• December 28, 2025

दिल्ली में दमघोंटू हवा का कहर: आनंद विहार समेत कई इलाकों में AQI 400 के पार, ‘गंभीर’ श्रेणी में पहुंचा प्रदूषण

नई दिल्ली: देश की राजधानी दिल्ली में रहने वाले लोगों के लिए राहत की कोई खबर नहीं है। दिल्ली में लगातार दूसरे दिन हवा की गुणवत्ता ‘बेहद खराब’ और ‘गंभीर’ श्रेणी के बीच बनी हुई है। रविवार सुबह जब दिल्लीवासी सोकर उठे, तो उन्हें सूरज की किरणों के बजाय धुंध और कोहरे की एक मोटी, जहरीली चादर देखने को मिली। प्रदूषण और कोहरे के इस मिले-जुले असर (स्मॉग) के कारण दृश्यता में भारी गिरावट दर्ज की गई है, जिससे सड़क यातायात भी प्रभावित हुआ है।

वायु गुणवत्ता प्रबंधन के लिए बनाए गए ‘एयर क्वालिटी अर्ली वार्निंग सिस्टम’ के आंकड़ों के अनुसार, दिल्ली के कई हिस्सों में वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 400 के स्तर को पार कर गया है। शनिवार को भी स्थिति कमोवेश ऐसी ही थी, लेकिन रविवार को हवा की गति धीमी होने और तापमान में गिरावट आने के कारण प्रदूषक कण जमीन के करीब ही जमा हो गए हैं। प्रशासन ने लोगों को सलाह दी है कि जब तक बहुत जरूरी न हो, वे सुबह और शाम के समय घरों से बाहर निकलने से बचें।

आनंद विहार बना दिल्ली का सबसे प्रदूषित क्षेत्र

दिल्ली के आनंद विहार इलाके में स्थिति सबसे ज्यादा चिंताजनक बनी हुई है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के सुबह के बुलेटिन के अनुसार, आनंद विहार में AQI 445 दर्ज किया गया है। यह आंकड़ा वायु गुणवत्ता की ‘गंभीर’ श्रेणी के ऊपरी स्तर पर है। आनंद विहार एक प्रमुख परिवहन केंद्र है, जहाँ अंतरराज्यीय बस अड्डा (ISBT) और रेलवे स्टेशन होने के कारण वाहनों की आवाजाही बहुत अधिक रहती है, जो यहाँ प्रदूषण स्तर को बढ़ाने का मुख्य कारण माना जा रहा है।

अन्य प्रमुख इलाकों की बात करें तो विवेक विहार में AQI 428, चांदनी चौक में 415, द्वारका में 404 और आईटीओ जैसे व्यस्त क्षेत्र में 403 दर्ज किया गया। यहाँ तक कि आईजीआई एयरपोर्ट जैसे खुले क्षेत्रों में भी AQI 321 के आसपास बना हुआ है। दिल्ली का लगभग हर कोना इस समय जहरीली हवा की चपेट में है। आसमान में छाई धुंध इतनी घनी है कि कुछ मीटर की दूरी पर स्थित ऊंची इमारतें भी ओझल नजर आ रही हैं।

क्या है वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) का गणित

आम नागरिक के लिए यह समझना बेहद जरूरी है कि आखिर ये आंकड़े क्या दर्शाते हैं और ये उनकी सेहत पर कैसे असर डालते हैं। वायु गुणवत्ता सूचकांक को मुख्य रूप से छह श्रेणियों में बांटा गया है। यदि इंडेक्स 0 से 50 के बीच रहता है, तो हवा को ‘साफ’ माना जाता है। 51 से 100 के बीच का स्तर ‘संतोषजनक’ होता है। वहीं 101 से 200 के बीच AQI होने पर इसे ‘मध्यम’ श्रेणी में रखा जाता है।

