बुरहानपुर जिले में सोने के सिक्कों की अफवाह से हलचल, खुदाई करने पहुंचें सैकड़ों ग्रामीण
बुरहानपुर, मध्य प्रदेश मध्य प्रदेश के बुरहानपुर जिले में ऐतिहासिक असीरगढ़ किले के पास इंदौर-इच्छापुर हाइवे पर स्थित खंडवा रोड के खेतों में सोने के सिक्कों की अफवाह ने एक बार फिर इलाके में हलचल मचा दी है। पिछले तीन दिनों से सैकड़ों ग्रामीण आधी रात को मोबाइल टॉर्च की रोशनी में खेतों में खुदाई करते हुए देखे जा रहे हैं। सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियो में लोग गड्ढे खोदते हुए नजर आ रहे हैं, जिनका मानना है कि यहां कुछ ऐतिहासिक खजाना दफन हो सकता है।
अफवाह का कारण
यह अफवाह तब फैलनी शुरू हुई जब कुछ स्थानीय ग्रामीणों ने दावा किया कि असीरगढ़ किले के पास खेतों में मुगलों के समय के सोने के सिक्के दबे हो सकते हैं। जानकारी के अनुसार, यह अफवाह एक बुजुर्ग द्वारा फैलायी गई थी, जो वर्षों से गांव में यह बात कह रहा था कि किले के पास स्थित खेतों में कोई खजाना छुपा हो सकता है। इस तरह की बातें धीरे-धीरे गांव में फैल गईं और कुछ समय बाद लोग इसे सच मानने लगे। अफवाह ने ऐसा जोर पकड़ा कि अब गांव के सैकड़ों लोग रात के अंधेरे में खुदाई करने पहुंचे हैं।
खुदाई की तस्वीरें वायरल
सोशल मीडिया पर वायरल हुए वीडियो में देखा जा सकता है कि लोग टॉर्च की रोशनी में खेतों में गड्ढे खोद रहे हैं। वीडियो में कुछ लोग फावड़े और छोटी कुदालों से मिट्टी खोदते नजर आ रहे हैं, जबकि कुछ लोग खुदाई के दौरान मिलने वाले अवशेषों का निरीक्षण कर रहे हैं। इन वीडियोज़ ने पूरे इलाके में लोगों को खजाना खोजने की उम्मीद में खुदाई में शामिल होने के लिए प्रेरित किया है।
एक वीडियो में एक व्यक्ति यह कहते हुए दिखता है, “हमारे बुजुर्गों ने बताया था कि यहां पुराने मुगली सिक्के दफन हो सकते हैं, इसीलिए हम लोग रात में खुदाई कर रहे हैं। हमें उम्मीद है कि कुछ महत्वपूर्ण मिलेगा।” यह वीडियो अब सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर तेजी से वायरल हो रहा है और लोगों का ध्यान आकर्षित कर रहा है।
पुलिस की कार्रवाई
जब यह घटना स्थानीय प्रशासन तक पहुंची, तो निंबोला थाना पुलिस ने गुरुवार दोपहर को मौके पर पहुंचकर स्थिति का जायजा लिया। पुलिस ने मौके पर गड्ढे तो पाए, लेकिन न तो कोई सिक्के मिले और न ही लोग वहां मौजूद थे। पुलिस ने अफवाह फैलाने वालों के खिलाफ कार्रवाई की बात कही है और इस मामले की जांच शुरू कर दी है। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि मामले की गंभीरता को देखते हुए यह जांच की जाएगी कि कहीं यह कोई शरारत तो नहीं है, और इस तरह की अफवाहों को फैलाने वाले लोगों के खिलाफ आवश्यक कदम उठाए जाएंगे।
निंबोला थाना प्रभारी, सत्येंद्र शर्मा ने बताया, “मामले की गंभीरता को देखते हुए हम जांच कर रहे हैं। फिलहाल कोई भी संदिग्ध चीज़ नहीं मिली है, लेकिन जांच जारी रहेगी। सोशल मीडिया पर अफवाह फैलाने वालों के खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी।”
खजाने की खोज या महज अफवाह?
