मन की बात कार्यक्रम के 119वें संस्करण में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संदेश: भारत का अंतरिक्ष शतक
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने लोकप्रिय रेडियो कार्यक्रम “मन की बात” के 119वें संस्करण में भारतीय अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि को लेकर देशवासियों को संबोधित किया। प्रधानमंत्री मोदी ने इस कार्यक्रम में भारत के अंतरिक्ष यात्रा की ऐतिहासिक यात्रा और इसरो (ISRO) द्वारा हाल ही में लॉन्च किए गए 100वें रॉकेट की उपलब्धि पर प्रकाश डाला। उनके संबोधन का मुख्य उद्देश्य इसरो की इस उपलब्धि को राष्ट्रीय गर्व के रूप में प्रस्तुत करना था और इसके माध्यम से भारतीय वैज्ञानिकों की कड़ी मेहनत और प्रतिबद्धता को सम्मानित करना था।
प्रधानमंत्री ने अपनी बात की शुरुआत क्रिकेट के संदर्भ से की, जो भारत में एक अत्यंत प्रिय खेल है। उन्होंने कहा, “इन दिनों चैंपियंस ट्रॉफी चल रही है और हर तरफ क्रिकेट का माहौल है।” इसके बाद उन्होंने क्रिकेट में शतक का महत्व बताया, जो खिलाड़ी के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर होता है। प्रधानमंत्री ने आगे कहा, “क्रिकेट में शतक का रोमांच क्या होता है, ये तो हम सब भली-भांति जानते हैं। लेकिन आज मैं, आप सबसे क्रिकेट नहीं, बल्कि भारत ने अंतरिक्ष में जो शानदार शतक बनाई है उसकी बात करने वाला हूं।”
इसरो की 100वीं लॉन्चिंग: एक ऐतिहासिक मील का पत्थर
प्रधानमंत्री मोदी का यह कथन भारतीय अंतरिक्ष विज्ञान के लिए एक ऐतिहासिक क्षण था। उन्होंने बताया कि पिछले महीने भारत ने इसरो के 100वें रॉकेट की लॉन्चिंग देखी। यह एक महत्वपूर्ण उपलब्धि थी, क्योंकि इसरो ने दशकों की मेहनत और समर्पण के बाद अंतरिक्ष के क्षेत्र में यह मुकाम हासिल किया था। प्रधानमंत्री ने इसे सिर्फ एक संख्या नहीं बल्कि भारतीय वैज्ञानिकों की कड़ी मेहनत, समर्पण, और अंतरिक्ष विज्ञान में नित नई ऊंचाइयों को छूने के संकल्प का प्रतीक माना।
प्रधानमंत्री मोदी ने यह भी स्पष्ट किया कि यह उपलब्धि भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र में निरंतर विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इसरो द्वारा 100वें रॉकेट की सफल लॉन्चिंग ने भारत को अंतरिक्ष के क्षेत्र में एक नया आयाम दिया है।
भारत की अंतरिक्ष यात्रा की शुरुआत
प्रधानमंत्री मोदी ने भारत की अंतरिक्ष यात्रा की शुरुआत को भी याद किया। उन्होंने कहा, “हमारी अंतरिक्ष यात्रा की शुरुआत बहुत ही सामान्य तरीके से हुई थी।” यह वाक्य इस तथ्य को उजागर करता है कि भारत की अंतरिक्ष यात्रा प्रारंभ में बहुत साधारण और सीमित संसाधनों के साथ शुरू हुई थी, लेकिन आज भारत अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में विश्व के अग्रणी देशों में शामिल हो गया है।
इसरो के संस्थापक डॉ. विक्रम साराभाई के नेतृत्व में शुरू हुई भारतीय अंतरिक्ष यात्रा ने समय के साथ बहुत ही विशाल और प्रभावशाली रूप लिया है। उन्होंने आगे कहा कि यह शतक भारत के लिए सिर्फ एक संख्या नहीं है, बल्कि यह भारत के विज्ञान, प्रौद्योगिकी, और अंतरिक्ष क्षेत्र में लगातार प्रगति को दर्शाता है।
प्रधानमंत्री मोदी ने देशवासियों को इस सफलता पर गर्व महसूस करने का अवसर दिया। उन्होंने भारतीय वैज्ञानिकों और अभियंताओं को उनके योगदान के लिए सराहा और उनके समर्पण को उजागर किया। इस संदर्भ में प्रधानमंत्री ने इसरो की टीम के अथक प्रयासों और उनके दूरदर्शी दृष्टिकोण की सराहना की, जो आज भारत को अंतरिक्ष विज्ञान में विश्व में प्रमुख स्थान पर ले आए हैं।
