अर्थ-व्यवस्था का आकार 45 लाख करोड़ रुपये तक बढ़ेगा, प्रति व्यक्ति आय दोगुना होगी
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने स्वतंत्रता दिवस संदेश में वर्ष 2030 के लिये विकास का विजन बताते हुए कहा कि मध्यप्रदेश की अर्थ-व्यवस्था का आकार 45 लाख करोड़ रुपये तक बढ़ाया जाएगा। एक करोड़ से अधिक लोगों को गरीबी की रेखा से ऊपर लाया जायेगा। प्रति व्यक्ति आय को दोगुना किया जायेगा। कृषि उत्पादन को बढ़ाकर 10 करोड़ मीट्रिक टन तक लाया जाएगा। हर किसान के खेत के अंतिम छोर तक भरपूर सिंचाई सुविधा मिलेगी। सिंचाई क्षमता 65 लाख हेक्टेयर तक बढ़ाई जायेगी। ऊर्जा क्षमता वर्तमान के 29 हजार मेगावॉट से बढ़ाकर 38 हजार मेगावॉट से भी अधिक की जाएगी।
मुख्यमंत्री मंगलवार को राजधानी भोपाल में स्वतंत्रता दिवस मुख्य समारोह में नागरिकों के नाम संदेश दे रहे थे। उन्होंने समारोह में परेड की सलामी ली। उन्होंने कहा कि प्रदेश में एक लाख किलोमीटर लंबाई की नई सड़कों का जाल बिछा दिया जाएगा। सभी शासकीय मेडिकल कालेजों में नर्सिंग कालेज स्थापित किए जाएंगे। हर विकासखंड मुख्यालय पर कम से कम 30 बिस्तर के सर्व सुविधायुक्त अस्पताल की सुविधा मिलेगी। मातृ मृत्यु दर को घटाकर 100 प्रति लाख तक और शिशु मृत्यु दर को घटाकर 35 प्रति हजार तक लाया जाएगा।
उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश से कुपोषण के कलंक को पूरी तरह मिटा दिया जाएगा। राज्य सरकार 6 हजार से अधिक सर्वसुविधायुक्त सी.एम. राईज स्कूलों का संचालन प्रारंभ कर देगी। सरकारी स्कूलों के शिक्षकों के लगभग 25 हजार रिक्त पद भर दिए जाएंगे। प्रदेश के 45 हजार आँगनवाड़ी केंद्रों को प्री-प्रायमरी स्कूल के रूप में विकसित किया जाएगा। प्रत्येक विकासखण्ड में कम से कम एक सरकारी कॉलेज होगा, ताकि विद्यार्थियों को अपने घर के नजदीक ही उच्च शिक्षा की सुविधा मिल सकें। प्रत्येक ज़िले में एक कॉलेज का उत्कृष्ट कॉलेज के रूप में उन्नयन किया जाएगा। महिला स्व-सहायता समूहों के सदस्य वर्तमान 53 लाख से बढ़ाकर 65 लाख और महिला स्व-सहायता समूह को वर्तमान 04 लाख 20 हजार से बढ़ाकर 5 लाख 10 हजार किया जाएगा। प्रदेश में 200 करोड़ रुपये के निवेश से 1 हजार से अधिक एफ:पी.ओ. गठित किए जाएंगे। महिलाओं की न्यूनतम आय 10 हजार रुपये प्रतिमाह तक पहुँचाने के लिए ठोस रणनीति बनाकर काम किया जाएगा। मेक इन मध्यप्रेश को प्रोत्साहित करते हुए प्रदेश के निर्यात को एक लाख करोड़ रुपये तक ले जायेंगे। भोपाल एवं इन्दौर के मध्य एक नया ग्रीन फील्ड एयरपोर्ट एवं इण्डस्ट्रियल कॉरीडोर बनाया जाएगा।
पूरे प्रदेश में 5जी सेवाएँ।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री की परिकल्पना अनुसार संपूर्ण भारत के हस्तकला, हस्तशिल्प एवं ओ.डी.ओ.पी. उत्पादों के प्रदर्शन एवं विक्रय के लिए उजैन में 284 करोड़ रुपये की लागत से देश का पहला यूनिटी मॉल बनाया जाएगा।आई.टी. के क्षेत्र में 5 लाख नए रोज़गार के अवसर सृजित किए जाएंगे। 5-जी सेवाएँ पूरे प्रदेश में उपलब्ध करा दी जाएंगी।
मप्र में हुई 10 क्रांतियाँ।
