स्वयं के साथ औरों को भी ‘ जीविका ‘ से बना रही है स्वावलंबी
ग्रामीण महिलाओं को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाने के लिए चल रहे दीनदयाल अंत्योदय योजना – राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (जीविका) ने संभावनाओं के द्वार खोल दिए हैं।
केंद्र सरकार एवं बिहार सरकार के सार्थक प्रयास से जीविका दीदी स्वयं के साथ औरों को भी स्वावलंबी बना रही है। बेगूसराय जिला के सदर प्रखंड स्थित जिनेदपुर पंचायत निवासी रेणु देवी महज आठवीं कक्षा पास रेणु देवी ने अपने लगन, मेहनत एवं बुद्धिमत्ता के कारण जीविका के सहयोग से समाज में आज अपनी एक अलग पहचान बना चुकी हैं। कल तक आर्थिक तंगी का सामना करनेवाली रेणु आज आर्थिक रूप से सशक्त हो चुकी है, परिवार के साथ बेहतर जीवन यापन कर रही है।
विगत चार वर्षों से जीविका समूह से जुड़ी रेणु अपने घर पर परंपरागत तरीके से सिलाई-कटाई का कार्य करती थी। इससे उन्हें सीमित आय होती थी, पति शंकर शर्मा कारपेंटर का काम काम करते थे। दोनों की आमदनी इतनी नहीं थी कि उनके सपनों को आकार मिल सके। जीविका से जुड़ने के बाद रेणु देवी के जीवन में कई बदलाव आया।
उनके आत्मविश्वास में भी वृद्धि हुई और कुछ नया करने की इच्छा फिर से जाग्रत हुई। रेणु ने संगीता जीविका स्वयं सहायता समूह एवं गंगा जीविका महिला ग्राम संगठन से 70 हजार का ऋण लिया। इन पैसों का उपयोग उन्होंने आधुनिक सिलाई मशीन खरीदने में किया। आधुनिक सिलाई मशीन आने से रेणु के सिलाई-कटाई के कार्य में तेजी आई और उनकी आमदनी काफी बढ़ गई। फिर उन्होंने अपने घर में ही छोटा सा दुकान बना लिया। यहां पुराने मशीनों के साथ नए मशीन को स्थापित कर दिया। वहां रेणु ने अन्य तीन महिलाओं को भी सिलाई-कटाई में दक्ष कर सेवा लेने लगी।
इसी बीच सदर प्रखंड के पंचबा में जीविका द्वारा संचालित जिज्ञासा जीविका दीदी का सिलाई घर स्टिचिंग यूनिट की शुरूआत की गई।रेणु देवी भी इस सिलाई घर का हिस्सा बन गई। दिसम्बर 2022 से उन्होंने स्टिचिंग यूनिट में अपनी सेवा देना शुरू किया। पहले चरण में उन्हें नई एवं आधुनिक मशीनों पर कार्य करने का प्रशिक्षण स्टिचिंग यूनिट के प्रशिक्षक द्वारा दिया गया। पूरी तरह दक्ष होने के बाद जहां उन्होंने स्टिचिंग यूनिट में कपड़ा सिलने के साथ अन्य महिलाओं को प्रशिक्षण भी देना शुरू कर दिया। रेणु अपने घर में सिलाई-कटाई के काम के साथ स्टिचिंग यूनिट में भी अपनी सेवा दे रही हैं।
रेणु बताती है कि घर की आर्थिक जरूरतों को पूरा करने के लिए जब उन्होंने सिलाई-कटाई का काम शुरू किया था तो उन्हें इस बात का जरा भी अहसास नहीं था कि यह काम उन्हें एक नई पहचान देगा। वह कहती है कि आज मैं जब आधुनिक मशीनों पर सिलाई का कार्य करती हूं तो मुझे काफी खुशी एवं गर्व का अनुभव होता है। वे बताती हैं कि अब सिलाई घर में विभिन्न स्थानों एवं संस्थानों से कपड़ा बनाने का आर्डर मिलने लगा है।
केंद्रीय ग्रामीण विकास और पंचायती राज मंत्री गिरिराज सिंह कहते हैं कि अभी देश में 86 लाख 20 हजार स्वयं सहायता समूह में नौ करोड़ 37 लाख से अधिक महिलाएं जुड़ चुकी हैं। इनकी संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ रही है। सकारात्मक कार्य से लखपति दीदी की संख्या एक करोड़ 42 लाख को पार कर चुकी है। जीविका मिशन के माध्यम से महिलाओं के उन्नति के लिए लगातार कार्य किए जा रहे हैं। इसके सकारात्मक परिणाम भी सामने दिख रहे हैं।