भारत का अंतरिक्ष क्षेत्र: भविष्य की दिशा
प्रधानमंत्री मोदी ने आगे कहा कि भारत अब अंतरिक्ष क्षेत्र में केवल उपग्रहों और रॉकेटों की लॉन्चिंग नहीं करता, बल्कि वह अंतरिक्ष में मानवों की यात्रा करने के लिए भी तत्पर है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के “गगनयान” मिशन की योजना, जो मानवों को अंतरिक्ष में भेजने के लिए है, इसका एक उदाहरण है। यह मिशन भारतीय अंतरिक्ष यात्रा में एक नया अध्याय जोड़ने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम होगा।
इसके अलावा, प्रधानमंत्री ने यह भी बताया कि भारत का लक्ष्य अब अंतरिक्ष के क्षेत्र में केवल विज्ञान के प्रयोग तक सीमित नहीं है, बल्कि व्यावसायिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है। उन्होंने भारतीय अंतरिक्ष कंपनियों के लिए नए अवसरों की बात की और कहा कि भारत अब अंतरिक्ष क्षेत्र में दुनिया के साथ साझेदारी करने के लिए तैयार है।
विज्ञान और प्रौद्योगिकी में भारत की नेतृत्व क्षमता
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन में यह भी स्पष्ट किया कि भारत का अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में बढ़ता हुआ योगदान इस बात का प्रतीक है कि भारतीय वैज्ञानिक और अभियंता किसी भी चुनौती का सामना करने के लिए पूरी तरह से सक्षम हैं। उन्होंने भारत की बढ़ती वैश्विक पहचान और सम्मान के साथ-साथ विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भारत की नेतृत्व क्षमता को उजागर किया।
उनका यह भाषण केवल एक प्रेरणा नहीं था, बल्कि यह भारतीय युवाओं के लिए एक संदेश था कि अगर हम ठान लें, तो कोई भी सपना कठिन नहीं होता। प्रधानमंत्री मोदी ने इस संदर्भ में इसरो के वैज्ञानिकों की मेहनत को एक प्रेरणा के रूप में प्रस्तुत किया।
मन की बात: राष्ट्रीय गर्व का अवसर
“मन की बात” कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का यह संदेश राष्ट्रीय गर्व को बढ़ावा देने का एक बड़ा कदम था। उनके द्वारा इसरो की 100वीं रॉकेट लॉन्चिंग को एक शतक के रूप में प्रस्तुत करना, भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम को एक नई दिशा देने का प्रयास था। यह कार्यक्रम हर भारतीय को अपनी धरती के वैज्ञानिकों के कार्यों पर गर्व करने का एक अवसर प्रदान करता है और देशवासियों को प्रेरित करता है कि वे भी अपने प्रयासों से दुनिया में नया मुकाम हासिल कर सकते हैं।
प्रधानमंत्री मोदी का यह कार्यक्रम न केवल एक चर्चा का विषय बन गया, बल्कि यह भारतीय अंतरिक्ष मिशन की महानता और इसके भविष्य के योगदान को उजागर करने का एक अवसर भी था। उनके शब्दों ने भारतीयों को प्रेरित किया कि वे आगे बढ़े और अंतरिक्ष विज्ञान में भारत के भविष्य को और उज्जवल बनाएं।
निष्कर्ष
प्रधानमंत्री मोदी का मन की बात कार्यक्रम का 119वां संस्करण एक ऐतिहासिक क्षण था, जो भारतीय अंतरिक्ष विज्ञान के गौरव को उजागर करने के लिए था। इसने न केवल भारतीय अंतरिक्ष वैज्ञानिकों की कड़ी मेहनत और समर्पण को सराहा, बल्कि यह भी साबित किया कि भारत अब अंतरिक्ष विज्ञान में वैश्विक स्तर पर अपनी पहचान बना चुका है। भारत का अंतरिक्ष शतक एक ऐसा मील का पत्थर है, जो आने वाले समय में भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाने के लिए प्रेरणा देगा।
