• October 14, 2025

महागठबंधन में शामिल होने की ओवैसी की कोशिश नाकाम, राजद ने साफ कहा- ‘चुनाव न लड़ें’

बिहार विधानसभा चुनाव में सेकुलर वोटों के बिखराव को रोकने की दलील के साथ महागठबंधन में शामिल होने की कोशिश कर रही असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) को राष्ट्रीय जनता दल (राजद) ने करारा झटका दिया है। राजद प्रवक्ता और राज्यसभा सांसद मनोज झा ने साफ कर दिया कि अगर ओवैसी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को हराना चाहते हैं, तो उन्हें बिहार में चुनाव नहीं लड़ना चाहिए।
मनोज झा का बयान
शुक्रवार को पटना में पत्रकारों से बातचीत में मनोज झा ने कहा, “ओवैसी का बेस हैदराबाद में है। अगर उनकी मंशा भाजपा को हराने और नफरत की राजनीति को शिकस्त देने की है, तो बिहार में चुनाव न लड़ना भी एक तरह से मदद करना होगा। यह बात ओवैसी और उनके सलाहकार अच्छी तरह जानते हैं।” झा का यह बयान स्पष्ट करता है कि राजद AIMIM को महागठबंधन में शामिल करने या एक भी सीट देने के मूड में नहीं है।
AIMIM की कोशिशें बेकार
AIMIM के बिहार अध्यक्ष और इकलौते विधायक अख्तरुल ईमान पिछले कई हफ्तों से खुलकर कह रहे हैं कि उनकी पार्टी राजद, कांग्रेस, वाम दलों और विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) के साथ महागठबंधन में शामिल होकर चुनाव लड़ना चाहती है। ईमान ने इस संबंध में राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव को चिट्ठी भी लिखी थी। जून 2025 के पहले सप्ताह से ही वे महागठबंधन के साथ गठजोड़ की बात दोहरा रहे हैं। हाल ही में, जब महागठबंधन की घोषणा पत्र समिति की बैठक में AIMIM को नहीं बुलाया गया, तो ईमान ने तीसरा मोर्चा बनाने की बात कही थी। हालांकि, दो दिन बाद उन्होंने लालू को फिर पत्र लिखकर कम सीटों पर भी समझौता करने की इच्छा जताई।
राजद का कड़ा रुख
मनोज झा के बयान से साफ है कि कांग्रेस, वाम दल और मुकेश सहनी की वीआईपी के साथ पहले से ही सीट बंटवारे पर चल रही कठिन मोलभाव के बीच तेजस्वी यादव AIMIM को कोई सीट देने के पक्ष में नहीं हैं। राजद की रणनीति सेकुलर वोटों को एकजुट रखने की है, और पार्टी को लगता है कि AIMIM का चुनाव लड़ना वोटों के बिखराव का कारण बन सकता है।
2020 में AIMIM का प्रदर्शन
2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में AIMIM ने मायावती की बसपा, उपेंद्र कुशवाहा की रालोसपा और अन्य छोटे दलों के साथ ग्रैंड डेमोक्रेटिक सेकुलर फ्रंट बनाया था। इस गठबंधन के तहत AIMIM ने 19 सीटों पर चुनाव लड़ा और सीमांचल के तीन जिलों (किशनगंज, कटिहार और अररिया) में 5 सीटें जीतीं। बाद में, तेजस्वी यादव ने रणनीतिक रूप से AIMIM के चार विधायकों को राजद में शामिल कर लिया था, जिससे अख्तरुल ईमान अकेले विधायक रह गए।
सियासी समीकरण और चुनौतियां
AIMIM की सीमांचल में मजबूत पकड़ है, जहां मुस्लिम और अन्य अल्पसंख्यक मतदाता निर्णायक भूमिका निभाते हैं। ओवैसी की पार्टी महागठबंधन में शामिल होकर अपनी स्थिति मजबूत करना चाहती है, लेकिन राजद का कड़ा रुख उनकी राह में रोड़ा बन रहा है। अगर AIMIM तीसरा मोर्चा बनाती है, तो यह सेकुलर वोटों को बांट सकता है, जिसका फायदा भाजपा को मिल सकता है। बिहार विधानसभा चुनाव से पहले यह सियासी तनाव महागठबंधन की एकता और रणनीति पर सवाल खड़े कर रहा है।
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Rama Niwash Pandey

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