिशा में पहल तेज कर दी। अपनी आवाज को जन-जन तक पहुंचाने […]Read More