मुसीबत तब शुरू होती है जब सूचकांक 200 के आंकड़े को पार करता है। 201 से 300 के बीच की स्थिति ‘खराब’ मानी जाती है और 301 से 400 के बीच का स्तर ‘बेहद खराब’ श्रेणी में आता है, जिसमें दिल्ली फिलहाल बनी हुई है। 401 से 500 की श्रेणी ‘गंभीर’ कहलाती है। जब हवा इस स्तर पर पहुँचती है, तो यह स्वस्थ व्यक्तियों के श्वसन तंत्र पर भी बुरा असर डालती है और पहले से फेफड़ों या हृदय की बीमारी से जूझ रहे लोगों के लिए जानलेवा साबित हो सकती है।

स्वास्थ्य विशेषज्ञों की चेतावनी और आम जनजीवन पर प्रभाव

दिल्ली की इस जहरीली हवा ने स्वास्थ्य विशेषज्ञों की चिंता बढ़ा दी है। डॉक्टरों का कहना है कि हवा में मौजूद PM 2.5 और PM 10 जैसे सूक्ष्म कण सांस के जरिए फेफड़ों की गहराई तक पहुँच रहे हैं, जिससे अस्थमा, ब्रोंकाइटिस और अन्य सांस संबंधी बीमारियां बढ़ रही हैं। बच्चों और बुजुर्गों के लिए यह हवा विशेष रूप से खतरनाक है। सुबह की सैर (मॉर्निंग वॉक) पर जाने वाले लोगों को विशेष रूप से आगाह किया गया है क्योंकि सुबह के समय प्रदूषण का स्तर सबसे ज्यादा होता है।

राजधानी के अस्पतालों में सांस लेने में तकलीफ, आंखों में जलन और गले में खराश की शिकायत लेकर पहुँचने वाले मरीजों की संख्या में पिछले 48 घंटों में भारी इजाफा हुआ है। विशेषज्ञों का मानना है कि जब हवा ‘गंभीर’ श्रेणी में पहुँचती है, तो लंबे समय तक इसमें सांस लेना एक दिन में 15 से 20 सिगरेट पीने के बराबर नुकसानदेह हो सकता है।

धुंध और कोहरे का यातायात पर असर

रविवार सुबह दिल्ली की सड़कों पर दृश्यता काफी कम रही। कोहरे और धुंध के कारण वाहन चालकों को दिन में भी हेडलाइट्स का इस्तेमाल करना पड़ा। विशेष रूप से यमुना एक्सप्रेसवे, रिंग रोड और बाहरी दिल्ली के इलाकों में विजिबिलिटी 50 मीटर से भी कम दर्ज की गई। इसका असर विमानों और ट्रेनों के परिचालन पर भी पड़ने की संभावना जताई जा रही है। प्रदूषण की यह चादर न केवल स्वास्थ्य के लिए खतरा है बल्कि सड़क सुरक्षा के लिहाज से भी एक बड़ी चुनौती बनकर उभरी है।

पर्यावरणविदों का कहना है कि मौसमी बदलाव के साथ-साथ स्थानीय स्तर पर होने वाला प्रदूषण जैसे कचरा जलाना, निर्माण कार्य और वाहनों का उत्सर्जन इस स्थिति को और भयावह बना रहे हैं। प्रशासन ने ‘ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान’ (GRAP) के तहत कई पाबंदियां लागू की हैं, लेकिन हवा की गुणवत्ता में फिलहाल कोई बड़ा सुधार नजर नहीं आ रहा है।

भविष्य का अनुमान और सावधानियां

मौसम विभाग के अनुसार, अगले कुछ दिनों तक दिल्ली में हवा की गति धीमी रहने का अनुमान है, जिससे प्रदूषक कणों के छंटने की संभावना कम है। जब तक तेज हवाएं नहीं चलतीं या बारिश नहीं होती, तब तक दिल्लीवासियों को इस दमघोंटू हवा से निजात मिलने के आसार कम ही हैं।

इस बीच, नागरिकों से अपील की गई है कि वे बाहर निकलते समय N95 मास्क का उपयोग करें और सार्वजनिक परिवहन का अधिक से अधिक इस्तेमाल करें ताकि वाहनों से होने वाले उत्सर्जन को कम किया जा सके। दिल्ली की हवा अब केवल एक पर्यावरणीय मुद्दा नहीं रह गई है, बल्कि यह एक गंभीर सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल का रूप ले चुकी है।

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