साहित्यकारों ने मनाया उर्दू शायर फिराक गोरखपुरी की जयंती

फारबिसगंज के प्रोफेसर कॉलोनी स्थित पीडब्लूडी के प्रांगण में इन्द्रधनुष साहित्य परिषद की ओर से सोमवार को उर्दू शायर फिराक गोरखपुरी की जयन्ती साहित्यकार हेमंत यादव शशि की अध्यक्षता में मनायी गई।कार्यक्रम का संचालन मनीष राज ने किया।
साहित्यकारों साहित्य प्रेमियों के द्वारा गोरखपुरी की तस्वीर पर श्रद्धा सुमन अर्पण के बाद सुरेंद्र प्रसाद मंडल, हेमंत यादव शशि, बेगाना सारणवी,हशमत सिद्धिकी, सुनील दास, विनोद कुमार तिवारी एवं हरिशंकर झा आदि ने कहा कि उर्दू के रचनाकार फिराक गोरखपुरी का जन्म 28 अगस्त- 1896 ई० को गोरखपुर में हुआ था। इनका मूल नाम रघुपति सहाय था। उनकी शायरी उच्च कोटि की मानी जाती हैं। वे निर्मिक शायर थे। ”गुल-ए-नगमा” के लिए वे साहित्य अकादमी पुरस्कार, भारतीय ज्ञानपीठ और पद्मभूषण से भी सम्मानित हुए थे। उन्हें फारसी, हिन्दी,ब्रजभाषा और भारतीय संस्कृति की गहरी समझ थी।
उन्होंने गज़ल , नज्म और रुबाई तीन विधाओं में काफी कुछ कहा और लिखा। उनकी कृतियों में सरगम, रूहे कायनात, जुगनू,गजालिस्तान, धरती की करवट, गुलबाग, आधी रात, चिरागां, साधु और कुटिया उपन्यास प्रमुख हैं। मौके पर अरविंद ठाकुर, अशोक यादव, पलकधारी मंडल एवं शिवराम साह आदि मौजूद थे।
