• October 14, 2025

रूस-बेलारूस का संयुक्त सैन्य अभ्यास ‘जापद-2025’ : एक लाख सैनिकों की तैयारी, पुतिन की मौजूदगी ने बढ़ाई वैश्विक चिंता

मास्को/मिन्स्क, 18 सितंबर 2025। रूस और बेलारूस के बीच चल रहे बड़े संयुक्त सैन्य अभ्यास ‘जापद-2025’ ने पूरी दुनिया का ध्यान खींच लिया है। इस अभ्यास में करीब एक लाख सैनिक हिस्सा ले रहे हैं, जिसमें रूस और बेलारूस की सेनाओं के अलावा कई अन्य देशों के पर्यवेक्षक भी शामिल हैं। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने खुद इस अभ्यास का दौरा किया और सैनिकों से बातचीत की। पुतिन की मौजूदगी ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। क्या यह अभ्यास सिर्फ रक्षा की तैयारी है या किसी नए देश पर हमले की योजना का हिस्सा? आइए, इसकी पूरी जानकारी समझते हैं।अभ्यास की शुरुआत और पैमाना‘जापद-2025’ नाम का यह संयुक्त सैन्य अभ्यास 12 सितंबर से शुरू हुआ और 16 सितंबर को संपन्न हो गया। यह अभ्यास रूस और बेलारूस की 41 अलग-अलग ट्रेनिंग साइट्स पर चला। रूसी रक्षा मंत्रालय के अनुसार, इसमें एक लाख सैनिकों ने भाग लिया। इनमें 10 हजार से ज्यादा हथियार, उपकरण और वाहन शामिल थे। अभ्यास के दौरान 333 विमान, हेलीकॉप्टर और 247 नौसैनिक जहाजों व पनडुब्बियों का इस्तेमाल किया गया।यह अभ्यास बाल्टिक सागर और बैरेंट सागर जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में हुआ। मुख्य उद्देश्य था – दोनों देशों की सेनाओं के बीच समन्वय बढ़ाना, संप्रभुता की रक्षा करना और किसी भी संभावित आक्रमण के खिलाफ जवाबी कार्रवाई की क्षमता मजबूत करना।
पुतिन ने मुलिनो प्रशिक्षण मैदान का दौरा करते हुए कहा, “यह अभ्यास हमारी संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता की बिना शर्त रक्षा के लिए जरूरी है। हम किसी भी खतरे का सामना करने के लिए तैयार हैं।” रूसी उप रक्षा मंत्री युनुस-बेक येवकुरोव भी बेलारूस में हुए इन अभ्यासों में शामिल हुए।बेलारूस के राष्ट्रपति अलेक्जेंडर लुकाशेंको, जो पुतिन के करीबी सहयोगी हैं, ने भी इस अभ्यास का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि यह रूस-बेलारूस के बीच गहरे सैन्य संबंधों का प्रतीक है। दोनों देशों ने ‘संघ राज्य’ के तहत कई सैन्य समझौते किए हैं, जिसमें बेलारूस में रूसी परमाणु हथियारों की तैनाती भी शामिल है।पुतिन की भूमिका और वैश्विक नजरेंरूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का अचानक अभ्यास स्थल पर पहुंचना एक बड़ा संकेत था। उन्होंने सैनिकों को संबोधित किया और कहा कि यह अभ्यास नाटो जैसे पश्चिमी गठबंधनों के खिलाफ सुरक्षा के लिए आवश्यक है। पुतिन ने जोर दिया कि रूस और बेलारूस किसी को आक्रमण करने की इजाजत नहीं देंगे। उनकी मौजूदगी ने अभ्यास को और महत्वपूर्ण बना दिया।इस अभ्यास में कई अन्य देशों के सैनिक और पर्यवेक्षक भी आए। बेलारूस ने बताया कि कुल 23 देशों के प्रतिनिधि मौजूद थे, जिनमें नाटो सदस्य देश जैसे तुर्की और हंगरी भी शामिल थे। खास बात यह रही कि अमेरिकी सैनिक भी दिखे।