मुख्यमंत्री ने कहा कि जनता के सुख के लिए मध्यप्रदेश में 10 अभूतपूर्व सामाजिक क्रांति हुई है। ये क्रांतियां भूमि-आवास, महिला सशक्तिकरण, किसान-कल्याण, कमजोर वर्ग का कल्याण, कौशल और रोजगार, गरीब कल्याण, शिक्षा, स्वास्थ्य, सांस्कृतिक अभ्युदय, और सुशासन के क्षेत्र में हुई हैं। प्रदेश में कोई भी गरीब बिना जमीन और बिना पक्के मकान के नहीं रहेगा। मुख्यमंत्री आवासीय भू-अधिकार योजना में एक लाख 22 हजार से ज्यादा भूमिहीन परिवारों को भूखण्ड मिल चुके हैं और 44 लाख से ज्यादा परिवारों को घर मिला है।
जिला स्तर पर जीडीपी गणना में देश का पहला राज्य बना मध्यप्रदेश ।
मुख्यमंत्री ने बताया कि हितग्राही मूलक योजनाओं के आम जनता पर पड़ने वाले प्रभाव के अध्ययन के लिए राज्य सरकार सेंटर फॉर इवेल्यूएशन एंड इंपैक्ट असेसमेंट की स्थापना करने जा रही है। जिला स्तर पर जीडीपी की गणना और इसमें जनजातीय अर्थ-व्यवस्था को जोड़ने वाला मध्य प्रदेश देश का पहला राज्य बनने जा रहा है। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश में सुशासन के लिए नया युग प्रारंभ हुआ है। मध्यप्रदेश मॉडल देश में गवर्नेंस का एक सफल उदाहरण बना है। नागदा और मऊगंज के रूप में प्रदेश को दो नए जिले मिले हैं और पिछले तीन सालों में 15 नई तहसील बनी हैं।
ग्रीन हाइड्रोजन नीति बनेगी।
उन्होंने कहा कि राज्य में ग्रीन हाइड्रोजन पॉलिसी बनाई जा रही है। प्रदेश का खनिज राजस्व 2015-16 के 3,610 करोड़ रूपये से बढ़कर 8216 करोड रुपये हो गया है। सरकार ने कर्मचारियों को सहयोगी मानकर उनके हित में अनेक कदम उठाये हैं। मुख्यमंत्री पुलिस आवास योजना में 25 हज़ार आवासों की स्वीकृति दी। मध्य प्रदेश को पुलिसिंग में सर्वश्रेष्ठ राज्य बनाने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाये गये हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि तब और अब का फ़र्क साफ दिखता है। तब प्रदेश की आर्थिक विकास दर 0.10% थी, जो अब 16% से अधिक है। तब खाद्यान्न उत्पादन मात्र 159 लाख मीट्रिक टन था, जो अब बढ़कर 619 लाख मीट्रिक टन है। तब किसानों को फसल ऋण पर 15% से 16% ब्याज देना पड़ता था, जो अब शून्य प्रतिशत है। तब की ऋणात्मक औद्योगिक विकास दर अब बढ़कर 24% है। तब प्रदेश में प्रति व्यक्ति वार्षिक आय लगभग 12 हजार रुपये थी, जो अब 1 लाख 40 हजार रुपए है। तब बजट का आकार लगभग 23 हजार करोड़ रुपए था, जो अब 3 लाख 14 हजार करोड़ रुपए से भी अधिक है। तब राज्य का सकल घरेलू उत्पाद लगभग 86 हजार 800 करोड़ रुपये था और अब यह 13 लाख 22 हजार करोड़ रुपए से भी अधिक हो चुका है।
मुख्यमंत्री कहा कि आज गेहूँ निर्यात में मध्यप्रदेश नंबर वन राज्य है। पीएम स्वनिधि योजना के क्रियान्वयन में देश में अव्वल है। आयुष्मान कार्ड बनाने में देश में सबसे आगे है। ग्रामीण सड़कों की गुणवत्ता में पूरे देश में अग्रणी राज्य है। एग्रीकल्चर इन्फ्रास्ट्रक्चर फंड, प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना, सिंचाई प्रबंधन, राष्ट्रीय पशुधन मिशन, राष्ट्रीय गोकुल मिशन, मत्स्य-उत्पादन एवं प्रबंधन, मिलेट प्रोत्साहन, नशा मुक्ति, स्वच्छता जैसे अनेक महत्वपूर्ण कार्यक्रमों में मध्यप्रदेश लगातार देश में अग्रणी है।