बलिया में सड़क हादसे में पुलिस कांस्टेबल राहुल यादव की दर्दनाक मौत, परिवार में मचा कोहराम
बलिया, 17 सितंबर 2025: उत्तर प्रदेश के बलिया जिले में एक दिल दहला देने वाला हादसा हो गया। रसड़ा कोतवाली क्षेत्र के रेलवे क्रॉसिंग के पास दो बाइकों की जबरदस्त टक्कर से यूपी पुलिस के एक कांस्टेबल की मौके पर ही जान चली गई। मृतक कांस्टेबल का नाम राहुल कुमार यादव था, जो मात्र 29 साल के थे। वे ड्यूटी पर जा रहे थे जब यह दुर्घटना हुई। इस घटना ने न सिर्फ पुलिस विभाग में शोक की लहर दौड़ा दी है, बल्कि उनके परिवार और आसपास के इलाके में भी सन्नाटा छा गया है।हादसा मंगलवार रात करीब साढ़े दस बजे हुआ। राहुल कुमार यादव आजमगढ़ जिले के मूल निवासी थे। वे साल 2018 में यूपी पुलिस में आरक्षी के पद पर भर्ती हुए थे और उनकी तैनाती क्षेत्राधिकारी कार्यालय रसड़ा में डाक पैरोकार के रूप में थी। पुलिस के अनुसार, राहुल अपनी बाइक पर सवार होकर ड्यूटी के लिए कार्यालय की ओर जा रहे थे। रसड़ा रेलवे क्रॉसिंग के पास एक्सिस बैंक के सामने वे पहुंचे ही थे कि विपरीत दिशा से तेज रफ्तार में आ रही एक अन्य बाइक ने उनकी बाइक से जोरदार टक्कर मार दी। टक्कर इतनी तेज थी कि राहुल सड़क पर गिर पड़े और मौके पर ही उनकी सांसें थम गईं।घटना की सूचना मिलते ही स्थानीय लोग दौड़ पड़े। कुछ राहगीरों ने राहुल को बचाने की कोशिश की, लेकिन चोटें इतनी गंभीर थीं कि कुछ किया ही नहीं जा सका। रसड़ा कोतवाली पुलिस को फोन पर खबर मिली तो वे तुरंत मौके पर पहुंचे।
पुलिस ने शव को कब्जे में लिया और पोस्टमॉर्टम के लिए सदर अस्पताल भेज दिया। दूसरी बाइक सवार व्यक्ति के बारे में अभी कोई जानकारी नहीं मिली है। पुलिस का कहना है कि जांच की जा रही है और अगर लापरवाही किसी की पाई गई तो सख्त कार्रवाई की जाएगी।राहुल के परिवार की हालत बेहद खराब है। वे आजमगढ़ में रहते हैं, लेकिन राहुल बलिया में ही अक्सर ठहरते थे। उनकी पत्नी, दो छोटे बच्चे और बुजुर्ग मां-बाप पर यह दुख टूट पड़ा। सुबह होते ही परिवार के सदस्य बलिया पहुंचे और शव देखकर फूट-फूटकर रोने लगे। पड़ोसी और रिश्तेदार उन्हें संभालने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन कोहराम मच गया है। राहुल के छोटे भाई ने बताया, “भाई ड्यूटी से लौटने पर बच्चों को गोद में उठाकर खेलते थे। वे परिवार का सहारा थे। अब क्या होगा?” पुलिस विभाग ने परिवार को सांत्वना दी है और आर्थिक मदद का आश्वासन दिया है।यह हादसा बलिया जिले में सड़क सुरक्षा को लेकर फिर से सवाल खड़े कर रहा है। बलिया एक ऐसा जिला है जहां सड़कें संकरी हैं और ट्रैफिक का दबाव हमेशा रहता है। रेलवे क्रॉसिंग जैसे इलाकों में अक्सर दुर्घटनाएं होती रहती हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि वहां लाइटिंग की कमी है और रात के समय लोग तेज स्पीड में बाइक चलाते हैं।
एक दुकानदार ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, “यह जगह दुर्घटना प्रिया बन चुकी है। कई बार लोग चेतावनी देते हैं, लेकिन सुधार नहीं होता।” पुलिस ने बताया कि जिले में पिछले एक साल में 150 से ज्यादा सड़क हादसे हुए हैं, जिनमें 100 से अधिक लोगों की जान गई। ज्यादातर मामलों में बाइक और तेज रफ्तार ही मुख्य वजह रही।राहुल की मौत पर पुलिस महकमा गमगीन है। एसपी आशीष तिवारी ने कहा, “राहुल एक मेहनती और ईमानदार कांस्टेबल थे। विभाग उनका नुकसान नहीं भरेगा। हमने परिवार को हर संभव मदद का वादा किया है।” थाना प्रभारी रसड़ा ने भी शोक व्यक्त किया और कहा कि हादसे की वजह से कोई चूक हुई तो दोषी को बख्शा नहीं जाएगा। राहुल के साथी पुलिसकर्मियों ने उनके शव को सलामी दी। कल उनका अंतिम संस्कार आजमगढ़ में होगा, जहां पूरा गांव शोक में डूबा रहेगा।इस घटना ने एक बार फिर सड़क सुरक्षा के प्रति जागरूकता की जरूरत बताई है। विशेषज्ञों का कहना है कि बाइक सवारों को हेलमेट पहनना चाहिए और स्पीड सीमा का पालन करना चाहिए। बलिया प्रशासन ने पहले भी अभियान चलाए हैं, लेकिन अब और सख्ती की दरकार है। रेलवे क्रॉसिंग पर साइन बोर्ड लगाने, लाइटिंग सुधारने और स्पीड ब्रेकर बनाने की मांग स्थानीय लोग कर रहे हैं।
एक एनजीओ कार्यकर्ता ने कहा, “सरकार को सड़क सुरक्षा पर ज्यादा ध्यान देना चाहिए। ऐसे हादसे रोजमर्रा की जिंदगी छीन लेते हैं।”राहुल की कहानी एक सामान्य परिवार की है। वे गरीब घर से थे और पुलिस की नौकरी से परिवार का भरण-पोषण कर रहे थे। पड़ोसियों के अनुसार, राहुल हमेशा मुस्कुराते रहते थे और ड्यूटी में कभी शिकायत नहीं करते। उनकी मौत ने साबित कर दिया कि ड्यूटी पर जाने वाले जवान भी सड़क के शिकार हो सकते हैं। परिवार ने सरकार से न्याय की गुहार लगाई है। वे चाहते हैं कि दोषी को सजा मिले और ऐसे हादसों को रोकने के लिए कदम उठाए जाएं।बलिया जिला प्रशासन ने इस मामले में उच्च स्तरीय जांच के आदेश दिए हैं। एसएसपी ने कहा कि पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट आने के बाद पूरी तस्वीर साफ हो जाएगी। फिलहाल, राहुल के शव को परिवार को सौंप दिया गया है। पूरा जिला इस दुख में शरीक है। ऐसे हादसे हमें सोचने पर मजबूर करते हैं कि सड़कें कितनी खतरनाक हो सकती हैं। आशा है कि इस घटना से सबक मिलेगा और भविष्य में ऐसी त्रासदी न दोहराए।