अमेरिकी दूतावास के डिफेंस अटैचे को ‘डिस्टिंग्विश्ड विजिटर डे’ पर आमंत्रित किया गया था। पेंटागन के प्रवक्ता शॉन पर्नेल ने कहा, “यह निमंत्रण स्वीकार किया गया, लेकिन हम इसमें लड़ाई का हिस्सा नहीं थे।” यह 2022 के यूक्रेन युद्ध के बाद पहली बार था जब अमेरिका ने ऐसे रूसी अभ्यास का निमंत्रण स्वीकार किया।भारत ने भी इस अभ्यास में हिस्सा लिया। भारतीय सेना की कुमाऊं रेजिमेंट के 65 सैनिकों ने भाग लिया। भारतीय रक्षा मंत्रालय ने कहा कि यह भारत-रूस के लंबे समय से चले आ रहे सैन्य सहयोग का हिस्सा है। पांच दिवसीय इस कार्यक्रम में भारतीय सैनिकों ने संयुक्त अभ्यास में अपनी भूमिका निभाई। इससे अमेरिका की चिंता बढ़ गई, क्योंकि भारत रूस के साथ मजबूत संबंध रखता है।क्या है चिंता का कारण?यह अभ्यास नाटो की सीमाओं के बिल्कुल पास हो रहा था। पोलैंड, लिथुआनिया और लातविया जैसे नाटो सदस्य देशों की सीमा के नजदीक होने से तनाव बढ़ गया। हाल ही में पोलैंड में एक ड्रोन हमले की घटना हुई, जिसके बाद रूस ने कहा कि यह अभ्यास पहले से तय था, लेकिन यह संयोग नहीं लगता। जर्मनी के अनुसार, बेलारूस में 13 हजार और रूस में 30 हजार सैनिक तैनात थे।अभ्यास में परमाणु क्षमता वाली मिसाइलें जैसे ओर्सनिक भी शामिल की गईं। रूस ने बेलारूस में सामरिक परमाणु हथियार तैनात किए हैं, जो नाटो को चिंतित कर रहा है। नाटो ने कहा कि वे इस पर नजर रखे हुए हैं और अपनी सीमाओं पर अलग-अलग अभ्यास कर रहे हैं। अमेरिका ने रूस के पास उत्तरी नॉर्वे में एंटी-शिप बम का परीक्षण किया, जो एक जवाबी कदम लगता है।विशेषज्ञों का कहना है कि ‘जापद-2025’ यूक्रेन युद्ध के बीच रूस की सैन्य ताकत दिखाने का प्रयास है। रूस ने हाल ही में अपनी सेना को बढ़ाने के लिए 1.60 लाख युवाओं को बुलावा भेजा है। पुतिन चाहते हैं कि रूसी सेना 23.90 लाख तक पहुंचे, जिसमें 15 लाख सक्रिय सैनिक हों। लेकिन सवाल यह है कि क्या यह अभ्यास किसी नए हमले की तैयारी है? यूक्रेन युद्ध अभी चल रहा है, और रूस ने बाल्टिक देशों या पोलैंड पर नजर रखी हुई है।
पोलैंड ने अपनी सेना को 3 लाख तक बढ़ाने की योजना बनाई है और 1000 से ज्यादा टैंक खरीदे हैं।नाटो के अनुसार, रूस अकेले यूरोप से नहीं लड़ सकता। रूस के पास 5580 परमाणु हथियार और 15 लाख सैनिक हैं, लेकिन नाटो के पास 35 लाख सैनिक हैं। यूक्रेन युद्ध में रूस को भारी नुकसान हुआ है। बाल्टिक देश बंकर बना रहे हैं और रक्षा खर्च बढ़ा रहे हैं।संभावित प्रभाव और भविष्ययह अभ्यास संपन्न हो चुका है, लेकिन इसके प्रभाव लंबे समय तक रहेंगे। रूस और बेलारूस का यह कदम पश्चिमी देशों को सतर्क कर रहा है। अमेरिका और नाटो ने कहा कि वे शांति चाहते हैं, लेकिन किसी भी आक्रमण का मुंहतोड़ जवाब देंगे। भारत जैसे देशों की भागीदारी से वैश्विक समीकरण जटिल हो गए हैं।कई विश्लेषक मानते हैं कि यह अभ्यास सिर्फ रक्षा के लिए है, न कि हमले के लिए। लेकिन पुतिन की नीतियां हमेशा आश्चर्यजनक रही हैं। दुनिया की नजरें अब यूक्रेन और नाटो सीमाओं पर टिकी हैं। क्या यह थर्ड वर्ल्ड वॉर की शुरुआत है? अभी तो ऐसा लगता नहीं, लेकिन तनाव जरूर बढ़ा है।
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Rama Niwash Pandey

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