हालांकि पुलिस ने खुदाई के दौरान किसी भी प्रकार के ऐतिहासिक अवशेषों या सिक्कों को नहीं पाया है, लेकिन सवाल यह उठता है कि क्या यह सिर्फ एक अफवाह है या फिर इस इलाके में सचमुच कुछ छुपा हुआ है। बुरहानपुर जिले के ऐतिहासिक संदर्भ को देखते हुए यह संभव है कि पहले मुगलों के समय में इस क्षेत्र में कुछ खजाना छुपाया गया हो, क्योंकि असीरगढ़ किला उस समय मुगलों के अधीन था। हालांकि, अब तक यह कोई ठोस प्रमाण नहीं मिला है जो इस अफवाह को सही साबित कर सके।
विशेषज्ञों का मानना है कि इस प्रकार की अफवाहें अक्सर ग्रामीण इलाकों में फैल जाती हैं, खासकर जब बात ऐतिहासिक खजाने की हो। हालांकि, इस तरह की अफवाहों से न सिर्फ गांव के लोग प्रभावित होते हैं, बल्कि ऐतिहासिक धरोहरों का नुकसान भी हो सकता है। खुदाई करने से किसी पुरातात्विक स्थल का नुकसान हो सकता है, जिससे महत्वपूर्ण जानकारी नष्ट हो सकती है।
क्या कह रहे हैं स्थानीय लोग?
गांव के लोग अभी भी इस उम्मीद में हैं कि उन्हें कुछ महत्वपूर्ण मिलेगा। एक स्थानीय निवासी, रामलाल यादव ने कहा, “हमारे बुजुर्गों ने कहा था कि यहां खजाना छुपा है। हम लोग अब तक खुदाई करते रहे हैं। अगर हमें कुछ मिलेगा, तो यह हमारे जीवन का सबसे बड़ा अवसर होगा।”
वहीं, दूसरी ओर, गांव के एक अन्य व्यक्ति, रानी बाई ने कहा, “यह सिर्फ एक अफवाह है। हमें नहीं लगता कि यहां कोई खजाना है। लेकिन हम इस उम्मीद में हैं कि कुछ तो मिलेगा।”
प्रशासन की भूमिका और भविष्य
इस घटना ने यह सवाल खड़ा किया है कि अफवाहों को लेकर प्रशासन की भूमिका क्या होनी चाहिए। अधिकारियों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि इस प्रकार की अफवाहों के कारण किसी प्रकार का नुकसान न हो और लोगों को भ्रमित करने वाले तत्वों के खिलाफ उचित कदम उठाए जाएं। साथ ही, यह भी जरूरी है कि ऐतिहासिक स्थलों और धरोहरों की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए ताकि ऐसी घटनाएं भविष्य में फिर से न घटें।
बुरहानपुर जिले के असीरगढ़ किले और आसपास के क्षेत्रों में यह घटना एक उदाहरण बन गई है कि किस तरह से इतिहास और अफवाहें एक साथ मिलकर पूरे समुदाय को प्रभावित कर सकती हैं। अब प्रशासन को यह सुनिश्चित करना होगा कि इस प्रकार की घटनाएं आगे न बढ़ें और स्थानीय लोगों को सच्चाई से अवगत कराएं।
निष्कर्ष
असीरगढ़ किले के पास सोने के सिक्कों की अफवाह ने गांव के लोगों को खजाने की खोज में जुटा दिया है, लेकिन इस पूरी घटना में सबसे महत्वपूर्ण सवाल यह है कि यह अफवाह कहां से शुरू हुई और क्या वास्तव में यहां कुछ छुपा हुआ है। पुलिस और प्रशासन ने मामले की जांच शुरू कर दी है, लेकिन फिलहाल किसी ठोस सबूत का पता नहीं चल पाया है। यह घटना यह भी दर्शाती है कि ऐतिहासिक धरोहरों की सुरक्षा और समुदाय में जागरूकता का महत्वपूर्ण रोल है, ताकि ऐसी अफवाहों से बचा जा सके।
