• December 28, 2025

सत्तारूढ़ गठबन्धन के बीच सहमति में ही संबंध विच्छेद का प्रस्ताव

 सत्तारूढ़ गठबन्धन के बीच सहमति में ही संबंध विच्छेद का प्रस्ताव

नेपाल के सत्तारूढ गठबन्धन दलों के बीच दूरियां इस कदर बढ़ने लगी हैं कि अब सहमति में ही संबंध विच्छेद करने की बातें होने लगी है। कोशी प्रदेश में विपक्षी दल के साथ मिल कर सरकार गठन के बाद काठमांडू की केन्द्र सरकार में सहभागी दल अब गठबन्धन के औचित्य पर ही सवाल खड़े करने लगे हैं।

नेपाल की सत्तारूढ गठबन्धन की सबसे बड़ी पार्टी नेपाली कांग्रेस के महासचिव विश्वप्रकाश शर्मा ने कहा कि यदि गठबन्धन को आगे नहीं बढाना हो तो आपसी समझदारी के आधार पर ”डिवोर्स” कर अपने अपने रास्ते पर चलने से होगा। कोशी प्रदेश में नेपाली कांग्रेस के एक गुट की तरफ से विपक्षी दल नेकपा एमाले के साथ मिल कर सरकार गठन पर अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए पार्टी के महासचिव शर्मा ने कहा कि यदि विपक्षी दल के साथ मिल कर ही सरकार बनाना है तो वर्तमान सत्ता गठबंधन का कोई औचित्य नहीं है। उन्होंने कहा कि इससे पहले कि बात और बिगड़ जाए, आपसी सहमति के आधार पर अलग हो जाना ही उचित रहेगा।

सोशल मीडिया एक्स पर एक लम्बा स्टेटस लिखते हुए कांग्रेस पार्टी के महासचिव ने कहा कि पार्टी के दूसरे महासचिव गगन थापा और उन दोनों ने पहले ही विपक्षी दल के साथ मिल कर कोशी प्रदेश में सरकार बनाने का प्रस्ताव दिया था। हालांकि शुरू में उनके प्रस्ताव को अनसुना कर दिया गया। शर्मा ने आगे लिखा है कि यदि विपक्षी दल के साथ मिल कर प्रदेश में सरकार बनानी ही थी तो पार्टी में औपचारिक निर्णय कर बनाना चाहिए था। इस तरह से कुछ विधायकों के खुद ही अलग होकर विपक्षी दल के साथ मिल कर सरकार गठन करने से ना पार्टी को फायदा हुआ ना ही गठबंधन को ही फायदा मिलने वाला है।

कांग्रेस पार्टी के महासचिव ने कहा कि पार्टी में एक बडा तबका है, जो माओवादी के साथ गठबंधन को आगे बढाने के पक्ष में नहीं है। इसलिए समय रहते ही इस पर कोई ना कोई निर्णय ले लेना चाहिए। शर्मा ने कहा कि अगर माओवादी को अलग होकर ओली की पार्टी के साथ मिल कर ही सरकार बनानी है तो गठबंधन के शीर्ष नेताओं को आपस में बैठ कर सहमति के आधार पर अलग होने का निर्णय कर लेना चाहिए।

कोशी प्रदेश में विपक्षी दल के सहयोग से कांग्रेस के केदार कार्की मुख्यमंत्री बन गए हैं। इससे ना सिर्फ कांग्रेस पार्टी में बल्कि गठबंधन में भी दरार आ गयी है। इसका असर ना सिर्फ दूसरे प्रदेश के गठबन्धन में दिखने लगा है बल्कि केन्द्र के सत्ता गठबंधन में भी अविश्वास का माहौल बन गया है।

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