युद्ध रिपोर्टिंग के पर्याय पीटर अर्नेट का 91 वर्ष की आयु में निधन: वियतनाम के खेतों से बगदाद के धमाकों तक, पुलित्जर विजेता की जांबाज दास्तां
न्यूपोर्ट बीच, कैलिफोर्निया | 18 दिसंबर, 2025
दुनिया ने आज एक ऐसे पत्रकार को खो दिया है जिसकी आवाज और कलम ने दशकों तक युद्ध की विभीषिका को वैश्विक ड्राइंग रूम तक पहुँचाया। पुलित्जर पुरस्कार विजेता और दिग्गज युद्ध संवाददाता पीटर अर्नेट का बुधवार को कैलिफोर्निया के न्यूपोर्ट बीच स्थित एक अस्पताल में निधन हो गया। वे 91 वर्ष के थे और लंबे समय से प्रोस्टेट कैंसर से जूझ रहे थे।
उनके बेटे एंड्रयू अर्नेट ने बताया कि अपने अंतिम क्षणों में वे परिवार और करीबी मित्रों से घिरे हुए थे। पीटर अर्नेट के जाने से उस युग का अंत हो गया है जहाँ पत्रकारिता केवल सूचना देना नहीं, बल्कि मौत के साये में रहकर सच को उजागर करना था।
वियतनाम: जहाँ से शुरू हुआ एक महानायक का सफर
पीटर अर्नेट ने अपने करियर के सबसे चुनौतीपूर्ण 13 साल (1962-1975) वियतनाम के जंगलों और धान के खेतों में बिताए। एसोसिएटेड प्रेस (AP) के लिए रिपोर्टिंग करते हुए उन्होंने वह साहस दिखाया जिसकी कल्पना करना भी कठिन है।
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मौत से आमना-सामना: 1966 में एक ऑपरेशन के दौरान वे अमेरिकी सैनिकों की बटालियन के साथ थे, जब उन पर स्नाइपर हमला हुआ। अर्नेट ने बाद में याद किया था कि एक गोली ठीक उनके सामने बटालियन कमांडर को लगी थी।
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पुलित्जर सम्मान: इसी युद्ध की असाधारण और निष्पक्ष रिपोर्टिंग के लिए उन्हें 1966 में अंतरराष्ट्रीय रिपोर्टिंग के पुलित्जर पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
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अंतिम गवाह: 1975 में जब साइगॉन का पतन हुआ और उत्तर वियतनामी विद्रोहियों ने कब्जा किया, तब भी अर्नेट वहां मौजूद रहने वाले चुनिंदा पत्रकारों में से एक थे।
खाड़ी युद्ध और ‘लाइव रिपोर्टिंग’ का नया दौर
हालांकि अर्नेट पत्रकारों के बीच वियतनाम से ही प्रसिद्ध थे, लेकिन 1991 के ‘पहले खाड़ी युद्ध’ ने उन्हें घर-घर में एक जाना-पहचाना नाम (Household Name) बना दिया। जब अमेरिकी हमले की आशंका में अधिकांश पश्चिमी पत्रकारों ने बगदाद छोड़ दिया था, अर्नेट सीएनएन (CNN) के लिए वहीं डटे रहे।
उन्होंने होटल की खिड़की से मिसाइल हमलों और बमबारी की लाइव कमेंट्री की। सद्दाम हुसैन और बाद में ओसामा बिन लादेन (9/11 हमले से पहले) का इंटरव्यू करने वाले वे दुनिया के सबसे प्रभावशाली पत्रकारों में शुमार हुए।
पीटर अर्नेट का जीवन परिचय और उपलब्धियां
| श्रेणी | विवरण |
| जन्म | 13 नवंबर 1934, रिवर्टन (न्यूजीलैंड) |
| शिक्षा और शुरुआत | साउथलैंड टाइम्स (स्थानीय अखबार) से करियर शुरू किया |
| प्रमुख संस्थान | एसोसिएटेड प्रेस (AP), CNN, NBC |
| पुरस्कार | पुलित्जर पुरस्कार (1966) |
| प्रसिद्ध पुस्तक | ‘लाइव फ्रॉम द बैटलफील्ड’ (आत्मकथा) |
एक निष्पक्ष और निर्भीक आवाज
पीटर अर्नेट हमेशा सत्ता के सामने सच बोलने के लिए जाने गए। 2003 के दूसरे खाड़ी युद्ध के दौरान, उन्होंने अमेरिकी युद्ध रणनीति की आलोचना की थी, जिसके कारण उन्हें भारी विवादों का सामना करना पड़ा और एनबीसी (NBC) से उन्हें हटा दिया गया। इसके बावजूद, उन्होंने अपनी पेशेवर ईमानदारी से समझौता नहीं किया।
उनकी पूर्व सहयोगी एडिथ लेडरर ने उन्हें याद करते हुए कहा:
“पीटर अपने समय के महानतम युद्ध संवाददाताओं में से एक थे। वे निडर और साहसी लेखक थे। उनकी रिपोर्टिंग आने वाली पीढ़ियों के लिए एक मार्गदर्शिका बनी रहेगी।”
विरासत और अंतिम वर्ष
2014 में सक्रिय पत्रकारिता से सेवानिवृत्त होने के बाद, अर्नेट कैलिफोर्निया में अपनी पत्नी निना गुएन के साथ रहने लगे। इससे पहले उन्होंने चीन के शान्तोउ विश्वविद्यालय में भावी पत्रकारों को कला के गुर भी सिखाए।
उनके मित्र और प्रसिद्ध फोटोग्राफर निक यूट ने भावुक होते हुए कहा, “वे मेरे भाई जैसे थे। उनकी मृत्यु ने मेरे जीवन और पत्रकारिता जगत में एक ऐसी खाली जगह छोड़ दी है जिसे कभी नहीं भरा जा सकेगा।”
पीटर अर्नेट की रिपोर्टिंग के दस्तावेज आज भी एपी के अभिलेखागार में सुरक्षित हैं, जो मानवता को याद दिलाते रहेंगे कि युद्ध केवल राजनीति नहीं, बल्कि इंसानी संघर्ष की वह कहानी है जिसे अर्नेट ने अपनी आंखों से देखा और दुनिया को सुनाया।