• December 25, 2025

दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण का कहर: सरकार का सख्त कदम, कल से सरकारी-निजी कार्यालयों में 50% वर्क फ्रॉम होम अनिवार्य

नई दिल्ली, 17 दिसंबर 2025: राजधानी दिल्ली और एनसीआर क्षेत्र में वायु प्रदूषण एक बार फिर गंभीर समस्या बनकर उभरा है। घने स्मॉग की चादर ने शहर को ढक रखा है, जिससे लोगों का सांस लेना मुश्किल हो गया है। इस बढ़ते संकट को देखते हुए दिल्ली सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। कल यानी 18 दिसंबर 2025 से दिल्ली के सभी सरकारी और निजी संस्थानों में 50 प्रतिशत कर्मचारियों के लिए वर्क फ्रॉम होम (WFH) अनिवार्य कर दिया गया है। यह आदेश सड़कों पर वाहनों की संख्या कम करने और प्रदूषण स्तर को नियंत्रित करने के उद्देश्य से जारी किया गया है।

दिल्ली कैबिनेट मंत्री कपिल मिश्रा ने इसकी घोषणा करते हुए कहा, “दिल्ली में प्रदूषण का स्तर लगातार बढ़ रहा है। कल से सभी सरकारी और निजी प्रतिष्ठानों में केवल 50 प्रतिशत कर्मचारी ही कार्यालय आएंगे, जबकि शेष 50 प्रतिशत घर से काम करेंगे। यह नियम अनिवार्य है और उल्लंघन करने वालों पर भारी जुर्माना लगाया जाएगा।” मंत्री ने आगे कहा कि यह कदम ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान (GRAP) के तहत लिया गया है, जो प्रदूषण के विभिन्न स्तरों पर सख्त उपाय लागू करता है।

प्रदूषण की मौजूदा स्थिति: AQI ने छुई खतरनाक सीमा

बुधवार को दिल्ली का औसत एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 329 पर दर्ज किया गया, जो ‘बहुत खराब’ श्रेणी में आता है। मंगलवार को यह 354 तक पहुंच गया था, जो गंभीर स्तर के करीब था। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के अनुसार, कई इलाकों जैसे आनंद विहार, जहांगीरपुरी और आरके पुरम में AQI 400 के पार चला गया। घना कोहरा और कम हवाओं की गति ने प्रदूषकों को शहर में फंसाकर रखा है, जिससे स्मॉग और गहरा हो गया है।

भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने अनुमान लगाया है कि आने वाले दिनों में मध्यम कोहरा बना रहेगा, जिससे प्रदूषण में और वृद्धि हो सकती है। विशेषज्ञों का कहना है कि वाहनों का धुआं, निर्माण कार्य, पड़ोसी राज्यों में पराली जलाना और औद्योगिक उत्सर्जन इस संकट के मुख्य कारण हैं। दिल्ली में वाहन प्रदूषण का योगदान लगभग 30-40 प्रतिशत तक होता है, इसलिए सड़कों पर ट्रैफिक कम करना सबसे प्रभावी उपाय माना जा रहा है।

GRAP के तहत अन्य सख्त उपाय

दिल्ली सरकार ने केवल वर्क फ्रॉम होम तक सीमित नहीं रहते हुए कई अन्य कदम उठाए हैं। GRAP-4 के प्रभावी होने के साथ निर्माण कार्यों पर पूरी रोक लगा दी गई है। PUC (पॉल्यूशन अंडर कंट्रोल) सर्टिफिकेट न होने पर पेट्रोल-डीजल नहीं दिया जाएगा और BS-VI से नीचे के वाहनों के दिल्ली में प्रवेश पर प्रतिबंध है।

इसके अलावा, निर्माण कार्य बंद होने से प्रभावित पंजीकृत मजदूरों के लिए राहत की घोषणा की गई है। GRAP-3 के दौरान 16 दिनों की रोक से प्रभावित मजदूरों को दिल्ली सरकार सीधे उनके बैंक खाते में 10,000 रुपये का मुआवजा देगी। मंत्री कपिल मिश्रा ने कहा, “यह मजदूर हमारे शहर की रीढ़ हैं। हम उन्हें अकेला नहीं छोड़ सकते। GRAP-4 खत्म होने के बाद भी इसी आधार पर राहत दी जाएगी।”

आवश्यक सेवाएं जैसे अस्पताल, अग्निशमन, जेल और सार्वजनिक परिवहन इस 50% WFH नियम से छूट प्राप्त हैं। निजी संस्थानों को भी सख्ती से पालन करने के निर्देश दिए गए हैं।

स्वास्थ्य पर गहरा असर: लोग मास्क पहनने को मजबूर

प्रदूषण का सबसे बुरा असर लोगों के स्वास्थ्य पर पड़ रहा है। अस्पतालों में सांस की बीमारियां, अस्थमा, ब्रोंकाइटिस और आंखों में जलन के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। डॉक्टरों का कहना है कि PM2.5 और PM10 के कण फेफड़ों में गहराई तक पहुंचकर गंभीर बीमारियां पैदा कर रहे हैं। बच्चे और बुजुर्ग सबसे ज्यादा प्रभावित हैं।

सड़कों पर लोग मास्क पहने नजर आ रहे हैं, जबकि कई स्कूलों में हाइब्रिड क्लासेस या ऑनलाइन मोड अपनाया जा रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि लंबे समय तक ऐसे प्रदूषण से हृदय रोग और कैंसर का खतरा भी बढ़ जाता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मानकों से दिल्ली का AQI कई गुना ज्यादा है, जो एक सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल जैसी स्थिति है।

पिछले वर्षों का सबक और भविष्य की चुनौतियां

दिल्ली में प्रदूषण हर सर्दी में चरम पर पहुंच जाता है। पिछले कुछ वर्षों में ऑड-ईवन, निर्माण रोक और स्मॉग टावर जैसे उपाय अपनाए गए, लेकिन स्थायी समाधान अभी दूर है। पड़ोसी राज्यों पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने की समस्या अब भी बनी हुई है, हालांकि इसमें कुछ कमी आई है।

सरकार का दावा है कि यह प्रदूषण “विरासत में मिला” है और वे लगातार प्रयास कर रहे हैं। लेकिन पर्यावरण विशेषज्ञों का कहना है कि इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा, सार्वजनिक परिवहन को मजबूत करना और औद्योगिक उत्सर्जन पर सख्ती जैसे लंबे उपाय जरूरी हैं।

नागरिकों की प्रतिक्रिया और उम्मीद

कार्यालय जाने वाले कर्मचारियों में इस फैसले को लेकर मिश्रित प्रतिक्रिया है। कई लोग राहत महसूस कर रहे हैं क्योंकि ट्रैफिक और प्रदूषण से बचाव होगा, जबकि कुछ को घर से काम करने में दिक्कतें आ रही हैं। नियोक्ताओं को रोस्टर बनाकर 50% स्टाफ को घर से काम सौंपना होगा।

आखिरकार, यह फैसला प्रदूषण से लड़ाई में एक महत्वपूर्ण कदम है। उम्मीद है कि इससे AQI में सुधार आएगा और दिल्लीवासी जल्द ही साफ हवा में सांस ले सकेंगे। सरकार से अपील है कि ऐसे उपायों को नियमित और प्रभावी बनाया जाए ताकि हर साल यह संकट दोहराया न जाए।

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