सफेद मौत का साया और हाईटेक पहरा: भीषण बर्फबारी के बीच LOC पर जवानों का ‘मिशन अभेद्य’
श्रीनगर: कश्मीर घाटी में इन दिनों ‘चिल्लेकलां’ का दौर जारी है, जहाँ हाड़ कंपा देने वाली सर्दी और शून्य से कई डिग्री नीचे का तापमान इंसान की हिम्मत की परीक्षा ले रहा है। कुपवाड़ा, बांदीपोरा और बारामुला जिलों में नियंत्रण रेखा (LOC) पर इस समय तीन से चार फीट तक बर्फ की मोटी चादर बिछी हुई है। लेकिन मौसम की इन जानलेवा चुनौतियों के बीच भारतीय सेना और सीमा सुरक्षा बल (BSF) के जवानों का जोश सातवें आसमान पर है। खुफिया सूचनाओं के अनुसार, सीमा पार पीओके के लॉन्चिंग पैड्स पर करीब 150 आतंकवादी घुसपैठ की फिराक में बैठे हैं, जिसे देखते हुए पूरी एलओसी पर ‘हाई अलर्ट’ घोषित कर दिया गया है।
दुधिया चादर में ‘व्हाइट यूनिफॉर्म’ का सुरक्षा कवच
बर्फबारी के बीच घुसपैठियों को करारा जवाब देने के लिए सेना ने अपनी रणनीति में बड़ा बदलाव किया है। दुधिया बर्फ के बीच जवानों की मूवमेंट को दुश्मन की नजरों से बचाने के लिए वे विशेष ‘व्हाइट यूनिफॉर्म’ (सफेद पोशाक) का इस्तेमाल कर रहे हैं। सेना के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि यह पोशाक जवानों को बर्फ में पूरी तरह घुल-मिल जाने में मदद करती है, जिससे वे छिपकर दुश्मन पर वार कर सकते हैं। किसी भी संदिग्ध गतिविधि की भनक लगते ही विशेष टीमें तुरंत सक्रिय हो जाती हैं और इलाके की घेराबंदी कर क्रॉस-चेक करती हैं।
रस्सी के सहारे गश्त और हिमस्खलन की चुनौती
एलओसी पर तैनात जवानों के लिए केवल दुश्मन ही खतरा नहीं है, बल्कि कुदरत का कहर भी एक बड़ी चुनौती है। कई फीट जमी बर्फ में चलना लगभग असंभव होता है, ऐसे में जवान एक कतार में रस्सी पकड़कर गश्त करते हैं। यह रस्सी उन्हें बर्फीले तूफानों और अचानक होने वाले हिमस्खलन (Avalanche) के समय एक-दूसरे से जोड़े रखती है और सुरक्षा सुनिश्चित करती है। जवानों का कहना है कि चाहे तापमान कितना भी गिर जाए, सीमा की सुरक्षा से कोई समझौता नहीं किया जा सकता।
आतंकी आकाओं की बदली रणनीति: बर्फ में घुसपैठ का नया ट्रेंड
पिछले कुछ वर्षों में सीमा पार से होने वाली घुसपैठ के पैटर्न में बड़ा बदलाव देखा गया है। पहले आतंकी बर्फबारी शुरू होने से पहले ही घुसपैठ की कोशिश करते थे, लेकिन अब वे भारी बर्फबारी और खराब दृश्यता का फायदा उठाकर अंदर घुसने का प्रयास कर रहे हैं। कुपवाड़ा और उड़ी सेक्टर के उस पार पीओके स्थित आतंकी शिविरों में हलचल तेज है। सेना के अनुसार, आतंकी आकाओं को लगता है कि बर्फबारी के दौरान निगरानी ढीली होगी, लेकिन भारतीय जवानों की मुस्तैदी ने उनके इन मंसूबों पर पानी फेर दिया है।
360 डिग्री हाईटेक निगरानी और आधुनिक सर्विलांस
दुर्गम इलाकों में पैनी नजर रखने के लिए सेना ने अब अत्याधुनिक तकनीक का सहारा लिया है। एलओसी पर हाईटेक पीटीजेड (पैन, टिल्ट, जूम) कैमरे लगाए गए हैं, जो 360 डिग्री तक घूमकर चौबीसों घंटे निगरानी करते हैं। इसके अलावा थर्मल इमेजिंग डिवाइस, नाइट विजन कैमरे और ग्राउंड सर्विलांस रडार की मदद से कम दृश्यता में भी लंबी दूरी तक दुश्मन को ट्रैक किया जा रहा है।
आसमान से निगरानी के लिए थर्मल सेंसर और हाई रिजोल्यूशन कैमरों से लैस ड्रोन और मानवरहित हवाई वाहनों (UAV) का उपयोग किया जा रहा है। मोशन सेंसर और नाइट विजन गॉगल्स जवानों की आंखों को अंधेरे में भी सचेत रखते हैं। तेजी से कार्रवाई करने के लिए जवानों को ‘स्नो मोबाइल’ उपलब्ध कराए गए हैं, जो गहरी बर्फ में भी उनकी रफ्तार को कम नहीं होने देते।